Muslim World

भारत-पाकिस्तान के बीच जमी बर्फ पिघलेगी ? गोवा में एससीओ की बैठक, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने स्वागत शब्दों का किया आदान-प्रदान किया, हाथ मिलाया

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने के लिए गोवा, भारत पहुंच गए हैं. इसके साथ ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या दोनों पड़ोसी देशों के बीच रिश्तों में पड़ी बर्फ के पिघलने का वक्त आ गया है ?

बहरहाल, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और उनके भारतीय समकक्ष जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के अवसर पर हाथ मिलाया. भारतीय विदेश मंत्री द्वारा विदेश मंत्रियों की परिषद के सम्मान में रात्रिभोज दिया गया. सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी रात के खाने में सबसे अंत में पहुंचे. जब बिलावल भुट्टो पहुंचे, तो जयशंकर ने अपनी सीट पर खड़े होकर हाथ मिलाया. दोनों विदेश मंत्रियों ने हाथ मिलाने के दौरान स्वागत के शब्दों का आदान-प्रदान किया. दोनों विदेश मंत्रियों के बीच कोई अलग बैठक नहीं हुई. बिलावल भुट्टो जरदारी से पहले रात्रिभोज समारोह में पहुंचे, रूसी विदेश मंत्री, बिलावल भुट्टो और रूसी विदेश मंत्री आपसी बैठक के कारण रात्रिभोज में देरी से पहुंचे.दोनों विदेश मंत्रियों ने बैठक में आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की. विदेश मंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा और लोगों से लोगों के संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर चर्चा की.

उन्होंने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन ने रूस के साथ सहयोग और समन्वय के लिए नए अवसर खोले हैं. इससे पहले बिलावल भुट्टो- जरदारी ने भारत यात्रा के लिए रवाना होते समय कहा कि वह मित्र देशों के विदेश मंत्रियों के साथ रचनात्मक चर्चा करेंगे. इस बीच भारत दौरे पर आए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस सवाल का जवाब दिया कि जब बिलावल भुट्टो जरदारी और जयशंकर ने हाथ मिलाया तो पुरानी कड़वाहट कहीं नजर नहीं आई. इसके जवाब में मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि आप इसे कुछ ज्यादा ही अहमियत दे रहे हैं, यह सामान्य शिष्टाचार है. एक मेजबान ने अतिथि का स्वागत किया, कोई नया विकास नहीं हुआ. फिर बैठक हुई और उन्होंने उनका स्वागत किया. जैसे उन्होंने अन्य सभी विदेश मंत्रियों का स्वागत किया.

जियो न्यूज के संवाददाता एजाज सैयद ने सवाल किया कि इस बैठक पर कई लोग नजर रख रहे हैं.जुलाई महीने में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भी यहां आमंत्रित किया जाएगा, क्योंकि नरेंद्र मोदी उन्हें एससीओ के तहत आमंत्रित करेंगे. क्या यह उम्मीद की जा रही है कि अगर नरेंद्र मोदी का न्योता आएगा तो क्या शहबाज शरीफ भी भारत आएंगे? विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने जवाब दिया कि इस समय कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. हम इस तरह के फैसले पहले से नहीं लेते हैं. जैसे विदेश मंत्री की यात्रा पर फैसला बहुत देर से किया गया था, इसलिए हम अभी से प्रधानमंत्री के दौरे की योजना बना रहे हैं. कोई निर्णय नहीं ले सकते. एक अन्य सवाल के जवाब में विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह एससीओ सम्मेलन है और पाकिस्तान की प्राथमिकताएं पाकिस्तान पेश करता है और आगे भी पेश करता रहेगा. यह शंघाई कॉर्पोरेशन संगठन के साथ हमारी प्रतिबद्धता है. इसके अलावा हम इस क्षेत्र में कॉर्पोरेट और सुरक्षा और कनेक्टिविटी में आर्थिक निगम को उजागर करने की कोशिश करते हैं, जो हम हमेशा करते हैं और इस बार भी उजागर करेंगे.

बिलावल, लावरोव की मुलाकात, पाकिस्तान-रूस के साथ सहयोग के नए रास्ते खुले

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए भारत पहुंच गए हैं.विदेश कार्यालय के अनुसार, बिलावल भुट्टो जरदारी ने गुरुवार को गोवा पहुंचने के बाद शंघाई सहयोग संगठन के इतर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की.

बयान में कहा गया है कि बैठक में आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई.पाकिस्तानी और रूसी विदेश मंत्रियों ने खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा और जनसंपर्क में सहयोग का विस्तार करने के लिए मिलकर काम करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया.

विदेश कार्यालय का कहना है कि शंघाई सहयोग संगठन ने रूस के साथ सहयोग और समन्वय के नए रास्ते खोले हैं.बाद में गुरुवार की रात, बिलावल भुट्टो जरदारी ने शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों के सम्मान में अपने भारतीय समकक्ष जयशंकर द्वारा दिए गए रात्रिभोज में भाग लिया.

इस मौके पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने हाथ मिलाकर एक-दूसरे का हालचाल पूछा.इससे पहले गोवा पहुंचने पर बिलावल भुट्टो ने एक ट्वीट कर कहा कि आज मैं सबसे पहले रूस के विदेश मंत्री से मिलूंगा और उसके बाद उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री से मुलाकात करूंगा.

उन्होंने कहा कि इसके बाद वह बैठक में शामिल होने वाले सभी विदेश मंत्रियों को दिए जाने वाले रात्रिभोज में शामिल होंगे.बिलावल भुट्टो जरदारी ने इससे पहले भारत आने पर पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में कहा कि वह गोवा पहुंचकर और एससीओ की बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर बहुत खुश हैं.

उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि एससीओ की बैठक सफल होगी.इससे पहले बिलावल भुट्टो जरदारी ने रवानगी से पहले ट्विटर पर एक वीडियो संदेश में कहा कि उनकी यात्रा का फोकस शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक पर होगा.उन्होंने कहा, मेरे जाने से स्पष्ट संदेश जाता है कि पाकिस्तान एससीओ को महत्व देता है और इसकी सदस्यता को गंभीरता से लेता है.

बिलावल भुट्टो ने कहा कि इस बैठक में भाग लेने का उनका निर्णय शंघाई सहयोग संगठन चार्टर के प्रति पाकिस्तान की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है.यात्रा के दौरान, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. मैं मित्र देशों के विदेश मंत्रियों के साथ रचनात्मक चर्चा के लिए उत्सुक हूं.शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक गोवा में आयोजित की जा रही है.पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि बैठक में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

बयान के मुताबिक, बहरीन, कुवैत, मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात और म्यांमार को डायलॉग पार्टनर बनाने के लिए भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.इस मौके पर तीन और चार जुलाई को नई दिल्ली में होने वाली 17वीं एससीओ काउंसिल ऑफ स्टेट्स ऑफ हेड्स की बैठक के एजेंडे और फैसलों को भी अंतिम रूप दिया जाएगा.

वहीं पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चैधरी ने विदेश मंत्री के दौरे की निंदा की. कहा कि बिलाल भुट्टो वीडियो लिंक के जरिए बैठक में शामिल हो सकते थे.पिछले 12 साल में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की यह पहली भारत यात्रा है. इससे पहले 2011 में पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत का दौरा किया था.

भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार और राजनयिक संबंध 5 अगस्त, 2019 से जमे हुए हैं, जब भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया और इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया.पाकिस्तान ने एकतरफा फैसले के रूप में इस कदम की आलोचना की और कश्मीरियों के मतदान के अधिकार के लिए अपना रुख दोहराया.

5 अगस्त, 2019 के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक संबंध तनावपूर्ण बने रहे और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत सरकार की आलोचना करते रहे.इस दौरान भारत प्रशासित कश्मीर में पुलवामा हमले, पाकिस्तान पर भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक और भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तानी क्षेत्र में पकड़ने और छोड़ने जैसी घटनाओं पर दोनों देशों के बीच गर्मागर्म बयानों का आदान-प्रदान जारी रहा.

अब पाकिस्तान में स्थापित गठबंधन सरकार के दौर में पाकिस्तान के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे को एक बड़े घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है.