हलाल सर्टिफिकेट पर पाबंदी मजहबी आजादी छीनने की कोशिश : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि सरकार को चाहिए कि वो हिंदू- मुस्लिम एजेंडे से ऊपर उठकर देश की भलाई और धार्मिक आजादी को आगे रखे. बोर्ड ने मांग रखी कि उत्तर प्रदेश की सरकार फौरन अपने आदेश को वापस ले.
AIMPLB ने आगे कहा की हलाल का मामला सिर्फ गोश्त (मीट) तक सीमित नही है, बल्कि और भी कई मामलों में मुसलमानो को इसका ख्याल रखना पड़ता है. हलाल सर्टिफिकेट पर पाबंदी लगाकर यूपी सरकार भारतीय कारोबार को प्रभावित करना चाहती है. इससे सिर्फ कंपनियों को ही नुकसान नहीं होगा बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था का भी नुकसान होगा.
"हलाल सर्टिफिकेट पर पाबंदी मजहबी आजादी छीनने की कोशिश और महजबी मामलों में दखलंदाजी है": ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड@AIMPLB_Official की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया कि सरकार को चाहिए कि वो हिंदू- मुस्लिम एजेंडे से ऊपर उठकर देश की भलाई और धार्मिक आजादी को आगे रखे।… pic.twitter.com/epA9m7hORv
— Muslim Spaces (@MuslimSpaces) November 27, 2023
बता दें कि यूपी सरकार ने “अवैध रूप” से हलाल प्रमाणपत्र जारी करने के खिलाफ निर्णायक कदम उठाते हुए 18 नवंबर को एक आदेश जारी कर हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया.
इससे पहले धर्म विशेष के ग्राहकों को हलाल प्रमाण पत्र उपलब्ध कराकर बिक्री बढ़ाने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ कथित रूप से खिलवाड़ करने को लेकर एक कंपनी और कुछ अन्य संगठनों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया.
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बयान में कहा कि चेन्नई स्थित हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली स्थित जमीयत उलमा हिन्द हलाल ट्रस्ट, मुंबई स्थित हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया, मुंबई स्थित जमीयत उलमा महाराष्ट्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
प्राथमिकी के हवाले से कहा गया कि ये कंपनियां और संगठन न केवल वित्तीय लाभ के लिए बल्कि सामाजिक वैमनस्यता बढ़ाते हुए फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर रहे हैं और हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं.इस बीच, @JamiatUlama_in हलाल ट्रस्ट ने आरोपों को “निराधार” बताया. उसने एक बयान में कहा कि वह “इस तरह की गलत सूचना का मुकाबला करने के लिए आवश्यक कानूनी उपाय करेगा.”