हमास मिलिट्री इंटेलिजेंस, शिन बेट और मोसाद को धोखा देकर 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला करने में कामयाब रहा: The Jerusalem Post
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
इजरायल के सुरक्षा एवं खुफिया तंत्र मिलिट्री इंटेलिजेंस, शिन बेट और मोसाद को विश्वभर में अव्वल माना जाता है. मगर गाजा पट्टी पर सियासत करने वाले हमास के लड़के 7 अक्टूबर के हमले के लिए इजरायल की इस व्यस्ता को न केवल आसानी से ध्वस्त करने में कामयाब रहे, बल्कि इजरायली खुफिया और सुक्षा तंत्र को ही अपने आॅपरेशन की कामयाबी का जरिया बनाया.
मजे की बात है कि हमास के इस कारनामे की न तो इजरायल की मिलिट्री इंटेलिजेंस को भनक लगी और न ही शिन बेट और मोसाद को. इसका खुलासा किया गया है ‘The Jerusalem Post , com की एक रिपोर्ट में.
Hamas exercised ‘the perfect deception’ before Oct. 7 – defense official .शीर्षक से छापी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है,सुरक्षा सूत्रों का अनुमान है कि हमास के नेता मोहम्मद दीफ और याह्या सिनवार को गाजा पट्टी की इजरायली खुफिया समुदाय द्वारा कड़ी निगरानी के बारे में पता था. वे इजरायल के संदेशों को संप्रेषित करने के गुप्त तरीकों के इस्तेमाल के बारे में जानते थे.
रिपोर्ट के अनुसार,एक सुरक्षा अधिकारी ने स्वीकारा, किसी ने भी इसे नहीं समझा, न अमन (मिलिट्री इंटेलिजेंस), न शिन बेट, न ही मोसाद ने अन्यथा वे यानी हमास जमीन या हवा से कोई बुनियादी प्रतिक्रिया के सीमा नहीं छोड़ पाते.’’इस रिपोर्ट मेंसुरक्षा सूत्रों के हवाले से आगे कहा गया-इजरायली खुफिया विभाग की निगरानी को चकमा देकर मोहम्मद दीफ और याह्या सिनवार गुप्त तरीके से अपने लोगों को संदेश भेजने का काम कर रहे थे. आकलन के अनुसार, हमास ने 7 अक्टूबर को घुसपैठ के लिए सावधानीपूर्वक तैयारी की थी, जिसे एक वरिष्ठ सुरक्षा प्रणाली अधिकारी ने एक आदर्श धोखाधड़ी अभ्यास के रूप में वर्णित किया है.’’
रिपोर्ट में आगे कहा गया-एक इजरायली सुरक्षा अधिकारी ने संदेश प्रसारण के लिए हमास के सैन्य कमांडरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति के बारे में बताया. उन्होंने स्वीकार किया, संभावना है कि गोपनीय विवरण, निर्देश और समग्र भावना आमने-सामने की बातचीत या अन्य माध्यमों के लिए आरक्षित थी. इसकी जांच करने पर पाया गया कि खुफिया समुदाय ने इसे नजरंदाज किया. न इंटेलिजेंस कोर, न शिन बेट, न ही मोसाद ने इसे समझ पाया. किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया अन्यथा, अचानक हमले की आशंका में एक वैकल्पिक प्रणाली तैयार की जा चुकी होती. अन्यथा वे छुट्टियों के अंतिम चरण में जमीन या हवा से कोई बुनियादी प्रतिक्रिया के बिना सीमा सुरक्षा नहीं छोड़ पा़ते.
रिपोर्ट में आगे बताया गया, ‘हमास ने आईडीएफ तरीकों को डिकोड किया.रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2018 के ‘ट्रॉपिकल फ्रूट ऑपरेशन’ के दौरान आईडीएफ टीमों ने हमास के गढ़ों में टैपिंग डिवाइस लगाए थे. हमास ने खान यूनिस में इस भेद का पता लगा लिया. बाद में इजरायल ने कुछ ढांचे पर बमबारी कर तबाह कर दी, लेकिन अन्य बच गए. वह हमास के हाथों में पड़ गए. रिपोर्ट में आशंका जताई गई है-शायद ईरानी सहायता से वे आईडीएफ तरीकों को समझने में कामयाब रहे.
एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ऑपरेशन की विफलता ने आईडीएफ को कई मामलों में अंधा कर दिया. यह हमें पहल और बड़ी तस्वीर को समझने के मामले में पीछे ले गया है.पीछे देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि विफलता रणनीतिक थी. जबकि आईडीएफ ने सोचा कि उनके पास एक स्पष्ट तस्वीर है, उन्होंने कमजोर संकेतों के अलावा लगभग कुछ भी नहीं देखा, जिसे जोड़ने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा.