हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश में अभद्र भाषा की घटनाओं में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की. साथ ही टिप्पणी कर हुए ऐसे लोगों को जमकर लताड़ा. अदालत ने कहा-यह 21 वीं सदी है. हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? यह है दुखद.अदालत शाहीन अब्दुल्ला द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाले भड़काऊ भाषणों में शामिल लोगों के साथ ऐसे वक्ताओं को मंच प्रदान करने वाले संगठनों के खिलाफ दंड कानूनों और यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत कार्रवाई की मांग की गई थी.
दिल्ली में एक 25 वर्षीय व्यक्ति की हत्या के बाद, विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक रैली में लोगों से सिर काटने का आह्वान किया गया. यहां तक कि गया कि हिंदू युवक पर हमला करने वालों के हाथ काट दो.एक रिपोर्ट के अनुसार,एक अन्य वक्ता, महंत नवल किशोर दास ने लोगों से बंदूकें प्राप्त करने के लिए कहा. लाइसेंस के साथ या बिना लाइसेंस के.
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने कहा, बयान (9 अक्टूबर को रैली में दिए गए) एक ऐसे देश के लिए बहुत परेशान करने वाले हैं जो लोकतंत्र का दावा करता है और धर्म-तटस्थ है. इसके अलावा अदालत ने दिल्ली पुलिस से इसपर की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी.अब्दुल्ला द्वारा दायर याचिका में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा और घृणा अपराधों की घटनाओं की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया था.
इसपर अदालत ने पूछा, ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने वाले वक्ताओं या पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है जहां नरसंहार और घृणित भाषण दिए जाते हैं. ज्यादातर मामलों में, केवल प्राथमिकी दर्ज करने की न्यूनतम कार्रवाई और वह भी कम अपराधों के तहत. याचिका में कहा गया है, सरकार इस देश के सभी नागरिकों के संरक्षक होने के नाते देश भर में मुसलमानों के खिलाफ मौखिक और शारीरिक हमले की बढ़ती घटनाओं की सार्वजनिक रूप से निंदा करने से बचती है.
जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि पुलिस द्वारा ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं करने के किसी भी प्रयास को अदालत की अवमानना के रूप में देखा जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.अदालत ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड पुलिस को अपराधियों के धर्म को देखे बिना अपने अधिकार क्षेत्र में होने वाले अभद्र भाषा के सभी मामलों में स्वतः कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
याचिका में तर्क दिया गया था कि अदालत के कई आयोजनों में नरसंहार भाषणों और मुसलमानों के खिलाफ घृणा अपराधों के बारे में संज्ञान लेने के बावजूद और संबंधित अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने के निर्देश देने वाले कई आदेशों के बावजूद, भारत में स्थिति केवल हिंदू समुदाय के बढ़ते कट्टरपंथ के चलते खराब होती दिख रही है. मुसलमानों के खिलाफ व्यापक नफरत का प्रसार किया जा रहा है.
अभद्र भाषा को नियंत्रित करने के लिए कानून लाने में केंद्र सरकार की निष्क्रियता के लिए, जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने 21 सितंबर को मोदी सरकार को दो सप्ताह के भीतर यह बताने के लिए कहा है कि क्या वह इस तरह के किसी कानून को पेश करने का इरादा रखती है.
पीठ ने आश्चर्य जताया कि भारत सरकार मूक गवाह के रूप में क्यों खड़ी है, जब यह सब (टीवी समाचार चौनलों पर अभद्र भाषा) हो रहा है? केंद्र इसे एक तुच्छ मुद्दे की तरह क्यों मान रहा है? राजनीतिक दल आएंगे और जाएंगे, लेकिन राष्ट्र सहेगा.”
अभद्र भाषा को बढ़ावा देने वाले टीवी चौनलों की आलोचना करते हुए, पीठ ने कहा था कि आजकल समाचार चौनलों के एंकर लोगों को अपने शो में इस तरह के भाषण देने की अनुमति देकर और दूसरों को इस तरह के विचारों का मुकाबला करने की अनुमति देकर इस घृणास्पद भाषण को आगे बढ़ाते हैं.
नियम बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए, पीठ का यह भी विचार था कि (ऐसे) समाचार एंकरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें ऑफ एयर किया जाना चाहिए. उम्मीद की जा रही है कि अदालत के इस आदेश के बाद दिल्ली पुलिस जल्द ही राष्ट्रीय राजधानी के बीजेपी के एक सांसद पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करेगी. उक्त सांसद पर हाल मंे मुसलमानांें के खिालाफ हिंदुआंे को भड़काने का आरोप लगा था. सांसद ने मंच से खुलेआम लोगांे को ललकारा था.