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OIC की धमकी और मुस्लिम वल्र्ड लीग की अपील बेअसर, डेनमार्क में मिस्र, तुर्की दूतावासों के सामने फिर जली कुरान की प्रतियां

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,कोपेनहेगन

दुनिया में मुसलमानों की दो अरब आबादी और 60 के करीब मुस्लिम देश होने के बावजूद इस्लाम की बुनियाद माने जाने वाले कुरान शरीफ को जलाने की घटनाएं बंद होने का नाम नहीं ले रही हैं.ओआईसी की बंदरघुड़ी और मुस्लिम वल्र्ड लीग की शांति की थोथी अपील डेनमार्क में मिस्र, तुर्की दूतावासों के सामने फिर कुरान की प्रतियां जलने रोक नहीं पाईं.

हाल के हफ्तों में डेनमार्क और स्वीडन में इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों के बाद मंगलवार को इस्लाम विरोधी कार्यकर्ताओं के एक छोटे समूह ने कोपेनहेगन में मिस्र और तुर्की दूतावासों के सामने कुरान में आग लगा दी, जिससे मुस्लिम नाराज हो गए हैं.

डेनमार्क और स्वीडन ने कहा है कि वे इस्लाम की पवित्र पुस्तक को जलाने की निंदा करते हैं, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले नियमों के तहत इसे रोक नहीं सकते. पिछले हफ्ते इराक में प्रदर्शनकारियों ने बगदाद में स्वीडिश दूतावास को आग लगा दी थी.

मंगलवार को कोपेनहेगन में डेनिश पैट्रियट्स नामक एक समूह द्वारा प्रदर्शन किया गया, जिसके बाद समूह ने सोमवार और पिछले सप्ताह इराकी दूतावास के सामने कुरान जलाया. पिछले महीने स्वीडन में ऐसी दो घटनाएं हुई हैं.

अरब के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार दोपहर को कहा कि मिस्र ने कुरान जलाने की घटनाओं की निंदा करने के लिए स्वीडन के प्रभारी डीश्एफेयर को बुलाया.बयान में कहा गया है कि काहिरा ने प्रभारी डीश्एफेयर को पवित्र कुरान की प्रतियों को जलाने और दुरुपयोग की दुर्भाग्यपूर्ण और बार-बार होने वाली घटनाओं की कड़ी निंदा और पूर्ण अस्वीकृति के बारे में सूचित किया.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि बहरीन ने स्टॉकहोम में पवित्र पुस्तक को जलाने की निंदा करने के लिए स्वीडन के प्रभारी डी.एफेयर को बुलाया.इराक के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यूरोपीय संघ के देशों के अधिकारियों से कुरान जलाने की घटना के आलोक में तथाकथित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रदर्शन के अधिकार पर शीघ्र पुनर्विचार करने का आह्वान किया.

तुर्किये ने सोमवार को कहा कि वह कुरान पर घृणित हमला कहे जाने की कड़ी निंदा करता है और डेनमार्क से इस्लाम के खिलाफ इस घृणित अपराध को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आह्वान करता है.डेनमार्क ने आगजनी की घटना को भड़काऊ और शर्मनाक कृत्य बताते हुए इसकी निंदा की है, लेकिन कहा है कि उसके पास अहिंसक प्रदर्शनकारियों को रोकने की शक्ति नहीं है.

कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के कानून प्रोफेसर ट्राइन बॉमबाक ने डेनिश कानूनों की व्याख्या करते हुए रॉयटर्स को बताया, जब लोग प्रदर्शन करते हैं तो उन्हें अभिव्यक्ति की विस्तारित स्वतंत्रता से लाभ होता है. “इसमें केवल मौखिक अभिव्यक्ति शामिल नहीं है. लोग खुद को विभिन्न तरीकों से व्यक्त कर सकते हैं, जैसे वस्तुओं को जलाने के माध्यम से.”

सवाल यह है कि यदि डेनमार्क और स्वीडन में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी मजहब की बुनियाद को हिलाने की छूट है तो क्या मुस्लिम देशों को उन्हंे सबक सिखाने के लिए राजनायिक स्तर पर कोई कदम उठाने का अधिकार नहीं है ? ये यूएई और सउदी अरब वाले केवल अपने देश में उंची इमारतें खड़ी करने के लिए हैं? अपने मजहब को बचाने के लिए ये राजनायिक स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकते ? क्या इस मामले में दुनिया के बाकी देशों की समहायता नहीं ले सकते ताकि उनपर दबाव बनाकर ऐसी कार्रवाई रोकी जा सके. यदि ऐसी घटनाएं नहीं रोकी गईं तो कहीं कोई बाइबल जलाने लगेगा तो कहीं कोई और मजहबी किताब जलाने लगेगा. इसके अलावा ओआईसी और मुस्लिम वल्र्ड लीग के नाम पर दुकान चलाने वाले ठेकेदारों को भी यह समझना होगा कि यदि इस मामले में उन्होंने कोई ठोस पहल नहीं किया तो दुनिया तो छोड़िए उनके अपने घर में उनकी कोई पूछ बाकी नहीं रहेगी.

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