2020 दिल्ली देगाः ट्रायल कोर्ट को शाहरुख पठान की जमानत याचिका पर एक महीने के भीतर फैसला करने के आदेश
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट से कहा कि वह 2020 के दंगों के आरोपी शाहरुख पठान की नई जमानत याचिका पर एक महीने के भीतर फैसला करे. पठान पर हिंसा के दौरान सशस्त्र भीड़ द्वारा रोहित शुक्ला सहित पुलिस कर्मियों को घायल करने और दंगा करने का आरोप है.
पठान की ओर से पेश हुए वकील खालिद अख्तर ने कहा कि परिस्थितियों में बदलाव के कारण नई जमानत याचिका जरूरी हो गई है.अदालत को सूचित किया गया कि पठान की पिछली जमानत याचिका खारिज होने के बाद अभियोजन पक्ष के कुछ महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ की गई थी. आरोपी की लंबित जमानत अर्जी हाईकोर्ट से वापस लेने की मांग की गई.
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ को अख्तर ने सूचित किया कि उनकी जमानत याचिका जनवरी 2022 से उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है. उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह निचली अदालत को पठान की जमानत याचिका पर सुनवाई करने और उस पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दे.
उच्च न्यायालय ने आरोपी को याचिका वापस लेने की अनुमति दी और कहा, यह अदालत ट्रायल कोर्ट से एक महीने के भीतर जमानत याचिका का निपटारा करने का अनुरोध करती है.
इस बीच, अभियोजक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा, “आरोपी का आचरण (जेल में) बिल्कुल स्पष्ट है. उसके सेल से एक मोबाइल फोन बरामद किया गया. उन्होंने सहायक जेल अधीक्षक पर हमला कर दिया. अपराध के बाद वह खुद फरार हो गया और बाद में 3 मार्च, 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया.
एक ट्रायल कोर्ट ने दिसंबर 2021 में यह कहते हुए पठान की जमानत खारिज कर दी कि पास के कैमरे के सीसीटीवी फुटेज में दंगाई भीड़ में उसकी मौजूदगी दिखाई दे रही थी. मामले में पठान के खिलाफ पहले ही आरोप तय किए जा चुके हैं और उन्होंने जमानत के लिए पिछले साल जनवरी में उच्च न्यायालय का रुख किया था.
इससे पहले, उच्च न्यायालय को पठान द्वारा सूचित किया गया कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है.पठान के वकील ने अदालत को बतायाए पूरा मामला एक दिखावा है. हालांकि मामले में चार और आरोपी हैं. याचिकाकर्ता एकमात्र ऐसा व्यक्ति है जिसका नाम एफआईआर में नहीं है या किसी ने उसकी पहचान नहीं की है और फिर भी वह सलाखों के पीछे है. जबकि अन्य को जमानत पर रिहा कर दिया गया है.
अख्तर ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा था कि जमानत अर्जी और आरोपों पर दलीलें एक साथ सुनी गईं. जमानत इस आधार पर खारिज कर दी गई कि वह (पठान) एक अन्य मामले में आरोपी है. उसके भागने का खतरा हो सकता है और उसके बयानों में विरोधाभास है जो मुकदमे का विषय है. एफआईआर में कुल पांच आरोपी हैं. मैं एकमात्र व्यक्ति हूं जिसका न तो नाम लिया गया है और न ही उसकी पहचान की गई है, जबकि अन्य सभी का नाम लिया गया है और उसकी पहचान की गई है. पीड़िता ने उनके पते का भी खुलासा किया. फिर भी उन सभी को जमानत दे दी गई है और केवल मैं ही सलाखों के पीछे हूं. यह पूरा मामला एक दिखावा है.
वकील ने अदालत को यह भी बताया कि जमानत याचिका 15 महीने से लंबित है. उनका मुवक्किल तीन साल और एक महीने से जेल में बंद है.“मुझे कोई भूमिका नहीं दी गई है. यह उनका मामला नहीं है कि मैंने पीड़ित को गोली मारी. मुख्य पीड़िता से पूछताछ पूरी हो चुकी है. वह विरोधाभास से भरा है. कुछ भी नहीं है. उन्होंने प्रस्तुत किया था.
न्यायमूर्ति शर्मा ने तब दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक को एक चार्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें पठान सहित आरोपी व्यक्तियों की भूमिका और उनके खिलाफ दिए गए सबूतों का संकेत दिया गया था.इससे पहले फरवरी में, पठान ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि मुकदमे के समापन में लंबे समय से देरी हो रही है और अब एक साल से अधिक समय से 40 में से केवल दो गवाहों से पूछताछ की गई है.
अख्तर ने कहा, मुकदमे के समापन में भारी देरी हुई है. लगभग 40 में से अब तक केवल दो गवाहों से पूछताछ की गई है. मुझ पर जेल में भी हमला किया गया है.इसके साथ ही एक पुलिसकर्मी पर पिस्तौल तानने के मामले में भी पठान पर आरोप है.