नमाजियों से लड़की को भिड़ाकर नफरत फैलाने वालों के गाल पर मक्का मस्जिद का करारा तमाचा
ब्यूरो रिपोर्ट।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना संक्रमण नियंत्रण से बाहर है। यहां संक्रमितों की संख्या डेढ लाख के उपर पहुंच गई है। ऐसे में सभी मिल-जुलकर कैसे महारोग को नियंत्रित करें, इसपर विचार करने के बाजए समाज में नफरत फैलाने वाले इनदिनों मुंबई में साम्प्रदायिकता की आग भड़काने की कोशिश में हैं। हालांकि, ऐसे माहौल में भी भिवंडी की मक्का मस्जिद साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनी हुई है। यहां बिना किसी भेद-भाव के कोरोना संक्रमितों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है।
ग़ौरतलब है, मुंबई कई सांप्रदायिक दंगों और आतंकी हमलों का गवाह रहा है, जिसकेे दिए जख्त से अब तक लोग उबर नहीं पाए हैं। साम्प्रदायिकता के लिहाज से आज भी इस चमचमाते शहर के कई हिस्से संवेदनशील माने जाते हैं। इसकी परवाह किए बगैर कुछ लोग शहर के माहौल को बिगाड़ने पर आमादा हैं। इसके लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाया गया है। इन दिनों ट्वीटर पर एक वीडियो वायरल कराया जा रहा है, जिसमें करिश्मा नाम की एक लड़की मुंबई की किसी मस्जिद में घुसकर अजान पर आपत्ति उठा रही है। वीडियो में उसे चिल्लाते हुए नमाजियों को पागल, झूठा इंसान, चिल्ला के बात मतकर, बोलते देखा जा सकता है। घटना जिस तरह शूट की गई और और जिस तरह सोशल मीडिया पर वायरल कराया जा रहा है, उससे स्पष्ट है कि लड़की को मस्जिद में भेजने का उद्देश्य कुछ और था। पूरा ड्रामा योजनाबद्ध लगता है। घटना पर जैसी प्रतिक्रिया आ रही हैं, उससे कयास को बल मिलता है। ट्वीटर पर जयपुर से गुरूचरण सिंह लिखते हैं,‘‘ शाबाश करिमश, नाज है तुम जैसी हिंदू बेटियों पर।‘‘ वीडियो पर कुंवर अजयप्रताप सिंह, आदित्य शुक्ला सरीखे लोगों की भी प्रतिक्रियाएं आई हैं, जो एक खास पार्टी के आईटी सेल से जुड़े हैं। दोनों ने अपनी प्रतिक्रिया में लड़की की सुरक्षा पर चिंता प्रकट की है। जैसे यह टुच्ची घटना इस दर्जे की है जिससे लड़की की जान को खतरा हो सकता है।
वीडियो को वायर कराने में खुद को हिंदुत्व का अलमबरदार साबित करने में लगी बॉलीवुड की दोयम दर्जे की कलाकार पायल रोहतगी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। मजे की बात है, वह अपने ट्वीटर हैंडल पर सभी धर्मों को सम्मान देने की बात कहती हैं, पर करिश्मा का वीडियो वायरल करते उन्हें इतना भी ख्याल नहीं आया कि ऐसी बातों से माहौल खराब होता है। लड़की की बातचीत से पता चलता है कि मस्जिद बीस वर्ष पुरानी है। इसपर कायदे से पायल को लड़की की तु-तड़ाक की भाषा पर आपत्ति जताते हुए उसे नसीहत देनी चाहिए थी कि यदि अजान को लेकर कोई बात है तो वह पुलिस के पास जाए। मस्जिद में घुसकर नजाजियों से लड़ना अच्छी बात नहीं। चूंकि पायल रोहतगी नफरती गैंग में शामिल हैं, इसलिए उनसे फिलहाल ऐसी बातों की उम्मीद बेमानी है।
वैसे, पायल रोहतगी जैसे लोगों की नसीहत के लिए इस समय मुंबई के भिवंडी पूर्व के शांति नगर की मक्का मस्जिद बेहतर मिसाल पेश कर रही है। इसके एक हिस्से को कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। यहां आने वाले मरीजों को बेड, ऑक्सीजन, खाने-पीने की सुविधा मुफ्त उपलब्ध कराई जा रही है। भिवंडी सांप्रदायिक दंगे के लिए बदनाम रहा है। ऐसे संवेदनशील इलाके की मस्जिद में इलाज के लिए आने वालों से कोई भेद-भाव नहीं किया जा रहा। मीडिया रिपोर्ट कहती हैं कि यहां से अब तक 100 के करीब रोगी ठीक होकर जा चुके हैं, जिनमें 30 हिंदू थे। यह कोविड सेंटर जमात-ए-इस्लामी हिंद और शांति नगर के सहयोग सामूहिक सहयोग से चल रहा है। मस्जिद की प्रबंधन कमेटी के सदस्य रियाज शेख कहते हैं कि यहां पानी, बाथरूप की सुविधा पहले से थी, इसलिए सेंटर स्थापित करने में कोई परेशानी नहीं हुई। चूंकि नफरती गैंग को साम्प्रदायिक सौहार्द की बातें अच्छी नहीं लगती, इसलिए मक्का मस्जिद का प्रचार न कर उदंड लड़की के समर्थन में खड़े हैं।
——
यह वेबसाइट भविष्य की आपकी आवाज है। इसे बुलंदी देने के लिए आर्थिक सहयोग दें।
संपादक