जॉर्डन और मिस्र ने गाजा के लोगों को सामूहिक सजा देने की इजरायली नीति को खारिज किया
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,अम्मान
जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने गुरुवार को गाजा में घेराबंदी, भुखमरी और लोगों के विस्थापन सहित इजरायल की सामूहिक दंड नीति को खारिज कर दिया है. इस मुददे पर दोनों देशों के रहनमुमा एकजुट हैं. यह जानकारी राजकीय मीडिया ने रिपोर्ट दी है.
दोनों नेताओं ने काहिरा में अपनी वार्ता के दौरान जॉर्डन या मिस्र में गाजावासियों के जबरन विस्थापन के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया. गाजा पर युद्ध को तुरंत रोकने, नागरिकों की रक्षा करने, घेराबंदी हटाने और लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान दोहराया.
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि युद्ध नहीं रुका और इसका विस्तार हुआ, तो इससे पूरे क्षेत्र को तबाही में डुबाने का खतरा है.एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेताओं ने दोहराया कि गाजा में बैपटिस्ट अस्पताल में बमबारी एक खतरनाक घटना थी. उन्होंने निर्दोष और असहाय नागरिकों के खिलाफ इस जघन्य अपराध की निंदा की.
वार्ता में फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति दोनों देशों की दृढ़ स्थिति और 4 जून को एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश की स्थापना की गारंटी देने वाले दो-देश के समाधान के आधार पर फिलिस्तीनी लोगों को अपने वैध अधिकार प्राप्त करने की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई.1967 की लाइन के आधार पर पूर्वी येरुशलम को इसकी राजधानी के रूप में स्थापित किया जाए.
मिस्र और जॉर्डन क्रमशः 1979 और 1994 में इजराइल के साथ संबंधों को सामान्य करने वाले पहले अरब देश थे. तब से इजरायल और फिलिस्तीनी अधिकारियों के बीच प्रमुख मध्यस्थ रहे हैं.