नदवा के शरीया एकेडमी में चर्चा : तलाक का इस्तेमाल इस्लामी शरीयत में बुरा
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,लखनऊ
इस्लामी शरीयत में तलाक का इस्तेमाल ज्यादा नापसंद किया जाने वाला काम है. तलाक के मामले में जल्दबाजी न करें बल्कि इससे बचने के लिये हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिये. नदवतुल उलमा की शरिया एकेडमी के कार्यक्रम में शरिया और इल्मी दुनिया की तमाम हस्तियों ने तलाक के मामलों से बचने के तमाम सुझाव दिये.
दारुल उलूम नदवतुल उलमा के अल्लामा हैदर हसन खान लेक्चर हॉल में तफ्हीम ए तलाक और उसकी किस्में विषय पर आयोजित प्रोग्राम में चीफ गेस्ट सेवानिवृत्त जज एसएम हसीब ने कहा कि तलाक का इस्तेमाल बहुत बुरा है. शरीयत में इसको सख्ती से मना किया गया है. उन्होंने कहा, तलाक जैसी समस्या से बचने के लिये हमें अपने बच्चों को शरीयत की जानकारी देनी होगी. उन्होंने वकीलों से अपील करते हुये कहा कि तलाक जैसी घरेलू समस्याओं के मामलों में जल्दबादी न करें.
उन्होंने कहा कि समस्याओं को बातचीत के जरिये हल करने की कोशिश करेंगे तो मुकदमे की नौबत नहीं आयेगी.
नदवा के शिक्षक मौलाना रहमतउल्लाह नदवी ने कहा कि तफ्वीज (सौपना) ए तलाक की किस्मों पर चर्चा करे हुये कहा कि शरीयत में इस बात की गुंजाइश है कि पति अपनी बीवी की मांग पर या खुद तलाक देने का हक अपनी बीवी को या किसी तीसरे शख्स को दे सकता है. इसको तफ्वीज ए तलाक कहते हैं.
हाईकोर्ट के वकील अतीकुज्जमा ने 1939 में पेश हुए कानून इनफिसाख निकाह मुस्लिमात पर रोशनी डाली. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने कहा कि महिला और पुरुष जब एक दूसरे के हकों का ख्याल रखेंगे तो अलगाव में खुद कमी आएगी. कार्यक्रम का आगाज मौलाना डॉ. मोहम्मद अली नदवी ने कुरान की तिलावत से की. मौलाना मुनव्वर सुलतान नदवी ने संचालन किया.