शिया उलेमा के उपाध्यक्ष मौलाना हसन अली रजनी की संयुक्त राष्ट्र से अपील, अजमेर 92 और 72 हूरें पर लगाए प्रतिबंध
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, दार एस सलाम
पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया की राजधानी दार एस सलाम से भारत के शिया उलेमा के उपाध्यक्ष मौलाना हसन अली रजनी ने कहा कि फिल्म केरल फाइल्स अफ्रीकी देशों में जोर शोर से चल रही है. इसके अलावा कई फिल्में हैं, जिसपर सवाल उठ रहे हैं.
भारत में बनी फिल्म अजमेर 92 पर भी सवाल उठ रहे हैं. मौलाना हसन अली रजनी ने कहा कि आज के दौर में जब अंतरराष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विश्वसनीय नहीं रहा है तो ये नाचने गाने वालों पर कितना विश्वास किया जा सकता है. बावजूद इसके ऐसे दुष्टों का साथ देकर दुनिया का वातावरण नहीं बिगाड़ा जाना चाहिए.
मौलाना रजनी ने कहा कि इस तरह के देशद्रोह के बाद कुछ घर उजड़ जाते हैं. कुछ लोग जेल चले जाते हैं और उसके बाद माफी मांगकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.
मौलाना रजनी ने कहा कि हम जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के उस बयान का समर्थन करते हैं, जिसमें अरशद मदनी ने रिलीज हुई फिल्म अजमेर 92 को समाज में दरार पैदा करने की कोशिश बताया है.
मौलाना रजनी ने कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी की यह दरगाह भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता का केंद्र है. मौलाना रजनी ने कहा कि जुर्म यह नहीं है, बल्कि जुर्म के बहाने किसी जगह को बदनाम करना कानूनन जुर्म है. साझी विरासत के लिए यह स्वाभाविक रूप से हानिकारक है. ऐसे सूफी प्लेटफॉर्म की सख्त जरूरत है.
रजनी ने आगे कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह इबादत और आज्ञाकारिता का केंद्र है. यह समाज को बांटने और आतंकवाद फैलाने का केंद्र कैसे हो सकता है. इसलिए हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि ऐसी फिल्म पर प्रतिबंध लगाए और समाज को बांटने की कोशिश करने वालों को हतोत्साहित करे.
उन्हांेने कहर कि इसकी आड़ में देश को तोड़ने वाले विचारों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए. न ही यह हमारे देश हित में है. रजनी ने कहा कि वर्तमान दौर में जिस तरह से इस तरह की फिल्मों का इस्तेमाल सस्ती प्रसिद्धि हासिल करने और विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को निशाना बनाकर शरारत करने के लिए किया जा रहा है, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और एक स्थिर देश का माहौल खराब करने वाला है. यह दृढ़ संकल्प को कमजोर करने वाली कार्रवाई है, जिसका परिणाम कुछ दिनों में आपके सामने आ जाएगा.
रजनी ने कहा कि दो साल पहले पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में कितना कुछ कहा गया. खूनखराब हुआ. बावजूद इसके मामलों को ठंडे बस्ते में रखा गया है. बेगुनाहों को बेगुनाह मारते रहते हैं. लोग इस तरह के मामलों को पूरी दुनिया में उछालते हैं, इसलिए हम न केवल भारत सरकार से, बल्कि दुनिया की सरकारों के साथ संयुक्त राष्ट्र से अपील करते हैं कि वे इस तरह की दंगाई सामग्री का प्रसार नहीं होने दें. इस क्रम में 72 हूरें और अजमेर 92 जैसी फिल्मों पर पूरी दुनिया में प्रतिबंध लगएं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया पर भी नकेल कसनी चाहिए ताकि दुनिया में शांति और व्यवस्था कायम रह सके.