हैदराबादः दंगा फैलाने की साजिश, मक्का मस्जिद में जय श्री राम के नारे लगाए, दो धरे गए
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,हैदराबाद
देश का एक तबका वोटों के ध्रुवीकरण के लिए हमेशा सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की फिराक मंे रहता है. कर्नाटक में चूंकि विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है, इसी बीच पड़ोसी सूबा तेलंगाना की
मक्का मस्जिद में जय श्री राम के नारे लगाए गए. इस आरोप में महाराष्ट्र के दो लोगों को हुसैनियालम पुलिस ने गुरुवार को हिरासत में ले लिया है. यह पहली बार है कि इस तरह की घटना मस्जिद के अंदर हुई है, जो देश के सबसे बड़े ऐतिहासिक मुस्लिम अबादत गाहों में से एक है.
पुलिस के मुताबिक, गुरुवार दोपहर में तीन लोग अनमोल, विशाल और वेंकट मक्का मस्जिद आए. अंदर जाने के बाद, उन्होंने जय श्री राम के नारे लगाए. यह नारे अक्सर हिंदूवादियों की रैलियों या किसी अल्पसंख्यक विरोधी हमले के दौरान लगाए जाते हंै. इस घटना के बाद विशाल तो फरार हो गया, पर उसके दो साथी धर लिए गए.
इसकी भनक लगते ही मक्का मस्जिद में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तुरंत हिरासत में ले लिया और हुसैनियालम थाने को इसकी सूचना दी. पुलिस की एक टीम ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उनसे पूछताछ कर रही है.
पुलिस मौके से फरार अन्य व्यक्ति की पहचान कर गिरफ्तारी के प्रयास में लगी है. घटना के बाद मक्का मस्जिद की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मस्जिद का भी दौरा किया. यह चारमीनार क्षेत्र में स्थित है. साथ ही एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी केंद्र है.
क्या है मक्का मस्जिद का महत्व ?
हैदराबाद में मक्का मस्जिद गोलकोंडा काल (1518-1687) की 17वीं शताब्दी की एक मस्जिद है. इसका निर्माण सुल्तान मोहम्मद कुतुब शाह, कुतुब शाही (या गोलकोंडा) राजवंश के पांचवें सम्राट (जिसने 1591 में हैदराबाद की स्थापना और निर्माण भी किया था) द्वारा शुरू किया गया था.
सुल्तान मोहम्मद कुतुब शाह हैदराबाद के संस्थापक मोहम्मद कुली कुतुब शाह के भतीजे थे. उन लोगों के लिए मस्जिद का निर्माण करने का फैसला किया जो हज यात्रा के लिए मक्का की यात्रा नहीं कर सकते थे. किंवदंती के अनुसार, वह कथित तौर पर काबा से एक ईंट लाने में कामयाब रहे, जो 1616 में मक्का मस्जिद की नींव का हिस्सा थी.
हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि हैदराबाद के संस्थापक प्रधानमंत्री मीर मोमिन अस्त्राबादी ने भविष्यवाणी की थी कि जो कोई भी मस्जिद को पूरा करेगा वह अंतिम राजा होगा. इसलिए, सुल्तान मोहम्मद कुतुब शाह ने जाहिर तौर पर अपनी योजनाओं को छोड़ दिया, जिसे गोलकुंडा साम्राज्य के अगले दो राजाओं ने पूरा करने की कोशिश की लेकिन असफल रहे.
हालांकि 1687 तक, औरंगजेब के अधीन मुगल साम्राज्य ने अपना दक्षिणी विस्तार किया और हैदराबाद (गोलकोंडा साम्राज्य) उत्तर भारतीय साम्राज्य में समाप्त होने वाला अंतिम डेक्कन राज्य था. हैदराबाद 1687 में अंतिम घेराबंदी में लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया था. इसके बाद मुगलों के अधीन मक्का मस्जिद लगभग 1695 तक बनकर तैयार हो गई थी.