धर्मांतरण मामला: क्यों जमानत मिलने के डेढ़ महीने बाद जेल से रिहा किए गए मौलाना कलीम सिद्दीकी
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
मौलाना कलीम सिद्दीकी जेल से रिहा हो गए. उन्हें पिछले महीने 5 अप्रैल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जमानत दी थी. मौलाना को यूपीएटीएस की एक टीम ने साल 2021 में गिरफ्तार किया था. हाईकोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस सरोज यादव और एआर मसौदी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मौलाना कलीम सिद्दीकी को जमानत देने का फैसला किया. मौलाना पर व्यापक रूप से अवैध तरीकों से धर्मांतरण का आरोप लगाया गया था.
दरअसल, उमर गौतम मामले की जांच के दौरान मौलाना कलीम सिद्दीकी का नाम सामने आया था. यूपीएटीएस ने धर्मांतरण के आरोप में मौलाना मुहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया था. इस बीच, पुलिस ने दावा किया था कि ये शख्सियत कथित तौर पर धर्म परिवर्तन का रैकेट चला रहे थे.
इसी सिलसिले में मौलाना कलीम सिद्दीकी को सितंबर 2021 में मेरठ से गिरफ्तार किया गया था. मौलाना की गतिविधियों को संदिग्ध बताया गया था. उस समय यूपी पुलिस ने दावा किया था कि मौलाना कलीम सिद्दीकी देश में सबसे बड़ा धर्मांतरण रैकेट चला रहे हैं.
इसके अलावा, मौलाना पर गैर-मुस्लिमों को गुमराह करने, उन्हें डर के मारे धर्मांतरित करने और दावा गतिविधियों के लिए तैयार करने का भी आरोप लगाया गया था. आरोप था कि इन कामों के लिए विदेशों से भारी फंडिंग की जा रही है. पुलिस का कहना था कि इन अवैध पैसों का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराया जा रहा है.आरोप है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी के ट्रस्ट को बहरीन से 1.5 करोड़ रुपये और विदेशी फंडिंग से 3 करोड़ रुपये मिले.