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मुसलमान केवल पंचर नहीं लगाते, आदित्य एल1 की जिम्मेदारी भी संभालते हैं, शेख मीरान की बेटी निगार शाजी ने किया साबित

मुस्लिम नाउ ब्यूरो ,नई दिल्ली

मुसलमानों की पढ़ाई लिखाई को लेकर अक्सर सवाल किए जाते हैं. यहां तक कि इस कौम पर व्यंग करने वाले इसे पंचर लगाने वाले की संज्ञा देने से भी गुरेज नहीं करते. मगर भारतीय मुसलमान अपनी हुनर, अपनी काबिलियत से यह बार बार साबित करते रहे हैं कि मुस्लिम विरोधी चाहे जो कहें, अस्लियत इससे बिल्कुल जुदा है. इसे एक बार फिर साबित किया है किसान शेख मीरान की बेटी निगार शाजी ने. जानकर आश्चर्य होगा कि यह मुस्लिम बेटी इसरो के आदित्य एल1 मिशन को पूरी तरह संभाल रही है और इनके कंधे पर ही इस मिशन की कामयाबी है. ऐसे में मुसलमानों को पंक्चर लगाने वालों की कौम बताने वाले अच्छी तरह समझ सकते हैं कि वे चाहें तो क्या नहीं कर सकते औ देश की तरक्की में आबादी के अनुपात से भेले ही कम हों पर अन्य कौमों के मुकाबले उनकी हिस्सेदारी किसी से कम नहीं है.

बहरहाल, बता दें कि इसरो के आदित्य एल1 मिशन की सफलता की जिम्मेदारी निगार शाजी को दी गई है. यह मुस्लिम महिला वैज्ञानिक इसरो में आदित्य एल1 फ्लाइट सोलर मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं.

आदित्य एल1 शनिवार को इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सूर्य के अध्ययन के लिए सफलतापूर्व रवाना हो चुका है. निगार साजी के नेतृत्व में कई लोग इस प्रोजेक्ट की सफलता पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, पिछले 35 वर्षों से इसरो में कार्यरत निगार शाजी भारतीय रिमोट सेंसिंग, संचार और अंतरग्रहीय उपग्रह कार्यक्रम में विभिन्न पदों पर जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं. अब उन्हें आदित्य एल1 की सफलता का जिम्मा सौंपा गया है.

निगार शाजी 1987 में इसरो के उपग्रह केंद्र में शामिल हुईं. वह मूल रूप से तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 55 किमी दूर तेनकासी की एक किसान परिवार से आती हैं. उनकी गिनती मयिल सामी अन्नादुराई, एम वनिता और पी वीरू मुथुवेल जैसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों में गिनती होती है. भारत के चंद्रयान तीन मिशन में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है.तमिलनाडु की मूल निवासी 59 साल की निगार शाजी ने अपनी स्कूली शिक्षा तमिलनाडु के ही सरकारी स्कूल से की.

वह राष्ट्रीय संसाधन निगरानी और प्रबंधन के एक भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह रिसोर्ससैट-2ए की एसोसिएट प्रोजेक्ट निदेशक भी रह चुकी हैं. उन्होंने इमेज कम्प्रेशन, सिस्टम इंजीनियरिंग और अन्य विषयों पर कई शोध पत्र लिखे हैं.

उन्होंने कामराज यूनिवर्सिटी, मदुरै से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बीई (बैचलर इन इंजीनियरिंग) की डिग्री हासिल की है और बीआईटी, रांची से इलेक्ट्रॉनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. वह बेंगलुरु में इसरो के सैटेलाइट टेलीमेट्री सेंटर की प्रमुख भी रह चुकी हैं.

इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य पेलोड (उपकरण) विजिबल लाइन ए मिशन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है, जिसे भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है. 26 जनवरी, 2023 को आयोजित एक समारोह में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और शाजी की उपस्थिति में पेलोड यूआर राव सैटेलाइट सेंटर को सौंप दिया गया था.

कुछ दिन पहले चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद एक बार फिर इतिहास रचने के उद्देश्य से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने शनिवार को अंतरिक्ष केंद्र से देश का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसरो ने कहा कि आदित्य-एल1 यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है. भारत का यह मिशन सूर्य से जुड़े रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा. इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के कई मिशन में नारी शक्ति का हाथ रहा है. चंद्रयान 3 की सफलता के पीछे कल्पना कालाहस्ती का हाथ था. वहीं, निगार शाजी अब आदित्य एल1 ’ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर देश के पहले सोलर मिशन का नेतृत्व कर रहीं हैं. इससे पहले चंद्रयान 2 मिशन में एम वनिता ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर जबकि मिशन डायरेक्टर के रूप में रितु करिधल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

शनिवार सुबह श्रीहरिकोटा से आदित्य-एल1 के सफल लॉन्चिंग के तुरंत बाद निगार शाजी चर्चा में आ गईं. निगार शाजी परियोजना निदेशक के तौर पर पिछले 8 साल से इस मिशन को संभाल रही हैं. आदित्य एल1 की सफल लॉन्चिंग के बाद निगार शाजी ने इसरो चीफ एस सोमनाथ और डायरेक्टर को उनकी टीम पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद दिया. निगार ने कहा, मैं इस मिशन का हिस्सा बनकर सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रही हूं. मेरी टीम के लिए सफल लॉन्चिंग किसी सपने के सच होने जैसा है.

इसरो के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर उडुपी रामचंद्र राव के योगदान को याद करते हुए शाजी ने कहा कि मैं हमारे महान वैज्ञानिक, प्रोफेसर यूआर राव को याद करना चाहूंगी, जिन्होंने इस मिशन का बीज लगाया था. उन्होंने उस विशेषज्ञ समिति को भी धन्यवाद दिया जो पूरे मिशन में परियोजना टीम का मार्गदर्शन कर रही है. बता दें कि यूआर राव को प्यार से भारत के उपग्रह कार्यक्रम का जनक कहा जाता है, जिनके नाम पर बेंगलुरु उपग्रह केंद्र का नाम रखा गया है.