लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पासः मुस्लिम महिलाओं को लेकर विपक्ष मायूस
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
लंबे समय से प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक, दशकों की लंबी बहस के बाद, मंगलवार, 19 सितंबर को नए संसद भवन में पहला सत्र शुरू होने के बाद लोकसभा में पारित हो गया.विशेष संसदीय सत्र के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी गई.
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला विधेयक निचले सदन में कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा पेश किया गया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.कथित तौर पर यह विधेयक परिसीमन प्रक्रिया के बाद एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए 1-3 कोटा के प्रावधानों के साथ लागू होगा.
Women's Reservation Bill (WRB) has already been passed by Rajya Sabha as 108th Constitution Amendment. The govt has to simply pick this (since bills introduced in RS do not lapse) version below and pass it in the Lok Sabha. It would also need to pass a law in both houses to… pic.twitter.com/5Y3muHN3tb
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) September 18, 2023
यह विधेयक, 15 वर्षों तक लागू रहेगा. यह बिल पिछले 27 वर्षों में कई बार पेश किया गया, लेकिन पारित नहीं हो सका.इसे आखिरी बार 2010 में लाया गया. राज्यसभा में पारित किया गया, लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका. मेघवाल ने दावा किया कि राज्यसभा द्वारा पारित विधेयक पर लोकसभा द्वारा विचार नहीं किया गया, जो समाप्त हो गया.हालाकि, विपक्ष ने इसपर दावा किया है.
स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव ने भारत के संविधान के 108वें संशोधन का हवाला देते हुए कहा कि यह विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया है. यादव ने एक्स पर साझा किया, सरकार को नीचे दिए गए संस्करण को चुनना होगा (क्योंकि राज्यसभा में पेश किए गए बिल समाप्त नहीं होते हैं) और इसे लोकसभा में पारित करना होगा.
महिला आरक्षण जुमाला
In a season of election jumlas, this one is the biggest of them all! A huge betrayal of the hopes of crores of Indian women and girls.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 19, 2023
As we had pointed out earlier, Modi government has not yet conducted the 2021 Decadal Census making India the only country in G20 that has…
कांग्रेस ने मंगलवार को सरकार द्वारा लाए गए महिला आरक्षण विधेयक को चुनावी जुमला और महिलाओं की उम्मीदों के साथ बड़ा धोखा करार दिया. कहा कि केंद्र ने कहा है कि आरक्षण जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा.कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आश्चर्य जताया कि क्या जनगणना और परिसीमन 2024 के चुनावों से पहले किया जाएगा. उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं की है.
ओवैसी का विरोध
#WATCH | Delhi: On Women's Reservation Bill, AIMIM Chief Asaduddin Owaisi says, "…Who are you giving representation to? Those who don't have representation should be given representation. The major flaw in this bill is that there is no quota for Muslim women and so we are… pic.twitter.com/LIrU5RJiaQ
— ANI (@ANI) September 19, 2023
एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ है. इसमें मुस्लिम, ओबीसी समुदायों की महिलाओं के लिए कोई कोटा नहीं है.
उन्होंने कहा,आप एक विधेयक बना रहे हैं ताकि कम प्रतिनिधित्व वाले लोगों का प्रतिनिधित्व हो. अब तक इस देश में सत्तर लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. अब तक 8992 सांसद चुने जा चुके हैं, जिनमें से सिर्फ 520 मुस्लिम हैं. 50 फीसदी से ज्यादा की कमी है. उस 520 में मुट्ठी भर भी महिलाएं नहीं हैं. तो, आप किसे प्रतिनिधित्व प्रदान कर रहे हैं? जिन लोगों को इसकी जरूरत है उन्हें यह मिलना चाहिए. इस बिल में एक बड़ी खामी यह है कि इसमें मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं के लिए कोई कोटा नहीं है. यही कारण है कि हम बिल के खिलाफ हैं,
बहुजन समाज पार्टी
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी संसद और अन्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण की अनुमति देने वाले किसी भी विधेयक का समर्थन करेगी, भले ही उस कोटा के भीतर एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कोटा की पार्टी की मांग पूरी न हो.
मीडिया में उनकी टिप्पणी उस दिन आई जब केंद्र ने कहा कि वह लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने के लिए संसद में एक विधेयक पेश कर रही है.
बहुजन समाज पार्टी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को मसौदा कानून में अलग कोटा मिले.