निकहत जरीन के बाद अब नागपुर की अल्फिया मुक्केबाजी में छाने को तैयार, एशियन बॉक्सिंग चौंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में चयन
मुस्लिम नाउ ब्यूरो नई दिल्ली
वर्ल्ड बॉक्सिंग एवं हाल ही में संपन्न हुए बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए सोना जीतने वली निकहत जरीन को लेकर अभी चर्चाएं थमी नहीं भी नहीं हैं कि देश की एक और महिला मुक्केबाज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने को तैयार है.
नागपुर की स्टार महिला मुक्केबाज अल्फिया पठान अब उस भारतीय टीम की सदस्य होंगी, जो अक्टूबर में जॉर्डन के अम्मान में होने वाली एलीट महिला एशियाई चौंपियनशिप में भाग लेगी.
अल्फिया महाराष्ट्र की पहली एलीट महिला मुक्केबाज हैं जो एशियाई चौंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी. उनके इस उपलब्धि के लिए उनके कोच गणेश पुरोहित, अरुण बुटे, सतीश भट्ट, सज्जाद हुसैन, राकेश तिवारी और नागपुर जिला मुक्केबाजी संघ के सचिव पोरस कोतवाल ने अल्फिया को बधाई और शुभकामनाएं दीं हैं.
मीलिए अल्फिया खान से
यह युवा भारतीय बॉक्सर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर रही हैं. बॉक्सिंग हमेशा से एक ऐसा खेल रहा है जिसमें भारत ने एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों सहित अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में सम्मान और पदक जीते हैं. दरअसल, मैरी कॉम ने लंदन 2012 में भारत को महिला बॉक्सिंग में कांस्य दिलाया था. अब निकहत जरीन वर्ल्ड बॉक्सिंग एवं बार्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को सोना दिला चुकी हैं. इसी कड़ी में देश की एक और मुक्केबाज अल्फिया तेजी से उभर रही हैं. देश में कई आगामी बॉक्सिंग प्रतिभाएं हैं जो देश का भविष्य होंगी. इनमें नागपुर की अल्फिया खान नवीनतम भारतीय मुक्केबाजी सनसनी बनने की राह में हैं.
कौन हैं अल्फिया खान?
विश्व युवा मुक्केबाजी चौंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर चुकी 18 वर्षीय खान, 81 किग्रा वर्ग में खेलो इंडिया रैंकिंग इवेंट के माध्यम से विश्व युवा मुक्केबाजी चौंपियनशिप के ट्रायल के लिए क्वालीफाई करने के बाद चर्चा में आईं. इस प्रक्रिया में वह ट्रायल के लिए क्वालीफाई करने वाली महाराष्ट्र की एकमात्र लड़की बन गई. वर्ल्ड ट्रायल के लिए युवा प्रतिभाओं की पहचान करने के लिए रोहतक में नेशनल बॉक्सिंग एकेडमी (एनबीए) में भारतीय खेल प्राधिकरण और भारतीय मुक्केबाजी महासंघ द्वारा रैंकिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.
सुश्री खान ने प्रतियोगिता में अपने वजन से ऊपर मुक्का जड़ा. उसने दूसरे दौर के पहले मिनट में पंजाब की जोरा सिंह को हराकर सेमीफाइनल में असम की सैनिका बोरो को 40 सेकंड में परास्त कर दिया. उनके कोच गणेश पुरोहित का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने जिस उन्नत कौशल पर काम किया, उसके नतीजे सामने आने लगे हैं. पुरोहित ने बताया, लॉकडाउन के दौरान हमने युवा वर्ग में स्नातक होने के दौरान कुछ उन्नत कौशल पर काम किया. यह प्रदर्शन उनके नए विकसित कौशल और परिपक्वता का प्रतिबिंब है.
पुलिस कांस्टेबल की बेटी, अल्फिया 2017 में 14 साल की उम्र में ही बॉक्सिंग शुरू कर दी थी. उसका भाई भी बॉक्सर है, लेकिन अल्फिया अपने परिवार से पहली है जिसे खेल को करियर के रूप में आगे बढ़ाने की अनुमति दी गई है. वह रोहतक में खेलो इंडिया-साई राष्ट्रीय मुक्केबाजी अकादमी में अमनप्रीत कौर और गणेश पुरोहित के साथ प्रशिक्षण लेती रही हैं. नागपुर की पहले अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज
अल्फिया खान के लिए घरेलू सफलता जल्दी आ गई. जूनियर के रूप में उनका पहला साल फलदायी रहा. उन्होंने भारतीय महिला स्कूल राष्ट्रीय खेलों और महिला जूनियर राष्ट्रीय चौंपियनशिप में पदक जीते हैं.2018 में, वह खेलो इंडिया प्रायोजन पाने वाली नागपुर की पहली खिलाड़ी भी बनीं. घरेलू स्तर पर उनकी सफलता के चलते उन्हें 2018 में सर्बिया में द्वितीय राष्ट्र कप अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी चाैंम्पयनशिप के लिए भारतीय जूनियर टीम में शामिल किया गया था. वह नागपुर से पहली मुक्केबाज हैं जिन्हें भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए चुना गया.
अंतरराष्ट्रीय सफलता
अल्फिया खान पिछले कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय मंच पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. 2018 में, अपने पहले अंतरराष्ट्रीय असाइनमेंट में, उन्होंने रजत पदक जीता. 2019 में उन्होंने सर्बिया के व्रबास में तीसरे राष्ट्र कप अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी चौंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. 80़ किग्रा वर्ग में रूसी मुक्केबाज वोरोत्सोवा वेलेरिया से हारने के बाद अल्फिया तीसरे स्थान पर रही थीं. कोच के साथ पसीना बहाती अल्फिया
जूनियर एशियाई चौंपियन
कुछ हफ्ते बाद, उन्हें 80 किग्रा वर्ग में एशियाई जूनियर चौंपियन का ताज पहनाया गया. संयुक्त अरब अमीरात के फुजैरा में आयोजित पहली एशियाई जूनियर चौंपियनशिप में खान ने कजाकिस्तान के मगौयेवा डायना को हराकर स्वर्ण पदक जीता था. उसके पास राष्ट्रीय टूर्नामेंट में दो स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक भी है. 2019 में महाराष्ट्र राज्य मुक्केबाजी चाैंपियनशिप में उन्होंने अपने विरोधियों को आतंकित कर दिया था. 30 सेकंड के भीतर 80़ वर्ग में प्री-क्वार्टर फाइनल, क्वार्टर फाइनल और फाइनल मुकाबलों में जीत हासिल की थी.इसके बाद इनका इतना भय हो गया कि सेमीफाइनल में, प्रतिद्वंद्वी माया राजपूत बाउट शुरू होने से पहले ही रिंग से बाहर चली गई.