ईरान की शियाओं के लड़ने और मरने की पॉलिसी वाजिब नहीं: मौलाना हसन अली राजाणी
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,दार एस सलाम
भारत के प्रमुख शिया उलेमा में से एक मौलाना रजाणी ने ईरान के प्रति शियाओं की अंध भक्ति पर ऐतराज जताया है. यहां तक कि उन्होंने ईरान की नीतियों की भी खुलकर मुखालफत की है. मौलाना रजाणी यहीं नहीं रुके. उन्होंने ईरान के अपने विरोधियांे से लड़ने की नीतियों का भी विरोध किया है. अभी जब इजरायल के हमले से फिलिस्तीनियांे की लगातार बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं. छोटे-छोटे मासूमों के जनाजे सफेद कफन में लिपटे नजर आ रहे हैं, ऐसे वक्त में मौलाना रजाणी का यह लंबा चैड़ा बयान काफी मायने रखता है.
पूर्वी अफ्रीका का देश तंजानिया की राजधानी दार एस सलाम से मौलाना हसन अली राजाणी ने अमेरिका और इजरायल दूतावास से लौटने पर अपने एक जारी बयान में कहा कि पूरी दुनिया के शिया किसी ना किसी एक मुज्तहिद के फतवे पर अम्ल करता हैं . मौलाना राजाणी ने कहा कि ईरान से सिर्फ शिया ही नहीं, बहुत से मुसलमान भी खुश हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ईरान जो भी काम करे और ईरान जो भी क़दम उठाए दुनिआ के सारे शिया मुसलमानो पर तलवार ले कर निकलना वाजिब हो जाएगा.
राजाणी ने कहा कि पूरी दुनिया के सामने ईरान का चेहरा राजनीति है. उनके कार्य राजनीतिक हैं, इसलिए ईरान की स्थिति दुनिया के सभी शियाओं की स्थिति के समान नहीं है. राजाणी ने कहा कि ईरान पहले सऊदी अरब का बहुत बड़ा कट्टर दुश्मन था. अब जब सऊदी अरब के साथ ईरान के रिश्ते अच्छे हो गए हैं तो हमें आधी रात को फोन आता हैं कि राजाणी साहेब हमारे सऊदी अरब के साथ अच्छे रिश्ते हो गए हैं. इसलिए आप सऊदी अरबके समर्थन में एक बेहतरीन बयान दीजिये , तो उस वक्त मैंने जवाब दिया था कि मैंने सऊदी अरब के खिलाफ जो बयान दिया था, वह राजनीति नहीं था. मैंने जो बयान दिया था, वह धार्मिक था, इसलिए हम अपनी स्थिति पर कायम रहेंगे.
मौलाना रजाणी ने कहा के ईरान में मेहसा अमीनी की मौत के बाद दंगे फैल गए थे. उस वक्त मौलाना खामेनाई साहेब की बहन बद्री हुसैनी खामेनाई खुद अपने भाई मौलाना खामेनाई के समर्थन में नहीं थीं और हम खुद मौलाना खामेनाई साहेब की बहन बद्री हुसैनी ख़ामेनाई के समर्थन में थे.
उस वक़्त हम ने कहा था कि भले ही ईरान की यह समस्या धार्मिक हो, फिर भी हम अपने देश भारत में महिलाओं को ज़बरदस्ती हिजाब नहीं पहना सकते, जबकि कुछ ईरानी समर्थकों ने भारत में भी दंगे फैलाने की कोशिश की थी.
आगे राजाणी ने कहा कि भारत में बहुत से लोग आशूरा के दिन खून निकालने के लिए तलवार से सिर पीटते हैं, लेकिन ईरान के समर्थक उनसे ज़बरदस्ती तलवार छीन लेते हैं. उन्हें मातम नहीं करने देते. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मौलाना राजाणी ने कहा कि ईरान एक शिया देश है, लेकिन शिया की तुलना ईरान से करना बिल्कुल गलत है.
मौलाना राजाणी ने मजलूम की मदद करने पर जोर दिया है. साथ ही अपने देश और मातृभूमि के प्रति वफादार रहने पर भी जोर दिया है. उसके अलावह उन्होंने कहा के हम पूरी दुनिया के शियो को हथियार उठाने के लिए आमंत्रित नहीं कर सकते. और जब हमारे आखिरी इमाम इमामे महदी और आसमान से हज़रते ईसा आएंगे तो उस वक़्त पूरी दुनिया को युद्ध के लिए आमंत्रित किया जाएगा.
अंत में, राजाणी ने कहा कि ईरान और हिजबुल्लाह फिलिस्तीन की मदद के लिए मैदान में हैं. हम उन के भी विरोध में नहीं हैं. चाहे ईरान का यह क़दम राजनीतिक हो या धार्मिक मुद्दा हो , लेकिन ईरान की इस पॉलिसी पद से पूरी दुनिया के शियाओं पर लड़ने और मरने जाना वाजिब भी नहीं हैं. ना कोई मेरे जैसे मुसाफ़ीर को मार मार कर मजबूर कर के उस के माथे पर ज़बरदस्ती कफ़न पहना कर फलस्तीन भेज सकता हैं. आखिर में मौलाना राजाणी ने एक बार फिर ज़ोर दे कर कहा के में खुद किसी मुजतहिद की तक़लीद करता हूँ .इस लिए कोई भी शक्श मेरी तक़लीद ना करें .