Religion

Karnataka State Board of Wakfs का फरमान, कब्रिस्तान में मयत दफ़नाने से मना किया तो होगी कार्रवाई

स्टॉफ रिपोर्टर।
कोविड-19 से मौत होने पर मयतों को दफ़नाने में आ रही परेशानियों को देखते हुए कर्नाटक वक्त बोर्ड सख्त हो गया है। अब ऐसी शिकायतें मिलने पर इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या संस्था के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अभी कर्नाटक सहित देश के विभिन्न हिस्से के कब्रिस्तानों में शवों को दफनाने में कई तरह की परेशानियां आ रही हैं। अक्सर कब्रिस्तान प्रबंधन अपने यहां शव दफ़नाने से मना कर देता है।
 कोरोना संक्रमण से मरने पर आम तौर से हिंदुओं केे शवों के अंतिम संस्कार में अधिक दिक्कतें नहीं आ रही हैं। परिजन यदि शव लेने से मना करते हैं तो अस्पताल प्रबंधन किसी गैर सरकारी संस्था की मदद से दाहस-संस्कार करा देता है। मगर मुसलमानों के महामारी से मरने पर शवों को दफनाने को लेकर अजीब सी स्थिति बनी हुई है। मरीज अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दे तो शव दफनाने में उसके परिजनों के पसीने छूट जाते हैं। अधिकतर मुस्लिम कब्रिस्तान अपने यहां महामारी से मरे वालों के शव दफ़नाने नहीं देते। बिहार के गया शहर में एक जूता दुकाने के मालिक के कोरोना से मृत्यु के बाद शव दफ़नाने के लिए उनके परिजनों को काफी भाग दौड़ करनी पड़ी। इलाके के कब्रिस्तान प्रबंधक के मना करने पर शव को कई किलोमीटर दूर के कब्रिस्तान में दफनाया गया। हरियाणा के गुरूग्राम में भी मुस्लिमानों के वों को दफ़नाने में दिक्कत आ रही है। आबादी के बीच एक कब्रिस्तान ने शव लेने से मना कर दिया है। ऐसे मामले कर्नाटक राज्य में अधिक देखने को मिल रहे हैं। हाल में प्रदेश के बेल्लारी में एक साथ एक गड्ढे में आठ शव दबा दिए गए। दूसरी तरफ एक परिवार ने अपने परिजन की मौत पर दफनाने की व्यवस्था न होने पर शव थ्रीव्हीलर पर लादकर कब्रिस्तान भेज दिया। इस्लामिक नजरिए से मुसलमान की मौत पर नमाज-ए-जनाज़ा और कब्रिस्तान में दफनाया अनिवार्य है। मगर कोरोना काल में सब उलट-पुलट गया है। कब्र की जगह यदि कब्रिस्तान में मिल भी जाए तो शवों को उसे इस्लामिक नियामुनासर नहीं दफनाया जा रहा। कब्र के अंदर लड़की के फट्टे नहीं डाले जा रहे। दस फीट जमीन खोदकर मिट्टी में शव को दबा दिया जा रहा है। ऐसे कब्रों को अगले दस साल तक खोलने की मनाही है। आम दिनों में साल डेढ साल बाद ही पुराने कब्र  खोलकर दूसरे जनाजे को दफना दिया जाता है।

दफ़नाने से इनकार की बढ़ती प्रवृति
कब्रिस्तान प्रबंधन समितियों के लाशों को दफ़नाने से इनकार की बढ़ती प्रवृति को देखते हुए कनार्टक वक्फ बोर्ड ने इस बारे में सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। बोर्ड की ओर से सूबे के तमाम पंजीकृत और गैर पंजीकृत मुस्लिम कब्रिस्तानों की प्रबंधन समितियों, मुतव्वलियों एवं प्रशासकों को हिदायत दी गई है कि यदि उन्होंने अपने यहां शव दफनाने से मना किया तो उनके खिलाफ वक्फ बोर्ड के अधिनियम 1995 और दंड संहिता की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। कब्रिस्तान प्रबंधक को हटाया भी जा सकता है। बोर्ड ने कहा है कि हर सभ्य नागरिक के शव को पूरे सम्मान से अंतिम संस्कार का हक है। उसके अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती। बोर्ड ने कर्नाटक के तमाम जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों तथा बोर्ड की राज्य एवं जिले की सलाहकार समितियों से भी आदेश का पालन कराने का आग्रह किया है।


तस्वीरेंः सोशल मीडिया से साभार
संबंधित खबर यहां पढ़ें
-–नोटः वेबसाइट आपकी आवाज है। विकसित व विस्तार देने तथा आवाज की बुलंदी के लिए आर्थिक सहयोग दें। इससे संबंधित विवरण उपर में ‘मेन्यू’ के ’डोनेशन’ बटन पर क्लिक करते ही दिखने लगेगा।
संपादक