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जूनियर महमूद अब क्या कर रहे हैं ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, मुंबई

देश के चर्चित कॉमेडियन जॉनी लीवर की हाल में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई. उस तस्वीर से पता चला कि अपने जमाने के चर्चित हास्य कलाकार जूनियर महमूद इनदिनों चौथे स्टेज के कैंसर से पीड़ित हैं. घर पर रहकर ही उनका इलाज चल रहा है. एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, स्टेज चार का कैंसर होने का अर्थ है, अधिक समय तक जीवित रहने का संघर्ष. जूनियर महमूद की इस स्थिति का जब जॉनी लीवर को पता चला तो वह उनसे मिलने उनके घर पहुंच गए. तस्वीर में जूनियर महमूद बिस्तर पर पड़े हैं और जॉनी लीवर उनका हाथ पकड़े उनके बिस्तर पर बैठे बातें कर रहे हैं. जूनियर महमूद के छोटे ने बताया कि, जॉनी लीवर ने जूनियर महमूद के साथ करीब एक घंटा बिताया. जाते समय जूनियर महमूद के मना करने के बावजूद वह कुछ पैसे घर छोड़ गए.

तस्वीर से पता चलता है कि जूनियर महमूद की फिलहाल आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. जॉनी लीवर जूनियर महमूद के दोस्तों में से हैं. बताया गया वह पिछले कई महीने से बीमार चल रहे हैं. कैंसर के इलाज के लिए उचित पैसे नहीं होने की वजह से उन्हें घर पर इलाज कराना पड़ रहा है. बताते हैं कि उनकी बीमारी का जब पता चला तब बहुत देर हो चुकी थी और न ही इतने पैसे थे कि कैंसर के इलाज पर खर्च किए जा सके.

जूनियर महमूद की उम्र क्या है ?

जूनियर महमूद के अदाकारी की एक जमाने में तूती बोलती थी. छुटपन से ही वह अभिनय के क्षेत्र में आ गए थे. जानकारी के अनुसार, उनके पिता रेलवे में ड्राइवर थे. अभी जूनियर महमूद की उम्र 67 वर्ष है. जानकारी के अनुसार जूनियर महमूद का जन्म
15 नवंबर 1956 को मुंबई की वडाला रेलवे कालोनी में हुआ था. अभिनेता जूनियर महमूद का हिंदी सिनेमा में 60 और 70 के दशकों में खासा स्टारडम था. वह फिल्म के सेट पर उन दिनों सबसे महंगी कार इंपाला से आया करते थे. तब मुंबई में यह कार सिर्फ एक दर्जन लोगों के पास थी. पिता रेलवे में काम करते थे जिनका मासिक वेतन 320 रुपए था. तब जूनियर महमूद एक दिन का तीन हजार रुपये चार्ज करते थे.जूनियर महमूद ने उस दौर में राज कपूर को छोड़कर तकरीबन सभी सितारों के साथ फिल्में की हैं.

जूनियर महमूद की फिल्में

जूनियर ने बाल कलाकार से अभिनय की शुरुआत की थी. उन्होंने 265 फिल्में की हैं. ‘कितना नाजुक है दिल’ फिल्म की शूटिंग में कॉमेडियन जॉनी वॉकर थे. शूटिंग के दौरान फिल्म का बाल कलाकार बार बार अपनी लाइनें भूल जा रहा था. तभी जूनियर महमूद के मुंह से बेसाख्ता निकला, ‘अमां, इतनी सी लाइन नहीं बोल पा रहा और आ गया एक्टिंग करने.’ फिल्म के निर्देशक ने सुना और इस संवाद को बोलने की चुनौती दी. जूनियर महमूद ने एक टेक में शॉट ओके करा दिया. लोगों ने तालियां बजाई और बदले में उन्हें पांच रुपये मिले. तब वह मात्र आठ साल के थे. उस जमाने में पांच रुपये बहुत मायने रखते थे.

जूनियर महमूद ने यूं तो ढेर सारी फिल्में की हैं, पर उन्हें पहचान मिली फिल्म ‘ब्रह्मचारी‘ से.साल 1968 में शम्मी कपूर और मुमताज के साथ फिल्म ब्रह्मचारी में काम करने का मौका मिला. इसके बाद दो रास्ते, आन मिलो सजना, कटी पतंग, हाथी मेरे साथी और कारवां जैसी कई चर्चित फिल्मों के हिस्सा रहे. उनकी ज्यादातर फिल्में सिल्वर जुबली रहीं. राज कपूर को छोड़कर जूनियर ने तब के तमाम बड़े सितारों जैसे दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, जितेंद्र आदि के साथ काम किया. बाद में मराठी और हिन्दी फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया.

पहला ब्रेक मिलने के बाद बतौर जूनियर आर्टिस्ट काम करने लगे. पढ़ाई में मन नहीं लगता था. तभी रतन भट्टाचार्य की फिल्म सुहागरात में महमूद के साले का रोल करने का मौका मिला. उस फिल्म की शूटिंग के दौरान वह महमूद से काफी घुलमिल गए. जूनियर आखिरी बार टीवी शो ‘तेनाली रामा’ में नजर आए.इसके अलावा ‘प्यार का दर्द मीठा-मीठा प्यारा-प्यारा’, ‘एक रिश्ता साझेदारी का’ में भी काम किया.

जूनियर महमूद का असली नाम मोहम्मद नईम सैय्यद

कैंसर से पीड़ित जूनियर महमूद का असली नाम मोहम्मद नईम है. उनका नाम जूनियर महमूद कैसे पड़ा, यह दिलचस्प कहानी है. मोहम्मद नईम छह भाई-बहनों में तीसरे नंबर के हैं. इनके भाई का बहुत पहले ही इंतकाल हो चुका था. बाद में दो भाई और दो बहन बचे.मुंबई में रहने वाले को सिनेमा से इश्क न हो, ऐसा कम ही होता है. इनके बड़े भाई मोहम्मद बिलाल फिल्मों में स्टिल फोटोग्राफर थे. वह मिमिक्री आर्टिस्ट भी थे. उन्हें अभिनय का बहुत शौक था. जब शूटिंग से आते तो सभी एक्टर्स के बारे में भाई-बहनों को बताते थे. उनकी बातें सुनकर जूनियर महमूद को इन सितारों से मिलने का शौक हुआ. दिन मैंने उन्होंने अपनी इच्छा अपने बड़े भाई के सामने जाहिर की. वह दिन भी आ गया. जूनियर महमूद उनका स्क्रीन नेम दिग्गज अभिनेता और हास्य कलाकार महमूद ने दिया था.

महमूद ने को जूनियर महमूद भाईजान कहा करते थे. उन्होंने भाईजान के गाने काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं पर भी डांस किया. भाईजान ने खुशी में उन्हें गोद में उठा लिया करते थे. महमूद ने रंजीत स्टूडियो बुला कर उनके हाथ पर गंडा बांधकर अपना शागिर्द बनाया था. उन्होंने ही जूनियर महमूद कहकर पहली बार बुलाया था. जूनियर महमूद ने महमूद को सवा पांच रुपये गुरु दक्षिणा भी दिए थे.