महाराष्ट्र सरकार TISS से अपने प्रदेश के मुसलमानों का क्यों कराना चाहती है सर्वे ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, मुंबई
सरकारें जिस तरह मुसलमानों को लेकर गतिविधियां बढ़ा रही रही हैं, क्या उस अनुपात में इस कौम का कल्याण हो रहा है ? यह अहम सवाल है.फिलहाल असम सरकार अपने सूबे के मदरसांे की व्यवस्था सुधारने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू करने का दावा कर रही है. इसी तरह उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में मदरसों का सर्वेक्षण कराकर इनकी स्थिति का जायजा लेने की योजना को सिरे चढ़ाई जा रही है. मगर इन प्रयासों के नतीजे क्या निकलेंगे यह वक्त बताएगा. प्रदेश सरकारों के ऐसे प्रयासों से मुस्लिम चिंतित नजर आ रहे हैं.
इसी कड़ी में अब महाराष्ट्र सरकार राज्य के मुस्लिम समुदाय के आर्थिक विकास और इसे मुख्यधारा में लाने के नाम पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से इनका अध्ययन करने जा रही है.
राज्य सरकार ने कहा कि परियोजना के अध्ययन के लिए टाटा के लिए 33.92 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं. महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय को आर्थिक विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति का अध्ययन करके और भौगोलिक क्षेत्रों की बाधाओं को ध्यान में रखते हुए, भागीदारी बढ़ाने के उपाय सुझाएं जाएंगे.
इसके अलावा, टाटा औरसरकार ने परियोजना पर काम करने के लिए अधिकारियों को नियुक्त किया है.क्षेत्र के श्रमिकों में से, टाटा सोशल रिसर्च काउंसिल, मुंबई ने महाराष्ट्र राज्य के छह क्षेत्रीय राजस्व आयुक्तों में से 56 श्रमिकों की गणना की है.शहरों में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थितियों का अध्ययन करने के लिए साक्षात्कार और सामुदायिक सर्वेक्षणों का अध्ययन और प्रस्तुत किया जाना है.
उक्त अध्ययन समूह को वित्तीय स्वीकृति सहित कुल 33,92,040 रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जा रही है. इन अध्ययनों के नतीजे में क्या निकल कर आता है, यह तो समय ही बताएगा. वैसे, हाल में मुस्लिम बुद्धिजीवी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात कर दावा कर रहे हैं कि एक-दूसरे पर विश्वास करना जरूरी है. मगर यहां यह सवाल देश की तमाम सरकारों से तो बनता है कि सच्चर कमेटी और रंगनाथ आयोग की सिफारिशों पर कितना अमल हुआ और पिछले एक
दशक में मुसलमानों के उत्थान और विकास पर खर्च करने के लिए बजट में कितने प्रतिशत की वृद्धि की गई. इसका परिणाम क्या सामने आए ?बता दूं कि असम, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बीजेपी शासित सरकार है. इन प्रदेशों में सरकार के कई फैसलों से मुस्लिम वर्ग चिंतित नजर आता है. यहां नोट करने वाली बात यह है कि गैर भाजपाई प्रदेश की सरकारों में मुसलमानों को लेकर कोई खास हलचल नजर नहीं आ रही है.