कर्नाटक चुनाव 2023: भारतीय जनता पार्टी की नफरत की राजनीति में कांग्रेस का पलीता
मुस्लि नाउ स्पेशल
एग्जिट पोल के नतीज से बिलकुल मिलता जुलता परिणाम है कर्नाटक विधानसभा चुनाव का. कांग्रेस बिना किसी बाहरी मदद के इस प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है.
दरअसल, इस विधानसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस के अलावा उन लोगों के लिए भी खुशी का पैगाम है जो देश की ‘ गंगा जमुनी संस्कृति ’ के हामी रहे हैं. पिछले दो वर्षों में भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में ‘ध्रुवीकरण’ के नाम पर देश की दूसरी बड़ी आबादी ‘मुसलमन’ को ‘नजरंदाज’ और ‘अपमानित’ करने का जो प्रयास, वह कर्नाटक की आम अवाम को कतई पसंद नहीं आया.कर्नाटक में कांग्रेस का भारी मतों से जीतना, भारतीय जनता पार्टी के लिए किसी सबक से कम नहीं. हिमाचल प्रदेश के बाद अब कर्नाटक भी उसके हाथ से फिसल चुका है.
पूरा भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व पिछले आठ-नौ वर्षों से देश के मूल मुद्दों और समस्याओं से इतर ‘हिंदू-मुसलमान’ के खेल में उलझा हुआ है. देश की आम अवाम को अनुदान में मिली रोटी नहीं, हक-हलाल से कमाई हुई रोटी चाहिए. रोगजार चाहिए. देश की आंतरिक-बाहरी सुरक्षा चाहिए. वास्तविक विकास चाहिए. देश की जनता को भाड़े के टट्टुओं द्वारा पैदा किया झूठा शोर नहीं चाहिए. सरकार ऐसा काम करे के लोगों के दिलों से अपने आप तारीफ निकले. यहां तक कि विरोधी भी तारीफ करने को मजबूर हो जाए. देश ने ऐसे कई मौके देखे हैं. जनता ऐसे अवसर बार-बार देखना चाहती है.
कर्नाटक में पिछले दो वर्षों से क्या हो रहा था ? प्रदेश की समस्या को समाप्त करने, बुनियादी ढाचा मजबूत करने और भ्रष्टाचार खत्म करने को ठोस पहल करने की बजाए हिजाब, हलाल, मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार, मुसलमानों के आरक्षण रदद करने और द केरल स्टोरी के नाम पर प्रदेश के मुसलमानों और हिंदुओं को भिड़ाने की कोशिश की जाती रही. हद तो तब हो गया जब भाजपा और देश के शीर्ष पदों को सुशोभित करने वाले नेता चुनाव प्रचार के दौरान सीना ठोक कर मुसलमानों के आरक्षण को समाप्त करने और केरल स्टोरी की वकालत करते नजर आए. वे भूल गए कि किसी पार्टी के आला नेता के अलावा वह देश के दो शीर्ष पदों की नुमाइंदगी करने वाले भी हैं. कर्नाटक की जनता ने उन्हें ठुकरा कर करारा जवाब दिया है.
भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक के बंपर पराजय से सबक लेगी या नहीं, यह तो समय बताएगा, पर इससे यह साबित हुआ है कि देश की जनता अब भाड़े के नारेबाजों से उब चुकी है. उसे फिर से सांप्रदायिक सौहार्द के माहौल में देश-प्रदेश को आगे बढ़ाने वाली सरकार चाहिए. जो पार्टी ऐसी सरकार देगी वह रहेगी, जो नहीं देगी उसे जाना होगा.