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2024 लोकसभा चुनावः जानिए, कर्नाटक सरकार हिंदू भावनाओं की रक्षा में क्या-क्या कदम उठा रही है ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,बेंगलुरु

सत्ता में बने रहने के लिए राजनीतिक दल क्या-क्या नहीं करते हैं. इसी क्रम में कर्नाटक के राजनीतिक पंडितों की मानें तो 2024 के लोकसभा चुनाव पर नजर रखते हुए कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने दो महत्वपूर्ण फैसले पलट दिए हैं.राजनीतिक पंडितों का मानना ​​है,हिंदू मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए धन रोकने के आदेश को पलटने के कांग्रेस के हालिया फैसले और सौजन्या बलात्कार और हत्या मामले पर सरकार का रूख स्पष्ट रूप से इस ओर इशारा करता है.

मंदिरों के नवीनीकरण और विकास कार्यों के लिए धन जारी करना बंद करने के सरकार के फैसले की हिंदू संगठनों और भाजपा ने व्यापक निंदा की थी. राज्य के हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग द्वारा एक आदेश भी पारित किया गया और इसे सभी जिला आयुक्तों को जारी किया गया.

आदेश में कहा गया है कि अगर मंदिरों में जीर्णोद्धार का काम नहीं किया गया तो फंड जारी नहीं किया जाएगा. साथ ही अगर 50 फीसदी फंड जारी करने की प्रशासनिक मंजूरी दी गई है तो उसे भी रोक दिया जाए. यदि प्रशासनिक स्वीकृति का कोई प्रस्ताव हो तो उसे भी रोका जाए.

हालांकि, विरोध के बाद राज्य के हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने आदेश वापस ले लिया.परिवहन और मुजराई मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि चूंकि जनता के बीच आदेश को लेकर भ्रम था, इसलिए इसे वापस ले लिया गया.

उन्होंने कहा, हम मंदिरों के जीर्णोद्धार और विकास कार्य को नहीं रोकेंगे. यदि आवश्यक हुआ, तो कांग्रेस सरकार अतिरिक्त धनराशि देगी.गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि सनसनीखेज सौजन्या बलात्कार और हत्या मामले की दोबारा जांच का आदेश देने का सरकार के सामने कोई प्रस्ताव नहीं है.

17 वर्षीय सौजन्या का 9 अक्टूबर 2012 को धर्मस्थल के पास उजिरे में अपने घर जाते समय अपहरण कर लिया गया था. वह श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर कॉलेज में पढ़ती थी. अगले दिन उसका शव जंगल में उसके घर के पास नेत्रावती नदी के निकट मिला. शव अर्धनग्न अवस्था में था. एक हाथ दुपट्टे से पेड़ से बंधा हुआ था. पुलिस ने पाया कि उसके गुप्तांग गंदे थे.

सीबीआई विशेष अदालत द्वारा 11 साल की कैद के बाद मामले के आरोपियों की रिहाई के बाद कई विरोध प्रदर्शन हुए. आदेश में कहा गया कि आरोपी को फंसाया गया. रिपोर्ट तैयार करने वाले जांच अधिकारियों और डॉक्टरों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई. आरोप एक हिंदू तीर्थस्थल का प्रबंधन करने वाले एक प्रभावशाली परिवार के सदस्यों पर लगाए गए थे.

सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार पर बढ़ते दबाव के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वह इस पर विचार करेंगे कि क्या मामले की दोबारा जांच के लिए अपील करने का कोई प्रावधान है.हालाँकि, गृह मंत्री परमेश्वर ने कहा कि मामला समाप्त हो गया है. पक्ष और विपक्ष में सार्वजनिक बहस होगी और सरकार इस संबंध में मदद नहीं कर सकती है.

सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस सरकार कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहती. मामले से जुड़े किसी भी कदम से हिंदू संगठन और लाखों भक्तों द्वारा पूजनीय प्रभावशाली परिवार नाराज हो जाएंगे. हालाँकि, कार्यकर्ताओं के एक समूह ने एकजुट होकर घोषणा की है कि वे इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

चित्रदुर्ग जिले में जल प्रदूषण मामले में सात दलितों की मौत पर नरम रुख अपनाने के लिए भी कांग्रेस सरकार की आलोचना की गई.

सूत्रों ने बताया कि सरकार प्रभावशाली लिंगायत समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती. जातिवादी टिप्पणी करने के लिए कन्नड़ सुपरस्टार उपेन्द्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाली कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट मंत्री एस.एस. के इसी तरह के बयान पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है. मल्लिकार्जुन, एक लिंगायत हैं. उल्टे, इस मामले को सामने लाने वाले व्यक्ति पर ही पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया.

भाजपा ने कांग्रेस सरकार को तानाशाही करार दिया है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को हिटलर बताया है. हालांकि, कांग्रेस ने इन टिप्पणियों पर कोई बयान देने की जहमत नहीं उठाई है.