पाकिस्तान के बिगड़े हालात से परेशान शिक्षित पेशेवर तेजी से छोड़ रहे हैं देश
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लाबाद
भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की दिन प्रतिदिन बिगड़े हालात से परेशान देश में प्रतिभा पलायन तेजी से बढ़ा है. पाकिस्तान के उच्च शिक्षित पेशेवर कहीं और बेहतर अवसरों की तलाश में देश छोड़ने लगे हंै.
ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन एंड ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट के हवाले से यूसुफ एम. फारूक ने ट्वीट किया है कि हालिया आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान से बाहर जाने वाले इंजीनियरों, डॉक्टरों, लेखाकारों और प्रबंधकों का प्रतिशत 2011 में 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 6.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है. इन आंकड़ों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है-ये शिक्षित व्यक्तियों के पाकिस्तान छोड़ने के बढ़ते चलन का संकेत है.
🧵5)There have been worse ratios in the past and every attempt should be made that the same is not repeated. The same ratio increased significantly after wars in 1971 and default and Kargil war in 1999
— Yousuf M.Farooq (@YousufMFarooq) June 10, 2023
Crisis has a direct relationship with more qualified people leaving it seems pic.twitter.com/wKo9GiVr6M
इसके अलावा पाकिस्तान मंे 2017 और 2021 के बीच गिरावट के अनुभव के बावजूद 2022 और 2023 के दरम्यान विदेशों में रोजगार के लिए पंजीकरण करने वाले श्रमिकों की संख्या में भी उल्लेखनीय बढ़ौतरी दर्ज की गई है. प्रतिभा पलायन की घटना निस्संदेह देश के भीतर कम समग्र उत्पादकता के लिए निहितार्थ है. यह कुशल प्रतिभा प्राप्त करने के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा और मंहगाई की ओर भी इशारा करते हैं.
कहा गया है कि इस डेटा का विश्लेषण करते समय जनसंख्या के शिक्षा स्तरों की बदलती गतिशीलता पर विचार करने की आवश्यकता है.वर्तमान संकट का पाकिस्तान से योग्य पेशेवरों के पलायन से सीधा संबंध बताया जा रहा है.
व्यक्तियों के बड़े पैमाने पर बहिर्वाह और उनके द्वारा वापस लाए जाने वाले प्रेषण में योगदान देने की संभावना है जिसे पाकिस्तान के ‘डच रोग’ के संस्करण के रूप में कहा जा सकता है. इस शब्द का उपयोग ऐसी स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है जहां विदेशी मुद्रा का प्रवाह इस तरह के क्षेत्रों पर अत्यधिक निर्भरता की ओर जाता है. यह सेवाओं या प्रेषण के रूप में, संभावित रूप से समग्र आर्थिक विकास में बाधा का संकेत है.