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यूपीः योगी राज में अब तक 183 एनकाउंटर, विपक्ष बोला-अधिकांश फर्जी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

यूपी पुलिस द्वारा अतीक अहमद के बेटे असद को कथित मुठभेड़ में मार गिराने के बाद सवालों की बौछार शुरू हो गई है. ओवैसी ने जहां मुठभेड़ के बहाने मुसलमानों को निशाना बनाने का मुदद्दा उठाया है, वहीं विपक्षी दलों का आरोप है कि योगी राज में पुलिस के अधिकांश मुठभेड़ फर्जी हैं. वहीं,गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद के बेटे असद और उसके सहयोगी की झांसी में मौत के साथ, उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए कथित अपराधियों की संख्या योगी आदित्यनाथ की छह साल की सरकार में 183 हो गई है.

यूपी पुलिस के आंकड़ों से पता चला है कि मार्च 2017 से राज्य में 10,900 से अधिक पुलिस मुठभेड़ हुई हैं, जब आदित्यनाथ ने पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला.इन मुठभेड़ों में 23,300 कथित अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और 5,046 घायल हुए.आंकड़ों से पता चलता है कि उनमें घायल हुए पुलिसकर्मियों की संख्या 1,443 है और 13 लोग मारे गए.

मार्च 2017 के बाद से मुठभेड़ों में मारे गए 13 पुलिसकर्मियों में से आठ कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के सहयोगियों द्वारा कानपुर जिले के एक गांव की एक संकरी गली में घात लगाकर हमला किया गया था.दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से यूपी लाए जाने के दौरान कथित तौर पर भागने की कोशिश में पुलिस ने गोली मार दी थी. पुलिस ने कहा कि रास्ते में दुबे का वाहन पलट गया था और उसने एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली थी.

विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, 20 मार्च, 2017 से अब तक राज्य में पुलिस मुठभेड़ों में 183 अपराधियों को मार गिराया गया है.हालाकि, विपक्षी दलों और सरकार के आलोचकों ने आरोप लगाया है कि इनमें से कई मुठभेड़ फर्जी थे. तथ्यों को सामने लाने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई. यूपी सरकार और पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है. कहा है कि 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है.

गुरुवार को झांसी में असद और उनके सहयोगी गुलाम की गोली मारकर हत्या के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने पूरे मामले की जांच की मांग उठाई है.असद और गुलाम दोनों उमेश पाल की 2005 में तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल और इस साल फरवरी में प्रयागराज में उनके दो सुरक्षा गार्डों की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या के मामले में वांछित थे.

झांसी में उनकी हत्या के कुछ घंटों बाद, यादव ने सुझाव दिया कि पुलिस मुठभेड़ फर्जी हो सकती है.उन्होंने कहा, फर्जी एनकाउंटर कर भाजपा सरकार असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी को कोर्ट पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है. आज की और हाल की अन्य मुठभेड़ों की गहन जांच होनी चाहिए और दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि क्या सही है और क्या गलत. भाजपा भाईचारे के खिलाफ है, ”

इसके तुरंत बाद, मायावती ने भी घटना के पूर्ण तथ्यों और सच्चाई को सामने लाने के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की क्योंकि कई तरह की चर्चा हो रही है. उन्हांेने मुठभेड़ को दुबे की हत्या से भी जोड़ा.लेकिन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस कार्रवाई पर पुलिस को बधाई दी है.

उन्हांेने कहा, यदि आप अपराध नहीं करते हैं तो कोई भी आपको छूएगा नहीं. और अगर वे अपराध करते हैं तो किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी राज्य में पुलिस मुठभेड़ों की बड़ी संख्या पर सवाल उठाए हैं.

मानव अधिकारों पर पीपुल्स सतर्कता समिति के संस्थापक-संयोजक लेनिन रघुवंशी ने बताया,हमारा विचार है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास पुलिस मुठभेड़ों पर कुछ दिशानिर्देश हैं.े दिशा-निर्देशों के अनुसार मजिस्ट्रियल जांच होनी चाहिए. यह तस्वीर को स्पष्ट करेगा.

प्रयागराज पुलिस कमिश्नरेट के तहत गुरुवार को अतीक अहमद के बेटे और उसके सहयोगी की मुठभेड़ सातवीं थी. उमेश पाल हत्याकांड में यह इस तरह की तीसरी मुठभेड़ भी है.फरवरी और मार्च में उमेश पाल की हत्या में कथित तौर पर शामिल दो लोगों को गोली मार दी गई थी.पुलिस ने बताया कि उमेश पाल की हत्या के वक्त असद सीसीटीवी में कैद हो गया था. वह 50 दिन से फरार था.

सपा के पूर्व विधायक अतीक अहमद ने आशंका व्यक्त की है कि अहमदाबाद की एक जेल से प्रयागराज लाए जाने के दौरान, जहां वह एक अन्य मामले में बंद थे, यूपी पुलिस द्वारा उनकी हत्या की जा सकती है. असद की मां बेटे की मौत से पहले ऐसी ही आशंका जता चुकी है. यही नहीं मुठभेड़ स्थल पर झकाझक सफेद कपड़े मंे लाश भी कई तरह की चुगली कर रही थी.