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सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या हुआ ? गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे के 2 महीने बाद कांग्रेस की तारीफ की

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर

कांग्रेस छोड़ने के बाद गुलाम नबी आजाद को लग रहा था कि कश्मीर के लोग उन्हें हाथों-हाथ लेंगे और कश्मीरी मुसलमानों के बीच शाम दाम दंड भेज की नीति अपनाकर बैठ बढ़ाने वाली एक बड़ी पार्टी के साथ मिलकर सत्ता पर काबिज हो जाएंगे. मगर लगता है कि दो महीने बाद ही गुलाम नबी का सारा भ्रम दूर हो गया है. अब उन्हें फिर से कांग्रेस की याद आने लगी है.

लगता है कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का फिर से इसके प्रति प्रेम जागने लगा है. उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस साल 26 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद आजाद ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बनाई, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी जम्मू और कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

कांग्रेस से इस्तीफा देकर उनका अनुसरण करने वाले अपने समर्थकों को आश्चर्यचकित करते हुए आजाद ने रविवार को कहा कि गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों में अकेले कांग्रेस में भाजपा को चुनौती देने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली तक सीमित पार्टी है.

डोडा जिले के अपने दौरे के दौरान कुछ पत्रकारों से बात करते हुए आजाद ने कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता की प्रशंसा की. कहा कि वह कांग्रेस के खिलाफ नहीं, उसकी कमजोर पार्टी प्रणाली के खिलाफ हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह कभी भी धर्मनिरपेक्षता की कांग्रेस की नीति के खिलाफ नहीं थे.

उन्होंने कहा, मैं अब भी चाहता हूं कि कांग्रेस गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव जीते. हैरानी की बात यह है कि आजाद ने कांग्रेस पर भरोसा जताते हुए कहा कि वह हिंदू और मुस्लिम किसानों को साथ लेकर चलती है.

पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस की तारीफ की और आप की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा, आप पंजाब की सत्ता में भले ही आ गई है, लेकिन वह इस राज्य में कुछ नहीं कर सकती. पंजाब के लोग आप को दोबारा वोट नहीं देंगे. केवल कांग्रेस ही पंजाब को कुशलता से चला सकती है. यह एकमात्र पार्टी है जो गुजरात और हिमाचल में भाजपा को चुनौती दे सकती है. आप एक ऐसी पार्टी है जो केवल दिल्ली में मौजूद है. कांग्रेस की समावेशी नीति है.

अब सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या पूर्व वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस के प्रति फिर से नरमी बरती है ? उन्होंने दो महीने पहले कई आरोप लगाते हुए कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था.

उन्होंने यहां तक कह दिया था कि राहुल गांधी ने जो भी फैसले लिए हैं, वह उनके सुरक्षाकर्मी ले रहे हैं. इस साल 26 अगस्त को आजाद ने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को भेजने के बाद कांग्रेस के साथ अपने दशकों पुराने जुड़ाव को खत्म कर दिया था. उन्होंने अपने पत्र में राहुल गांधी की काफी आलोचना की थी. हालांकि, इनदिनों वही राहुल गांधी अपने भारत जोड़ो यात्रा ने न केवल कांग्रेस में जोश भर रहे हैं, उनके इस नए अवतार से विरोधी भापजपा भी असमंजस में है. दक्षिण में जिस प्रकार कांग्रेस का जनाधार बढ़ रहा है, आगामी चुनावों में भाजपा को भारी नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है.