आरएसएस की नसीहत पर सवाल, कर्नाटक मंदिर मेला में मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार का बैनर
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, दक्षिण कन्नड़
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने हालिया एक इंटरव्यू में मुसलमानों को बड़बोलापन छोड़ने और इस इतिहास को भूलने की नसीहत दी गई थी कि उन्होंने इस देश पर एक हजार तक राज किया है. मगर लगता है वह अपने ही लोगों को नसीहत देना भूल गए.
यही वजह है कि आरएसएस से जुड़े विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के सदस्यों ने शनिवार को मेंगलुरु शहर के पास कवुरु में एक धार्मिक मेले में मुस्लिम व्यापारियों के खिलाफ बहिष्कार का बैनर लगाया है.धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के तहत आने वाले श्री महालिंगेश्वर मंदिर के परिसर में बैनर लगाया गया है. धार्मिक मेला 14 से 18 जनवरी तक चलेगा.
इससे पहले, अधिकांश स्टाल मुसलमानों द्वारा लगाए जाते रहे हैं. इस बार स्टॉल लगाने का ठेका बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को दिया गया है.बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कहा कि मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक में बहिष्कार का निर्णय लिया गया है.बैनर में कहा गया है कि व्यापार करने का अवसर केवल उन हिंदू व्यापारियों को दिया जाएगा जिनकी हिंदू धर्म और परंपराओं में आस्था है.
बैनर में कहा गया है, मूर्ति की पूजा को हराम मानने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भाजपा विधायक भरत शेट्टी करते हैं. विकास के मद्देनजर, पुलिस विभाग ने मंदिर के परिसर और आसपास के क्षेत्रों में सिटी आर्म्ड रिजर्व (सीएआर) के बलों और प्लाटून की प्रतिनियुक्ति की है.
चिंताजनक बात यह है कि ऐसे आपत्तिजनक बैनर पर स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है और ‘हिंदू-मुस्लिम डीएनए’ होने की वकालत करने वाला आरएसएस भी इस मुददे पर खामोश है. इससे अर्थ निकाला जा रहा है कि या तो इस तरह की कार्रवाई का अंदरखाने आरएसएस को समर्थन प्राप्त है या अब बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे अपने ही संगठन पर इसकी पकड़ कमजोर हो चुकी है ? यदि देश की यह स्थिति रहेगी तो फिर कैसे शांति बने रहने की उम्मीद की जाए ? देश का माहौल खराब करने की कोशिश करने वाले नहीं चाहते कि कोविड महामारी के बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर आए.