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रामनवमी हिंसा: चुप क्यों हैं मदनी, जंग, कुरैशी और मोहन भागवत

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

रामनवमी के जुलूस को लेकर देश के कई हिस्से में हिंसा भड़की हुई है, पर गंगा-जमुनी संस्कृति और भाईचारे को बढ़ाने की दुहानई देने वाले पत्रकार शाहिद सिद्दीकी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व राज्यपाल नजीब जंग, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदर महमूद मदनी सरीखे मुस्लिम रहनुमा और मुस्लिम बुद्धिजीवि चुप्पी साधे बैठे हैं.

देश के इन उल्लेखनीय लोगों को क्या इल्म नहीं था कि रामनवमी को लेकर देश के कई संवेदनशील इलाकों में हिंसा भड़क सकती है ? यह इल्म था तो उन्होंने आफत आने से पहले बचाव के क्या उपाय किए ? यदि उन्हें हिंसा की घटना होने की आशंका का इल्म नहीं था तो क्या नहीं लगता कि उन्हें खुद के बुद्धिजीवी और मुस्लिम रहनुमा होने का तमगा त्याग देना चाहिए.

चिंताजनक बात यह है कि मस्जिदों, मजारों में घुसकर मारपीट करने, भगवा झंडा फहराने, दुकानों को आग के हवाले करने, एक दूसरे पर पथराव करने की देश भर से खबरें आने के बावजूद मुस्लिम बुद्धिजीवी एवं मुस्लिम रहनुमा खामोशी अख्तियार किए हुए हैं.

रामनवमी के दौरान पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में हिंदुओं पर हमले की बात कही जा रही है. इसको लेकर बीजेपी नेताओं ने आसमान सिर पर उठा रखा है. यहां तक कि कुछ नेता घटना की एनआईए से जांच कराने की वकालत कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गृह मंत्री अमित शाह के दफ्तर से भी पश्चिम बंगाल की घटनाओं पर बारीक नजर रखने के संकेत दिए गए हैं.

मगर गुजरात के वदोरा सहित देश के बाकी जगहों का क्या, जहां दंगाई मस्जिदों और दरगाहों में घुस आए, तोड़-फोड़ की. भगवा झंडा फहरा दिया. मुसलमानों की दुकानों लूटकर जला दी. घरों से पथराव किए गए. मगर इन घटनाओं को लेकर सत्ता रूढ़ दल के किसी राजनेता का अब तक कोई बयान नहीं आया है. पीड़ित मुसलमान पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लगा रहे हैं. प्रशासनिक स्तर पर उन्हें अब तक संतुष्ट करने का भी कोई प्रयास नहीं किया गया है. यहां तक कि हिंदू-मुसलमानों का डीएनए एक बताने वाले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी खामोश हैं.

आखिर यह खामोशी क्यों ? इसके पीछे क्या राज है ? तमाम सोशल मीडिया पर ऐसी घटनाएं छाई हुई हैं. ट्विटर पर कई जगहों की हिंसक झड़प की घटनाओं के वीडियो चल रहे हैं. इसमें कितनी सच्चाई है ? शासन-प्रशासन की ओर से अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है.

यदि कोई सोशल मीडिया पर ऐसे झूठे वीडियो डालकर देश में अशांति फैलाने का मंशा रखता है तो अब तक ऐसे लोगों को बेनकाब क्यों नहीं किया गया ? इन घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर चलने वाले कुछ वीडियो यहां डाले जा रहे हैं. मगर मुस्लिम नाउ डाॅट नेट इनकी पुष्टि नहीं करता. बावजूद इसके चाहता है कि पूरे मामले की जांच हो, क्यों कि कई वीडियो इतने भयानक हैं कि इसे देखकर किसी का भी शासन-प्रशासन से विश्वास डिग सकता है. इस तरह के तमाम वीडियो को देखकर लगता है कि जिसका जहां पड़ला भारी रहा, वहां उसने जमकर उत्पात मचाया. अलग बात है कि इन घटनाओं में अधिक मुसलमानों के नुकसान पहुंचने की खबर है.

साथ ही इन घटनाओं ने यह भी साबित किया है कि सरकारी सूचना तंत्र उतना सजग नहीं है जितना होना चाहिए. यदि इन घटनाओं के पीछे कोई विदेशी साजिश थी तो वे कामयाब रहे और हम लाठी भी पीट नहीं सके.

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