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मुंबई आतंकी हमलाः तहव्वुर राणा गिरफ्तार…बड़ा सवाल, भारत लाया जाएगा या नहीं !

वॉशिंगटन,इंटरनेशनल डेस्क।
मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपियों में शुमार कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा को भारत के अनुरोध पर लॉस एंजिलिस में दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया है, पर वह कितने दिनों तक वहां की जेल में रहेगा या उसे भारत लाया जाएगा ? इसका फैसला 30 जुलाई को ही हो पाएगा। फिल्हाल कैलिफोर्निया डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने राणा के वकील से 22 जून तक याचिका दायर करने तथा संघीय सरकार को 26 जून तक इसका जवाब देने को कहा है।
 अमेरिकी सूत्रों के अनुसार, 59 वर्षीय राणा को हाल में कोराना होने के कारण जेल से रिहा किया गया था। उसके कोरोना संक्रमित होने के कारण कोर्ट ने उसे अस्थायी जमानत दे दी थी। भारत ने उसे प्रत्यर्पित करने को कोर्ट से जब अनुरोध किया तो उसे पुनः गिरफ्तार कर लिया गया। राणा को भारत ने भगोड़ा घोषित कर रखा है। बता दें कि मुंबई के आतंकवादी हमले में 166 लोग मारे गए थे।

भारत के अनुरोध पर गिरफ्तार
अमेरिकी सहायक अटॉर्नी जॉन जे लुलेजियान ने अदालत को बताया कि भारत सरकार  1997 के द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को प्रत्यर्पित करने के लिए उसे गिरफ्तार करना चाहती थी। इसके लिए भारत ने अमेरिका को सूचित किया कि राणा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और धारा 120 बी समेत कई धाराओं के तहत अभियोग चल रहा है। उसपर आरोप है कि उसने फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्ट का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी करने का षड्यंत्र रचा। गिरफ्तारी के बाद उसे अदालत में पेश किया गया। कैलिफोर्निया सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट की अमेरिका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में न्यायाधीश जैक्लीन चूलजियान ने राणा के खिलाफ मामला लंबित रहने तक उसे रिहा करने या नहीं करने के मामले पर सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख तय की है। राणा के वकील से 22 जून तक याचिका दायर करने और संघीय सरकार को 26 जून तक इसका जवाब देने को कहा गया है। राणा के खिलाफ भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत ने 28 अगस्त, 2018 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

आरोप तय करने में विफल रहा अमेरिका

पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई तहव्वुर राणा को मुंबई हमलों के संबंध में अमेरिका में एक अपराध का दोषी ठहराया गया था। अमेरिकी अभियोजक 2011 में चले मुकदमे के दौरान उस पर आतंकवाद का आरोप साबित करने में विफल रहा था। अभियोजकों ने बताया कि राणा आतंकवादी संगठनों की मदद करने के मामले में 14 साल की सजा काट रहा है। उसे पिछले हफ्ते कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण लॉस एंजिलिस की एक संघीय जेल से रिहा कर दिया गया था।

शिकागो में आतंकवाद का दोषी
राणा को पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा को मदद मुहैया कराने के सिलसिले में शिकागो में दोषी करार दिया जा चुका है। इसी आतंकवादी संगठन ने भारत में हमले की योजना बनाई थी। साथ ही उसे डेनमार्क के उस अखबार पर हमला करने की साजिश में मदद करने के लिए भी गिरफ्तार किया गया था, जिसने 2005 में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित किए थे। इन कार्टूनों से मुसलमान आक्रोशित हो गए थे।
न्यायाधीशों ने राणा को मुंबई में हमले करने वाले 10 लोगों की मदद करने के गंभीर आरोप से मुक्त कर दिया था। उसके वकील ने कहा कि उसे उसके स्कूल के सहपाठी रहे डेविड कोलमैन हेडली ने फंसाया। राणा पर आरोप है कि उसने शिकागो स्थित अपने आव्रजन कानून कारोबार की एक शाखा हेडली को मुंबई में खोलने दी और डेनमार्क में कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर यात्रा करने में उसकी मदद की।
अभियोजकों का कहना है कि राणा जानता था कि हेडली ने आतंकवादी के तौर पर प्रशिक्षण लिया है। हेडली ने मुंबई और ताज महल पैलेस होटल की रेकी करने की सूचना साझा की थी, जहां बंदूकधारियों ने दर्जनों लोगों की हत्या कर दी थी। राणा 11 जून को यहां अदालत में पेश हुआ था। कैलीफोर्निया में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में डिस्ट्रिक्ट जज जैकलीन चूलजियान ने शुक्रवार को उसके मामले में सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख तय की।