Culture

ग़ालिब की शायरी से एक नई छाप उभरती है: अब्दुर रहमान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

मिर्जा असदुल्लाह खान ग़ालिब उर्दू शायरी का रोशन सितारा है, उर्दू शायरी पर उनका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. ग़ालिब की शायरी एक लाजवाल असर रखती है और उसे जब भी पढ़ो तो एक नई धारणा उभरती है. उक्त बातें मिर्ज़ा ग़ालिब की पुण्यतिथि पर ग़ालिब अकादमी में आयोजित ‘ग़ालिब डे’ पर अध्यक्षीय भाषण में एडवोकेट अब्दुल रहमान ने कही.

अब्दुर रहमान ने आगे कहा कि ग़ालिब की शायरी को आज जिस तरह लोग पसंद कर रहे हैं और युवा पीढ़ी ग़ालिब को पढ़ रहा हैं उससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ जाती हैं.

स्वागत भाषण में इक़बाल मसूद ने कहा कि हम हर साल यौम ए गालिब का आयोजन करते हैं और इस अवसर पर हम उन विचारों को आमंत्रित करते हैं जिनके विचारों और विचारों की अकादमिक जगत में प्रतिष्ठा है.

मौके पर ग़ालिब अकादमी के सेक्रेटरी डॉ अकील अहमद ने कहा कि ग़ालिब का कलाम हमारी परीक्षा लेता है, मेरी ख्वाहिश हैं कि नई पीढ़ी ग़ालिब का नाम सिर्फ फैशन के तौर पर न लें बल्कि उसके असली सार भी जानें. हमारी नस्लें गालिब को पढ़ रहे हैं लेकिन समझने से दूर हो रहे हैं, ऐसे में जरूरी है कि वह शायरी को ज्यादा समझे.

ग़ालिब इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. इदरीस अहमद ने कहा कि ग़ालिब पर इस समय पूरी दुनिया में बहुत पढ़ा और रिसर्च किया जा रहा है. उनके जीवन को लोग पढ़ रहे हैं. उन्होंने कार्यक्रम में पहुंचे लोगों का शुक्रिया अदा किया.

इस अवसर पर जगजीत नूरबू ख्याल लद्दाखी की किताब का विमोचन भी किया गया. इससे पहले निजामुद्दीन में ग़ालिब के मजार पर फूल चढ़ाए गए और फ़ातिहा पढ़ी गई.