कौन और क्यों चाहता है बिहार अव्यवस्था का शिकर बने
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पटना
जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल जब से बिहार में एक हुए हैं, एक तबका सांप्रदायिकता के लिहाज से शांत इस प्रदेश में पलीता लगाने के साथ नितिश सरकार को अस्थितर करने की कोशिश में है. कभी सरकार गिराने का षड़यंत्र रचा जाता है तो कभी नाना प्रकार के आरोप लगा कर ऐसे-ऐसे जगहों पर छापेमारे जाते हंै, जो हमेशा देश को शांति का संदेश देता रहा है.
यहां यह सवाल अहम है कि यदि खुफिया निगाहों में यह स्थान बेहद संवेदनशील हैं और किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की यहां तैयारियां चल रही थीं, तो यह सब अब क्यों पता चल रहा है ? जाहिर है कि वहां लंबे समय से कथित तौर पर गैर-कानूनी या दोविरोधी गतिविधियां चल रही होंगी. शुरूआत में क्यों नहीं दबोचा . लंबे समय तक इंतजार क्यों किया. यदि वे अपने षड़यंत्र को अंजाम देने में सफल होते है तो इसका जिम्मेदार कौन होता ?
इनही गंभीर सवालांे के बीच बिहार से दो और विचलित समाचर है, जिसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कोई बिहार को बदनाम और अस्थिर करने में क्यों लगा है ?
उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम जैसा सांप्रदायिक दंगा-फसाद वाला बिहार का कभी इतिहास नहीं रहा है. भागलपुर दंगा छोड़ दें तो इस मामले में बाकी प्रदेशों से बिहार का रिकाॅर्ड बेहतर है.
अब खबर आई है कि जुलाई 2022 में केंद्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने फलवारीशरीफ में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ठिकानों पर छापा मारा था. इस छापेमारी में एनआईए ने 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश का पर्दाफाश किया था. इस मामले में सात लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. अब इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है जो काफी हैरान करने वाला है.
इसके के साथ ही यह खबर भी काबिल-ए-गौर है कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर हमलों को लेकर नितिश सरकार को बदनाम करने के लिए एक तबके ने पूरा जोर लगा दिया था. अब खुलसा हुआ है कि एक फर्जी पत्रकार षड़यंत्र रचकर बिहार को बदनाम करने में लगा था.
समाचार एजंेंसी आईएएनएस की एक खबर के अनुसार, बिहार पुलिस ने तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमलों का फर्जी वीडियो बनाने वाले मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. बिहार पुलिस के एक प्रवक्ता के अनुसार, दो आरोपी मनीष कश्यप और यूराज सिंह फरार हैं. पुलिस जमुई जिले के मूल निवासी आरोपी अमन कुमार को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी ह. प्रवक्ता ने कहा, मुख्य आरोपी गोपालगंज जिले के मूल निवासी राकेश रंजन कुमार ने 6 मार्च को 2 व्यक्तियों की मदद से जक्कनपुर थाना अंतर्गत पटना की बंगाली कॉलोनी में किराए के मकान में फर्जी वीडियो बनाया था. उसने अपराध कबूल कर लिया है. वीडियो बनाने के पीछे बिहार और तमिलनाडु की पुलिस को गुमराह करना था. प्रवक्ता ने कहा कि हमने राकेश रंजन कुमार के मकान मालिक से भी पूछताछ की, उन्होंने भी पुष्टि की है कि वीडियो उनके घर पर बनाया गया था.
उन्होंने कहा,जांच दल ने पटना में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) पुलिस स्टेशन में राकेश रंजन, मनीष कश्यप, यूराज सिंह और अमन कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.पुलिस ने कहा कि राकेश रंजन कुमार द्वारा बनाए गए एक वीडियो को 8 मार्च को मनीष कश्यप नाम के व्यक्ति ने ट्वीट किया था. उसने वीडियो को बीएनआर न्यूज हनी नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था.
प्रवक्ता ने बताया, वीडियो में दो लोग किसी चीज से बंधे नजर आ रहे हैं. वीडियो संदिग्ध लग रहा था. जांच के दौरान सामने आया कि वीडियो राकेश रंजन कुमार ने बनाया था. उसे गोपालगंज से हिरासत में लेकर ईओयू थाने में पटना लाया गया. उसने अपराध कबूल कर लिया. प्रवक्ता ने विस्तार से बताया.
पुलिस के मुताबिक मनीष कश्यप के खिलाफ सात आपराधिक मामले दर्ज है. वह पुलिस टीम पर हमला करने में भी शामिल था. पुलवामा की घटना के बाद, वह पटना के ल्हासा बाजार में कुछ कश्मीरी व्यापारियों की पिटाई करने में शामिल था और जेल की सजा काट चुका है. वह पूर्व में कई आपत्तिजनक सांप्रदायिक पोस्ट अपलोड करने में भी शामिल था.
आरोपी यूराज सिंह भी फर्जी वीडियो अपलोड करने में शामिल था. उसके खिलाफ तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है. वह तीन माह पहले भोजपुर जिले के नारायणपुर गांव में फायरिंग में शामिल था और फरार चल रहा है.प्रवक्ता ने कहा कि मधुबनी के एक युवक की तमिलनाडु में हत्या शीर्षक वाली कहानी एक हिंदी दैनिक में प्रकाशित हुई थी. हालांकि, तिरुपुर जिले (तमिलनाडु) के एसपी ने इस खबर का खंडन किया.
बहन की शादी टलने के बाद शंभू मुखिया नाम के युवक ने आत्महत्या कर ली थी. उसकी पत्नी ने 5 मार्च को तिरुपुर जिले के मंगलम पुलिस थाने में एक आवेदन दिया था और उसने दावा किया था कि उसके पति ने अपनी कलाई काट ली है.
बिहार पुलिस ने तमिलनाडु की घटना के संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की और विभिन्न सोशली मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड किए गए 30 वीडियो की पहचान की. पुलिस ने 26 संदिग्ध सोशल मीडिया खातों की भी पहचान की और 42 अन्य सोशल मीडिया खातों को नोटिस दिए गए. अब यह खुलासा होना बाकी है कि इस साजिश में कौन लोग हैं. उन्हें कौन फंडिंग कर रहा है. किस देश से और कौन पैसे भेज रहा है. इन आरोपियों का किस संगठन से संबंध है. ये किसके लिए काम करते हैं और बिहार में अराजकता फैलाने के पीछे इनका उद्देश्य क्या है ? उम्मीद की जा रही है कि नितिश कुमार सरकार इन सवालों पर से पर्दा उठाकर राष्ट्रवादी सोच रखने वाले चेहरों पर से नकाब हटाएगी.