जानिए रमजान में पाकिस्तान के मेमन परिवारों में सदियों पुराने कौन से व्यंजन अधिक बनते हैं
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, कराची
दक्षिणी पाकिस्तानी शहर कराची में हर रमजान, मेमन परिवार पीढ़ियों से चली आ रही अपनी रेसिपी के आधार पर व्यंजन तैयार करते हैं और उसे सेहरी और इफ्तार खाकर पुरानी यादें ताजा करते हंै.मेमन, एक मुस्लिम जातीय समूह. इसकी उत्पत्ति भारत के कच्छ, गुजरात और काठियावाड़ क्षेत्रों के छोटे शहरों और गांवों में हुई है. भारत में उन्हंे दाउदी बोहरा कहा जाता है.
1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण के बाद, बड़ी संख्या में मेमन पाकिस्तान चले गए. विशेष रूप से बंदरगाह शहर कराची में.मेमन परंपरागत रूप से एक व्यापारिक समुदाय है. 18वीं और 19वीं शताब्दी में उन्होंने भारत की सीमाओं से परे यहां रहना शुरू किया. मेमन भोजन दक्षिण भारतीय, बंगाली और अरब व्यंजनों से व्यापक रूप से प्रभावित है. मेमन के पूर्वज अक्सर इन क्षेत्रों में व्यापार के कारण यात्रा करते रहे हैं. यही वजह है कि इनकी विधियों में इन देशोंका असर दिखता है.
मेमन समुदाय के 48 वर्षीय खाद्य सलाहकार यासिर बिल्लू ने बताया,हम बगासरा, भारत से हैं. यह गुजरात का एक छोटा सा शहर है. जब (मेरी) दादी-नानी विभाजन के समय वहां से चली गईं, तो हमें ये व्यंजन वहां से मिले, उन्हांेने कहा,हम इसे (नुस्खा) सरल रखना पसंद करते हैं. ये खाने हमें हमारी नानी, दादी की याद दिलाते हैं.
मेमन समुदाय की सम्मानित सदस्य 80 वर्षीय सईदा हारून ने कहा कि धनिया, पुदीना और अन्य जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से मेमोनी व्यंजनों का स्वाद बढ़ जाता है.हम खाना पकाते समय बहुत अच्छी तरह से टॉस करते हैं. हम खाने में ताजगी लाने के लिए धनिया, पुदीना और हरा प्याज मिलाते है.
उन्हांेने बताया, स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए हम बहुत अधिक तेल का उपयोग नहीं करते है.बिल्लू ने कहा कि मेमानों के व्यंजनों में कुछ ऐसे व्यंजन हैं जो इफ्तार की थाली या रमजान के रात के भोजन के लिए विशेष तौर से बनाए जाते हैं.
रमजान के दौरान मेमन के घरों में बनने वाली मुख्य तली हुई चीजों में बाजरे के कबाब अवश्य शामिल होताा है. इसके अलावा बिना अंडे के नर्गिसी कबाब, लैंबे कबाब (बेलनाकार आकार के कबाब) और प्यूरी भी होता है.बिल्लू ने कहा कि बाजरे के आटे के कबाब खुरदरे, गोल आकार में बनाए जाते हैं, जिसमें ताजा स्वाद के लिए हरे प्याज डाले जाते हैं. लंम्बे कबाब, कीमा , ब्रेड, अंडे, जड़ी-बूटियों और मसालों से तैयार किया जाता है. इसे लंबे बेेलन जैसा आकार दिया जाता है. यह नुस्खा दादी के समय से चला आ रहा है.
बिल्लू ने चिली या प्यूरे को मेमन के व्यंजन का एक बहुत अनूठा और महत्वपूर्ण हिस्सा बताया.उन्होंने कहा, हमारे स्वादिष्ट और मीठे चीले, जिन्हें हम प्यूरे कहते हैं, चीनी में डूबी हुई और (स्वादिष्ट) जो अंडे से बने होते हैं. रमजान के दौरान बहुत ज्यादा पकाए जाते है.यह कागज जैसी पतली होती है. इसे हम नाश्ते में भी ले सकते हैं. यह आमतौर पर रमजान की डिश है.
75 वर्षीय दादी मेहरुन रफीक ने कहा कि मेमन व्यंजन को शुद्धता के कारण स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है.रफीक ने बताया, भारत में हमारे घरों में दशकों पहले बनाया जाने वाला मेमनी व्यंजन स्वास्थ्य के लिए ज्यादा अच्छा होता था.इसमें आटा, अंडे और असली घी जैसी सामग्री शामिल थी, जो विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए बनाई जाती थी जिन्होंने हाल में बच्चों को जन्म दिया हो.
रमजान के दौरान पसंद की जाने वाली मेमनी मिठाइयों के बारे में बोलते हुए, बिल्लू ने कहा कि मीठे दूध में बने फालूदा या सेंवई नूडल्स मुख्य आइटम हैं.यह व्यंजन चाइना ग्रास पाउडर, चीनी और दूध या पानी से बनाया जाता है. रूह अफजा, भारत और पाकिस्तान में लोकप्रिय एक मीठा लाल शरबत है, जिसका उपयोग रंग, स्वाद और मीठी सुगंध जोड़ने के लिए किया जाता है.
उन्हांेने कहा कि मेमनी रेसिपी बनाना आसान है. रमजान के दौरान इफ्तार में खाने के लिए कई रेसिपी पहले से तैयार कर ली जाती है.व्यक्तिगत रूप से, हम व्यंजनों में कोई बदलाव नहीं करना पसंद करते हैं. वे बहुत सरल है. हमारे मेमनी व्यंजनों की सुंदरता यह है कि इसका स्वाद साधारण होता है. चार से पांच सामग्रियों को मिलाकर अविश्वसनीय स्वाद दिया जा सकता है.