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फलक खान की फिल्म ‘चंपारण मटन’ ऑस्कर से एक कदम दूर,छात्र अकादमी पुरस्कार के सेमीफाइनल में पहुंची

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,सासाराम

बिहार के नाम एक उपलब्धि हाथ लगी है. प्रदेश के मुजफ्फरपुर की अभिनेत्री फलक खान ने अपनी लघु फिल्म ‘चंपारण मटन’ के ऑस्कर के छात्र अकादमी पुरस्कार के सेमीफाइनल दौर में पहुंचने की जानकारी साझा की है. इसके लिए उन्होंने अपनी टीम के सदस्यांे का आभार व्यक्त किया है.

एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह मध्यमवर्गीय परिवारों की रोजमर्रा की समस्याओं पर एक मार्मिक कहानी है. उन्होंने कहा, मैं पूरी टीम और इस उपलब्धि की आभारी हूं. यह हम सभी की कड़ी मेहनत का नतीजा है.”

फिल्म का निर्देशन भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान , पुणे के रंजन कुमार ने किया है.इस पुरस्कार के लिए दुनिया भर के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों की 1,700 से अधिक फिल्मों को नामांकित किया गया था. नामांकितों में ‘चम्पारण मटन’ भी शामिल है.

अभिनेत्री ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है और कि उनकी फिल्म प्रतिष्ठित सम्मान की तलाश में अंतिम दौर में पहुंचेगी.फिल्म के बारे में अधिक जानकारी साझा करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक मध्यमवर्गीय परिवार और लॉकडाउन के दौरान उनके सामने आने वाली समस्याओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जब कई लोगों की नौकरियां चली गईं.

यह एक ऐसे युवक की कहानी है, जो लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हो गया है, लेकिन अपनी व्यक्तिगत परेशानियों के बावजूद उस लड़की को पाने की कोशिश करता है जिससे वह प्यार करता है. यह फिल्म ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित ह.इसका मुकाबला उन 16 फिल्मों से होगा जिन्होंने ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवॉर्ड के सेमीफाइनल राउंड में जगह बनाई है.

कौन हैं फलक खान ?

स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड चार अलग-अलग श्रेणियों में दिया जाता है. फलक खान की फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में सेमीफाइनल में चुनी है.इस श्रेणी में अर्जेटिना, जर्मनी, बेल्जियम जैसे देशों की फिल्में चुनी गई हैं. स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों से फिल्म बनाना पढ़ रहे छात्रों की फिल्मों को दिया जाता है. ये अवार्ड 1972 से दिए जा रहे है.फलक मुजफ्फरपुर के मुजफ्फरपुर इंजीनियरिंग कॉलेज एमआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद मुंबई चली र्गइं. वहां उन्होंने एमबीए की पढ़ाई पूरी की. फिर फिल्म में काम करने और बनाने का शौक हुआ. फलक की ख्वाहिश पूरी करने के लिए परिवार वालों ने पूरा सहयोग दिया.
फलक ने अपने मुजफ्फरपुर के अपने आवास पर छोटा सा स्टूडियो बनाकर फिल्म बनाने का काम शुरू किया. आज वह दर्जनों फिल्मों में काम करते हुए कई छोटी-छोटी फिल्म बना चुकी हैं. फिलहाल वह बिहार के रोहतास जिले में एक फिल्म शूटिंग में शामिल हैं. फलक के पिता प्रोफेसर ए आर खान ने बताया वह बचपन से ही क्रिएटिव हैं. पढ़ाई के साथ फिल्मों में ज्यादा उसकी रुचि है. फलक खान मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा की रहने वाली हैं. फलक के पिता डॉ. एआर खान और मां डॉ. किश्वर अजीज खान दोनों एलएन मिश्रा मैनेजमेंट कॉलेज में प्रोफेसर हैं. उन्हें बेटी की इस उपलब्धि पर बेहद गर्व है.