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कांफ्रेंस का मतलब बैठना और खाना-जाना नहीं है : मौलाना हसन अली रजनी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,दार एस सलाम

मौलाना हसन अली रजनी ने कहा कि जिस मुल्क में इमाम खुमैनी जैसी शख्सियत आ गई, अब यह कहावत हो गई है कि कांफ्रेंस का मतलब बैठना और खाना-जाना रह गया है. अगर ऐसा है तो ऐसे मुल्क की संस्कृति और सभ्यता, उसकी अर्थव्यवस्था और समाज की व्यवस्था कभी भी लंबे समय तक नहीं रह सकती.

मौलाना हसन अली रजनी पूर्वी अफ्रीका के तटीय शहर दार एस सलाम में ‘ईटिंग एंड डिसमिसिंग, ईटिंग, स्क्रैचिंग एंड स्लीपिंग’ शीर्षक से आयोजित एक भव्य कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.उन्होंने कहा कि कभी ऐसी सोच रखने वाला राष्ट्र जीवित और समृद्ध नहीं होता. ऐसा समाज कभी भी समय की मांगों का सामना नहीं कर सकता.

इस सम्मेलन में मौलाना हसन अली रजनी ने कहा कि ऐसे में राष्ट्र की सोच डर से अंधी हो जाती है. उन्होंने कहा कि खोखले नारों में तो अमेरिका भी मर गया और इजरायल भी. सामूहिक निर्णयों के लिए उसकी इच्छाशक्ति कमजोर हो गई है, जो कि किसी भी बड़े फैसले के लिए सामूहिकता का सिद्धांत है.

उन्होंने कहा कि अपने भीतर के डर के तहत अमेरिका किसी का भी कंधा तलाशता रहता है. ठीक वैसे ही जैसे ईरान के हर अपराधी के पीछे अमेरिका और इस्राइल का भूत सवार है. हालांकि किसी भी बड़े या कठिन निर्णय की जिम्मेदारी अकेले न उठाने का साहस हर देश का एक समान इतिहास रहा है, क्योंकि व्यवस्था इतने नाजुक दौर से ग्रसित है कि किसी भी निर्णय के प्रभाव में असफलता की अवधारणा हावी हो जाती है.

मौलाना रजनी ने कहा कि ईरानी से सरोकार रखने वाले चंद आदमी पूरी दुनिया में अपनी सस्ती ख्याति पाने के लिए व्यवस्था को बिगाड़ने की असफल कोशिश कर रहे हैं.मौलाना रजनी ने कहा कि हालांकि क्रूरता और अन्याय, नफरत और अनैतिकता का अंधेरा है, लेकिन हमारे मुस्लिम युवा आशा की किरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. वे इस्लामी शिक्षाओं का पालन करते हुए सूरज की तरह चमकेंगे. देश और राष्ट्र के साथ मानवता की भलाई और सुधार के लिए काम करेंगे. इसके बावजूद बैठने और खाने वाले सम्मेलन प्रतिभागियों के लिए खाने-पीने के बराबर हैं, लेकिन ऐसे सम्मेलन नई पीढ़ियों के लिए जहर हैं. इसलिए हर मुसलमान को अपनी मातृभूमि के सामने इस्लाम का संदेश फैलाना है. ईरान के लिए नहीं.

इस सम्मेलन के संदेश को प्रचारित-प्रसारित करते और इसे राजनीतिक रूप देते हुए मुसलमानों के जीवन में जहर घोलना जैसा होगा. रजनी ने कहा कि हम आपसी गलतफहमियों को दूर करना चाहते हैं. सच्ची वाणी से मन को जीत लें. मन से सेवा करें ताकि दूसरों का दिल जीता जा सके. आज हमारा मुस्लिम युवा सेवा का केंद्र है. यदि आप एक स्रोत के रूप में सेवा करते हैं, तो आप दिल जीत सकते हैं. स्वयं को शक्तिशाली बनाएं. इस्लाम के अनुयायी बनें. हमारे पात्र इस्लाम की गवाही देते हैं. मुस्लिम उम्माह सही अर्थों में इस्लाम का प्रतिनिधि बन सकते हैं.