‘मन की बात’ में पीएम मोदी की मुस्लिम महिलाओं की हज यात्रा पर वाहवाही बटोरने की कोशिश !
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
यह सर्वविदित है कि सऊदी अरब सरकार ने इस साल बिना मर्द के महिलाआंे को हज यात्रा करने की इजाजत दी थी. मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के माध्यम इस मामले में वाहवाही बटोरने की कोशिश करते नजर आए. उन्हांेने अपनी लच्छेदार बातों से ऐसा जाहिर किया, माने यह उनके प्रयास का नतीजा था. उनके इस प्रयास में सऊदी सरकार ने भरपूर साथ दिया. अब कोई मोदी जी से यह सवाल कर सकता है कि क्या सरकार की यह इकलौती कोशिश थी ?
इस कोशिश के तहत बिना मर्द के हज पर जाने वाली मुस्लिम महिलाओं को किस तरह की ‘विशेष सहायता’ और छूट दी गई ? क्या उनके आने-जाने का भाड़ा फ्री कर दिया गया या मोदी सरकार ने घर-घर जाकर महिलाओं को बिना मर्द हज पर जाने के लिए जागरूक किया ? अगर महिलाएं नहीं जाती तो क्या सरकार उन्हें इसके लिए प्रेरित करती ?
दरअसल, वास्तविकता यह है कि सऊदी सरकार के ऐलान के साथ ही महिलाओं ने खुद ही परिवार के मर्दों से इजाजत लेकर अकेले हज पर जाने की तैयारी शुरू कर दी थी. इस बार ऐसी लाखों महिलाएं पूरे विश्व से मर्जी के बगैर हज करने मक्का में इकट्ठी हुईं. यही नहीं इस बार भारतीय हज यात्रियों ने मक्का जाने से लेकर वापस आने तक इस दौरान होने वाली परेशानियों को लेकर कुछ ज्यादा ही शिकायत की हैं.
अल्पसंख्यक मंत्रालय से मुख्तार अब्बास नकवी को हटाने के बाद से ही हज पर जाने वालों की तरह-तरह की शिकायतें आने लगी थीं. यहां तक कि कई आवश्यक तारीखें हज पर जाने वालों को समय पर नहीं बताने के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. मगर इन सारी बातों को पीएम मोदी ‘मन की बात’ में गोल कर गए. यहां तक कि यह कहने की औपचारिकता नहीं निभाई कि अगली बार हज यात्रियों के लिए और बेहतर व्यवस्था की जाएगी.
इसके इतर सरकार का पीठ थपथपाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि इस साल भारत की मुस्लिम महिलाओं के लिए हज यात्रा बेहद खास रही. 4,000 से अधिक महिलाएं महरम (पुरुष अभिभावक) के बिना वार्षिक हज यात्रा में शामिल हुईं.
एक समाचार न्यूज एजेंसी के अनुसार,अपने मासिक रेडियो प्रसारण के 103 वें एपिसोड में राष्ट्र को संबोधित करते हुए ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने भारत की मुस्लिम महिलाओं द्वारा अपने पुरुष माता-पिता या संरक्षक के बिना हज यात्रा को बहुत बड़ा परिवर्तन बताया.
उन्होंने कहा कि उन्हें मुस्लिम महिलाओं से कई पत्र मिले हैं, जिसमें उन्होंने इस साल हज के अपने अनुभव साझा किए हैं. पीएम ने बताया,मुझे बहुत सारे पत्र मिले, जिससे मुझे बहुत खुशी हुई. ये पत्र मुस्लिम महिलाओं द्वारा लिखे गए हैं, जो हाल ही में हज यात्रा से लौटी हैं. इस वर्ष उनकी यात्रा कई मायनों में बहुत खास थी.
उन्होंने कहा, ये वे महिलाएं हैं, जिन्होंने किसी पुरुष साथी या मेहरम के साथ हज की रस्में निभाईं. ऐसी हज यात्रियों की संख्या 50 या 100 नहीं, बल्कि 4,000 से अधिक थी. यह एक बड़े परिवर्तन का प्रतीक है.पीएम मोदी ने इस साल मुस्लिम महिलाओं के लिए अनोखे हज अनुभव के लिए सऊदी अरब सरकार को भी धन्यवाद दिया.
उन्हांेने कहा, पहले, मुस्लिम महिलाओं को मेहरम के बिना हज करने की अनुमति नहीं थी. मन की बात के माध्यम से, मैं इसे संभव बनाने के लिए सऊदी अरब सरकार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं. पीएम मोदी ने बताया कि महिला हज यात्रियों के लिए विशेष रूप से महिला समन्वयक नियुक्त की गयी.एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस साल भारत की 4,314 मुस्लिम महिलाओं ने सऊदी अरब के मक्का में हज की रस्में अदा कीं.
वार्षिक हज यात्रा 26 जून से 1 जुलाई के बीच आयोजित की गई.अक्टूबर 2022 में, सऊदी अरब सरकार ने घोषणा की थी कि पुरुष रक्त रिश्तेदार जिसके साथ विवाह की अनुमति नहीं है, को अब दुनिया के किसी भी हिस्से से एक महिला तीर्थयात्री के साथ जाने की आवश्यकता नहीं होगी.
हर साल, दुनिया भर के लाखों मुसलमान मक्का की पवित्र तीर्थयात्रा पर जाते हैं. यह आध्यात्मिक यात्रा विश्वासियों के जीवन में बहुत महत्व रखती है, जो अल्लाह से जुड़ने, क्षमा मांगने और उनके विश्वास को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है. मीना जाने वालों में शामिल होने, भीड़ के साथ लब्बइक दोहराने और हज की रस्में निभाने की हार्दिक इच्छा दुनिया भर में अनगिनत मुसलमानों द्वारा साझा की जाने वाली भावना है.
हज एकता की एक अनूठी अभिव्यक्ति है. विभिन्न पृष्ठभूमियों, संस्कृतियों और राष्ट्रों के मुसलमान एक साथ हज करने के लिए मक्का की पवित्र भूमि पर इकट्ठा होते हैं.यह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक सामान्य उद्देश्य की ओर आकर्षित करता है.
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