6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ था?
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मुस्लिम नाउ विशेष
बाबरी मस्जिद विध्वंस के 31 साल हो गए. 6 दिसंबर 1992 को कारसवक देष के कानून में पलीता लगाते हुए एक प्रचीन मस्जिद पर चढ़ गए थे और एक साजिष के तहत उसे ध्वस्त कर दिया गया था. इस साजिश में तत्कालीन सूबे और केंद्र की सरकार में शामिल थीं. ऐसा आरोप आज भी मुस्लिम संगठन लगाते हैं. लंबे समय तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चला. अलग बात है कि साजिश के आरोपी अधिकांश राजनेता न केवल कोर्ट से बरी कर दिए गए, बल्कि अभी कई सत्ता की कुर्सी पर विराजमान हैं. सुप्रीम कोर्ट के विवादास्पद फैसले के बावजूद मुसलमानों का एक वर्ग मानता है कि बाबरी मस्जिद की भले ही बिल्डिंग न हो, पर वह ता कयामत तक उसी स्थान पर रहेगी, जहां थी.
6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ था?
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट में बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 के दिन ध्वस्त किए जाने की घटना पर अलग-अलग एंगल से रिपोर्ट प्रकाशित की है. एक रिपोर्ट में घटना का खाका खींचते हुए कहा गया, ‘‘अभी राम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है. अगले साल 22 जनवरी को इसके उद्घाटन का कार्यक्रम है. अलग बात है कि इस भव्य राम मंदिर के निर्माण के इतिहास में 6 दिसंबर की तारीख का बेहद खास महत्व है. यह तारीख अयोध्या के इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में दर्ज है, जिसका अलग-अलग समुदायों पर अलग-अलग प्रभाव है.
आज से ठीक 31 साल पहले 6 दिसंबर 1992 की ही वह तारीख थी, जब देशभर से जुटे कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद ढहा दिया था. इसकी वजह से लंबे समय तक तनाव रहा.देशव्यापी दंगे हुए. मुंबई दंगा उसका ही परिणाम है. लेकिन 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस ऐतिहासिक विवाद का लगभग निपटारा कर दिया. अलग बात है कि दूसरा पक्ष इस फैसले की आज भी मुखालफत करता है. फैसला सुनाने वाले भी उस पक्ष के राज्यसभा मेंबर हैं, जिन पर मस्जिद ढहाने का आरोप है. बहरहाल, आइए जानते हैं आखिर 6 दिसंबर को क्या कुछ हुआ था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उस दिन देश भर से लाखों कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे.लाखों कार सेवकों की भीड़ अयोध्या के बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ने लगी. इनमें षामिल लोग नारे लगा रहे थे- जय श्री राम, राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ तो. इस नारे की गूंज से पूरी अयोध्या नगरी गूंज रही थी.
केंद्र में नरसिंह राव और उत्तर प्रदेश में में कल्याण सिंह सरकार थी. सुप्रीम कोर्ट में बताया गया कि लाखों लोगों की भीड़ मस्जिद के अंदर घुस गई और ढांचे को तोड़ दिया. कारसेवक हाथों में बल्लम, कुदाल, छैनी-हथौड़ा लिए मस्जिद की बिल्डिंग पर वार कर रहे थे. जिसके हाथ में जो था, उससे मस्जिद की बिल्डिंग ध्वस्त कर रहा था. मस्जिद गिरने में महज दो घंटे लगे. इस पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए बाद में ‘लिब्रहान आयोग’ का गठन किया गया.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है,सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने ‘बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि परिसर’ का दौरा किया था. आरोप है वे समय रहते हालात को भांप नहीं पाए. उन्हें पूरा आयोजन सामान्य कार सेवा का कार्यक्रम ही लगा. समय बीतने के साथ वहां लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती गई. दोपहर को अचानक भीड़ गुंबद पर पहुंचने में कामयाब हो गई. वहां होने वाले घटनाक्रम पर किसी का भी नियंत्रण नहीं रहा. भीड़ बेकाबू हो चुकी थी और गुंबद ध्वस्त.
इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर दिया. खबरें थीं कि कल्याण सिंह बर्खास्तगी की सिफारिश से करीब तीन घंटे पहले इस्तीफा दे चुके थे. हालांकि अब ये बातें इतिहास हो चुकी हैं. अब वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है.
क्या बाबरी मस्जिद से पहले राम मंदिर था ?
हिंदू पक्ष की दलील है कि बाबरी मस्जिद ने राम जन्म भूमि को ध्वस्त कर वहां बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था. मस्जिद वाले स्थान पर ही भगवान राम का जन्म हुआ है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट का राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर जो फैसला आया है, उससे कतई जाहिर नहीं होता कि मस्जिद वाली जगह पर ही राम जी का जन्म हुआ था और राम मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई थी.
बाबरी मस्जिद को बाबर की मस्जिद भी कहते हैं. भारत के अयोध्या में एक मस्जिद थी , जिसके बारे में कई हिंदुओं का मानना है कि इसका निर्माण राम जन्मभूमि स्थल पर किया गया था , जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम की अनुमानित जन्मस्थली है. 18वीं शताब्दी से यह हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का केंद्र रहा है.
हिंदुओं के अनुसार, बाकी ने उस स्थान पर पहले से मौजूद राम के मंदिर को नष्ट कर दिया था. इस मंदिर का अस्तित्व विवाद का विषय है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने विवादित स्थल की खुदाई की थी. खुदाई में विभिन्न सामग्रियां मिली हैं, जिसको लेकर दावा किया गया कि मस्जिद भवन के नीचे एक हिंदू संरचना है. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी. उसके नीचे की खुदाई की गई संरचना इस्लामी प्रकृति की नहीं थी.
19वीं सदी से शुरू होकर, मस्जिद को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कई झगड़े और अदालती विवाद हुए. 1949 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद, हिंदू महासभा से जुड़े हिंदू कार्यकर्ताओं ने गुप्त रूप से मस्जिद के अंदर राम की मूर्तियां रख दीं, जिसके बाद सरकार ने आगे के विवादों से बचने के लिए इमारत पर ताला लगा दिया. फिर हिंदू और मुस्लिम दोनों मामला अदालत में ले गए.6 दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद और सहयोगी संगठनों से जुड़े हिंदू कार्यकर्ताओं की भीड़ ने मस्जिद ध्वस्त कर दिया , जिससे पूरे भारत में दंगे भड़क उठे. इस दौरान लगभग 2,000 लोगों की मौत हुई. पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी इसका असर देखा गया. मुस्लिम देष भी मुसलमानों के समर्थन में खड़ी हो गई.
सितंबर 2010 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस दावे को बरकरार रखा कि मस्जिद उस स्थान पर बनाई गई थी जिसे राम का जन्मस्थान माना जाता है. इसके बाद राम मंदिर के निर्माण के लिए केंद्रीय गुंबद की जगह हिंदू पक्ष को दे दी गई. मुसलमानों को मस्जिद के निर्माण के लिए स्थल का एक तिहाई क्षेत्र भी दिया गया. इस फैसले के बाद दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए, जिसमें पांच जजों की बेंच ने अगस्त से अक्टूबर 2019 तक टाइटल सूट की सुनवाई की. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया. निचली अदालत के फैसले और पूरी साइट ( 1.1 हेक्टेयर या 2़3 ⁄ 4 एकड़ भूमि) हिंदू मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट को सौंपी दी गई.
इसने सरकार को 1992 में ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के स्थान पर उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक 2-हेक्टेयर (5 एकड़) भूखंड देने का आदेश दिया. इसके बाद सरकार ने मुस्लिम पक्ष ने अयोध्या के धन्नीपुर गांव में एक जगह आवंटित की है. यह जगह अयोध्या से 18 किलोमीटर (11 मील) और मूल बाबरी मस्जिद स्थल से सड़क मार्ग से 30 किलोमीटर (19 मील) दूर है. मस्जिद का निर्माण भी 26 जनवरी 2021 से प्रारंभ हो गया है.
बाबरी मस्जिद कहां है और क्यों चर्चित है ?
अयोध्या भारत के प्रमुख धार्मिक शहरों में से एक है.हिंदू मात्वालंबियों की इसके षहर के प्रति खास आस्था है. अयोध्या में रेलवे स्टेशन भी है. इसी अध्योध्या षहर के रामकोट ( राम का किला) की पहाड़ी पर बाबरी मस्जिद स्थित थी, जिससे 1992 में कारसेवकों ने गिरा दिया था.अयोध्या उत्तर प्रदेश का एक जिला है. यहां अयोध्या नगर निगम है और इसकेमहापौर गिरीश पति त्रिपाठी हैं. यहां से लोकसभा सांसद लल्लू सिंह (भाजपा) है. अयोध्या जिला कुल 120.8 किमी 2 (46.6 वर्ग मील) में फैला हुआ है और यहां की जनसंख्या 55,890 है.
यह शहर सरयू नदी के तट पर स्थित है. यह अयोध्या जिले के साथ अयोध्या मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय भी है.
अयोध्या का बौद्ध और जैन ग्रंथों में भी उल्लेख है. गौतम बुद्ध, महावीर इस शहर में आ चुके हैं. जैन ग्रंथों में अयोध्या को पांच तीर्थंकरों की जन्मस्थली के रूप में वर्णित किया गया है. बाबरी मस्जिद पौराणिक शहर अयोध्या में थी.अयोध्या को राम की जन्मस्थली के रूप में मान्यता के कारण, अयोध्या को हिंदुओं के सात सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से पहला माना जाता है. आरोप है कि राम के कथित जन्म स्थान पर एक मंदिर था, जिसे मुगल सम्राट बाबर या औरंगजेब के आदेश से ध्वस्त कर दिया गया और उसकी जगह पर बाबरी मस्जिद बनवा दी गई.
बाबरी मस्जिद कब और किसने बनवाई?
मस्जिद के शिलालेखों के अनुसार, बाबरी मस्जिद 1528-29 (935 एएच ) में मुगल सम्राट बाबर के कमांडर मीर बाकी द्वारा बनाई गई थी. बाबरी मस्जिद अध्योध्या षहर के रामकोट ( राम का किला) की पहाड़ी पर स्थित थी, जहां अब भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है.
दंगाईयों की भीड़ ने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद पर हमला कर उसे ध्वस्त कर दिया गया था. इसके बाद पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे.हिंदुओं का मानना है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण राम जन्मभूमि स्थल पर किया गया , जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम की अनुमानित जन्मस्थली है.18वीं शताब्दी से यह हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का केंद्र रहा है.