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बाबरी मस्जिद का मामला फिर गूंजेगा सुप्रीम कोर्ट में

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, लखनऊ.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सीबीआई अदालत के बाबरी मस्जिद के आरोपियों को बरी किए जाने को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. वादी हाजी महबूब और सैयद अखलाक की . याचिका को आदालत ने 30 सितंबर, 2020 को खारिज करके बाबरी मस्जिद विध्वंस के अभियुक्तों को बरी कर दिया था.

हाजी महबूब और सैयद अखलाक 8 जनवरी 2021 को हाईकोर्ट गए

इस फैसले के खिलाफ अयोध्या के हाजी महबूब और सैयद अखलाक 8 जनवरी 2021 को हाईकोर्ट गए थे. हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने 9 नवंबर 2022 को याचिका कर्ताओं को पीड़ित न मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया था.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अदालत की राय है कि अपीलकर्ताओं की ओर से धारा 372 CRPC के तहत दायर की गई तत्काल आपराधिक अपील, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के तहत, उत्तरदायी है. ट्रायल कोर्ट की ओर से पारित दिनांक 30 सितंबर 2020 के फैसले और आदेश को चुनौती देने के लिए अपील कर्ताओं के ठिकाने की अनुपलब्धता के आधार पर खारिज कर दिया जाना चाहिए, इसलिए, इसे खारिज कर दिया जाता है.

अयोध्या में अदालत ने अपने फैसले में ही स्वीकार कर लिया

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य और प्रवक्ता सैयद कासिल रसूल इलियास ने एआईएमपीएलबी के बाबरी अभियुक्तों को बरी किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि हम शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट का रुख करने जा रहे हैं. अयोध्या में अदालत ने अपने फैसले में ही स्वीकार कर चुकी है कि बाबरी मस्जिद का तोड़ा जाना एक आपराधिक कृत्य था.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की 5 जज की बेंच ने ऐतिहासिक अयोध्या फैसला सुनाते हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस को कानून के शासन का गंभीर उल्लंघन माना था। आरोपी अभी भी कानून की पहुंच से बाहर हैं.अपीलकर्ता हाजी महबूब और सैयद अखलाक, दोनों अयोध्या के निवासी हैं. वे सीबीआई के गवाह थे. आरोप है कि उनके घरों पर 6 दिसंबर 1992 को अभियुक्तों द्वारा इकट्ठा की जा रही भीड़ ने हमला कर जला दिया गया था. ये दोनों लोग टेढ़ीबाजार और दुराही कुंआ के रहने वाले हैं। यह स्थान घटना स्थल के पास ही है.