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MANUU में दूरस्थ पाठ्यक्रमों में प्रवेश

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,हैदराबाद

मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय (डीडीई) के डिस्टेशन एजुकेशन से यदि आप स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र कार्यक्रमों में ऑनलाइन प्रवेश लेना चाहते हैं, तो यह आपके लिए बेहतर मौका है.इसके लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 25 अगस्त, 2023 है और प्रवेश शुल्क का भुगतान 31 अगस्त तक करना है.

प्रोफेसर मो. रजाउल्लाह खान, निदेशक, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के अनुसार, एमए में भी आवेदक आवेदन कर सकते हैं. विवि के उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी, अरबी, इतिहास और इस्लामी अध्ययन में बी.ए., बी.कॉम., बी.एससी. (जीवन विज्ञान), बी.एससी. (भौतिक विज्ञान) और पत्रकारिता और जनसंचार में डिप्लोमा किया जा सकता है. इसके अलावा और भी बहुत कुछ की पढ़ाई की जा सकती है. मसलन, अंग्रेजी पढ़ाने, प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा और स्कूल नेतृत्व और प्रबंधन), अंग्रेजी माध्यम से उर्दू में दक्षता.

ई-प्रोस्पेक्टस और ऑनलाइन आवेदन फॉर्म इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. अधिक जानकारी के लिए छात्र हेल्पलाइन 040-23008463 या 040-23120600 (एक्सटेंशन 2207 और 2208) से संपर्क कर सकते हैं.उम्मीदवार नई दिल्ली, कोलकाता, बैंगलोर, मुंबई, पटना, दरभंगा, भोपाल, श्रीनगर, रांची, अमरावती, हैदराबाद, जम्मू, नूंह, वाराणसी और लखनऊ में स्थित विवि के क्षेत्रीय केंद्रों ध् उप-क्षेत्रीय केंद्रों में से किसी से भी संपर्क कर सकते हैं.

सामाजिक विज्ञान को जीवित रखने के लिए नया और ताजा दृष्टिकोण प्रदान करना जरूरीः कांचा इलैया

सामाजिक विज्ञान को जीवित रहने के लिए नवप्रवर्तन करना चाहिए और पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों को विषय पर एक नया और ताजा दृष्टिकोण प्रदान करना चाहिए. यह कहना है प्रो कांचा इलैया का. वह सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोशल एक्सक्लूजन एंड इनक्लूसिव पॉलिसी की निदेशक रह चुकी हैं. वह यूजीसी-एचआरडीसी, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (एमएएनयूयू) द्वारा आयोजित राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बोल रही थीं.

उन्हांेने कहा,हम भारतीय दर्शन की तुलना में पश्चिमी दर्शन के बारे में अधिक जानते हैं. सामाजिक विज्ञान उत्तर-औपनिवेशिक प्रतिमान के वाम-उदारवादी ढांचे में अस्तित्व में है. उन्होंने कहा, पश्चिम में प्रशिक्षित शिक्षाविदों ने भारतीय शैक्षणिक उपकरणों की कीमत पर जांच के ज्यादातर पश्चिमी उपकरणों को लागू किया.

उन्होंने आगे कहा, पश्चिम पर निर्भर भारतीय सामाजिक विज्ञान प्रणाली भारतीय शैक्षणिक परंपराओं से गहराई से वाकिफ नहीं है.इससे पहले राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो अफरोज आलम ने कहा कि सामाजिक विज्ञान को भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए. लोक प्रशासन विभाग की प्रमुख प्रो कनीज जहरा ने कहा कि शासन के मुद्दे लगातार विकसित हो रहे हैं.

प्रो यूजीसी-एचआरडीसी की निदेशक सनीम फातिमा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि विषयों के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए पाठ्यक्रम को डिजाइन करने में सावधानी और उचित परिश्रम किया गया है.