पुलवामा मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछने की जगह सत्यपाल मलिक पर क्यों भड़क रहे ओवैसी ? एआईएमआईएम चीफ बोले-आपने शहीदों के साथ होली खेली
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पर अक्सर भारतीय जनता पार्टी की बी टीम होने का आरोप लगता रहा है. खासकर चुनावों में मुसलमान के प्रभाव वाली सीटों पर जिस तरह से अपने उम्मीदवारों को उताकर सेक्युलर पार्टियों का खेल बिगाड़ते रहे हैं, उससे एआईएमआईएम के माथे पर लगा कलंक गहराता जा रहा है. इससे इतर ओवैसी का अब एक दूसरा रूप सामने आया है.
पुलवामा के आतंकवादी हमले को लेकर जब समुचा विपक्ष केंद्र सरकार पर हाथ धोकर पड़ा हुआ है. ओवैसीजम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर ही भड़के हुए हैं.मलिक द्वारा केंद्र सरकार का ‘भंडा फोड़’ करने से जहां विपक्ष और पुलवामा मंे शहीद हुए परिवारों मंे खलबली मची हुई, इसके विपरीत ओवैसी सरकार की बोली बोल रहे हैं. हद यह कि केंद्र से सवाल पूछने की जगह सत्यपाल मलिक को ही घरा है.
केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में 2019 के पुलवामा हमले से संबंधित सुरक्षा चूक पर अपनी चुप्पी को लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने हाल में ‘खुलासा’ किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा और 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान इसका इस्तेमाल किया.
ओवैसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा किए गए एक वीडियो क्लिप में कहा कि मलिक अपनी नौकरी बचाने के लिए चुप रहे. ओवैसी ने कटाक्ष करते हुए कहा- भारत के लिए आपके मन में किस तरह का प्यार है सत्यपाल मलिक? अपनी स्थिति बचाने के लिए, आपने हमारे शहीदों के खून से होली खेली. ” हालांकि मलिक वायर के अपने एक्सलुसिव इंटरव्यू में कह चुके हैं कि पुलवामा घटना के बाद पीएम मोदी से बात होने से पहले मीडिया को बता चुके थे इसमें हमारी यानी सरकार की बड़ी चूक है. बावजूद इसके ओवैसी जैसे बैरेस्टर नेता मलिक पर बयान देते समय उनकी कही गई पुरानी बातों को हजम कर गए.
सत्यपाल मालिक जी! भारत से ये तुम्हारी कैसी मोहब्बत है? राज्यपाल की कुर्सी बचाने के लिए भारत के शहीदों के खून से होली खेले। – Barrister @asadowaisi pic.twitter.com/lsbUqQuqvJ
— AIMIM (@aimim_national) April 26, 2023
बता दें कि 2019 में, पुलवामा जिले के लेथपोरा में आतंकी अहमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान चली गई थी.उनके काफिले को विस्फोटकों से भरे वाहन ने टक्कर मार दी थी. यह एक आत्मघाती हमला था. इसमंे पैंतीस सैनिकों के घायल होने की सूचना है.
मलिक पर हमला करते हुए, ओवैसी ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल अपने कर्तव्यों में विफल रहे और अब राजनीतिक लाभ के लिए सच्चाई का काम कर रहे हैं.ओवैसी ने कहा,आपको हमला होने के तुरंत बाद सामने आना चाहिए था और सच्चाई का खुलासा करना चाहिए था, लेकिन आपने एक शब्द भी नहीं बोला, क्योंकि आपको अपने पद से प्यार था.
ओवैसी ने आगे आरोप लगाया कि मलिक की चुप्पी इस बारे में बहुत कुछ कहती है कि बाद वाले 2019 में नरेंद्र मोदी को सत्ता में वापस लाना चाहते थे. “जब पुलवामा हमला हुआ, तो मेरे सहित पूरे देश ने हमले की निंदा की. लेकिन आपने चुप रहना चुना. तब आपकी तथाकथित देशभक्ति कहां गई? आपने उस समय सच नहीं बोला क्योंकि आप चाहते थे कि मोदी लोकसभा चुनाव जीतें.
द वायर के साथ एक विस्फोटक साक्षात्कार में, सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक के बारे में जानते थे, लेकिन उन्हें चुप रहने के लिए कहा. मलिक ने यह भी कहा कि मोदी को देश में भ्रष्टाचार की स्थिति की परवाह नहीं है. उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार करण थापर से कहा, मैं सुरक्षित कह सकता हूं प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार से बहुत ज्यादा परेशानी नहीं है.
उनके साक्षात्कार से सरकार को विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं से कड़ी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं.साक्षात्कार के तुरंत बाद, मलिक को कथित बीमा घोटाले के लिए सीबीआई द्वारा बुलाया गया था, जबकि कई लोगों का मानना है कि ये साक्षात्कार द्वारा बनाए गए आफ्टरशॉक थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सम्मन और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ मलिक के आरोपों के बीच कोई संबंध नहीं है.
मेरी जानकारी के मुताबिक उन्हें (मलिक) दूसरी या तीसरी बार बुलाया गया है. जांच चल रही है. कोई नई जानकारी या सबूत सामने आया होगा और उसे तीसरी बार बुलाया गया है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है कि उन्हें हमारे खिलाफ बोलने के लिए बुलाया गया है.
अमित शाह ने कहा, जब आप सत्ता में हैं तो आत्मा क्यों नहीं जगी है.इस तरह की टिप्पणियों की विश्वसनीयता लोगों, पत्रकारों को दिखनी चाहिए,अगर यह सब सच है तो जब वह राज्यपाल थे तो चुप क्यों थे मैं देश की जनता से कहना चाहता हूं कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसे छिपाने की जरूरत हो. अगर हमें छोड़ने के बाद व्यक्तिगत, राजनीतिक स्वार्थ के लिए कुछ टिप्पणियां की जाती हैं, तो उनका मूल्यांकन जनता, मीडिया द्वारा किया जाना चाहिए.