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पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद का नाम सुझाने वाले अमृतसर के उस्ताद काजी अब्दुल रहमान के परिवार को 63 साल बाद मिला इनाम

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

पड़ोसी देश से एक दिलचस्प खबर है. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद का नाम सुझाने वाले अमृतसर के उस्ताद काजी अब्दुल रहमान अमृतसरी की सेवाओं के सम्मान में उनके उत्तराधिकारियों को 63 साल बाद बतौर पुरस्कार भूखंड देने का ऐलान किया गया है.प्रधानमंत्री आवास की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने इस्लामाबाद का नाम प्रस्तावित करने वाले काजी अब्दुल रहमान अमृतसरी की सेवाओं को मान्यता देते हुए पाकिस्तान सरकार द्वारा किए गए वादे को पूरा किया है.

प्रधानमंत्री ने सीडीए के प्रस्ताव पर काजी अब्दुल रहमान अमृतसरी के वारिसों को पार्क एन्क्लेव इस्लामाबाद में भूखंड का आवंटन पत्र भेंट किया.गौरतलब हो कि पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अध्यक्ष जनरल अयूब खान के समय काजी अब्दुल रहमान को इस्लामाबाद में एक प्लॉट देने की घोषणा की गई थी.

प्रधानमंत्री ने काजी अब्दुल रहमान के वारिसों से मुलाकात के दौरान कहा कि देश स्कूल शिक्षक काजी अब्दुल रहमान अमृतसरी को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने इस्लामाबाद को पहचान दी.बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने अध्यक्ष सीडीए को अगले 24 घंटे में बाकी प्रक्रिया पूरी करने और वारिसों को प्लॉट का कब्जा देने के निर्देश जारी किए हैं.बैठक में पत्रकार हामिद मीर भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को इंगित करने के लिए हामिद मीर को धन्यवाद भी दिया है.

कौन थे काजी अब्दुल रहमान ?

काजी अब्दुल रहमान का जन्म वर्ष 1908 में अमृतसर के भट्टेवुड इलाके में हुआ था. प्राथमिक शिक्षा अमृतसर से लेने के बाद उन्होंने लाहौर के इस्लामिया कॉलेज में दाखिला लिया.भारत के विभाजन के बाद काजी अब्दुल रहमान पंजाब के साहीवाल जिले के आरिफवाला इलाके में चले गए.

उन्होंने साहीवाल जिले के विभिन्न विद्यालयों में शिक्षक के रूप में कार्य किया और फिर 1968 में वे टाउन कमेटी हाई स्कूल से प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए.साल 1960 से कुछ समय पहले जब पाकिस्तान की नई राजधानी का नाम सुझाने की बात शुरू हुई तो अखबारों में एक विज्ञापन छपा गया, जिसमें नाम सुझाने वाले को इनाम देने का वादा किया गया.

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उसके बाद कई लोगों ने नामों का सुझाव दिया लेकिन 24 फरवरी 1960 को हुई एक कैबिनेट बैठक में काजी अब्दुल रहमान अमृतसरी ने इस्लामाबाद नाम पर सहमति जताई.यह नाम और इसके प्रस्तावक, स्कूल शिक्षक काजी अब्दुल रहमान के नामों की घोषणा तत्कालीन सूचना मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने की थी. अयूब खान ने पुरस्कार के रूप में काजी अब्दुल रहमान को इस्लामाबाद में एक नहर भूखंड देने का वादा किया.

काजी अब्दुल रहमान एक शायर भी थे. उनका कविता संग्रह होय तैय्यबा 1981 में प्रकाशित हुआ था. काजी अब्दुल रहमान की मृत्यु 25 अप्रैल 1990 को हुई थी.