हरियाणा के मेवात से मोहब्बत की ख़बर: मुस्लिमों ने चुना हिंदू महिला को सरपंच
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✍️ मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नूंह (हरियाणा)
हरियाणा के मुस्लिम बहुल जिले नूंह (मेवात), जिसे अक्सर गोकशी, गोतस्करी, साइबर क्राइम जैसे मुद्दों को लेकर कट्टरपंथी तबकों द्वारा निशाना बनाया जाता रहा है, वहां की एक पंचायत ने देशभर को सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की अनोखी मिसाल दी है।
सिरोली गांव की पंचायत ने 30 वर्षीय हिंदू महिला निशा चौहान को सर्वसम्मति से सरपंच चुना है — वो भी ऐसे समय में जब कुछ राजनीतिक नेता मुस्लिम बहुल इलाकों को हिंदुओं के लिए “असुरक्षित” बताकर नफरत का माहौल फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
🌾 सिरोली: एक गांव, जहां भाईचारा ज़िंदा है
1,296 मतदाताओं वाले इस गांव में लगभग 250 हिंदू और शेष मुस्लिम मतदाता हैं। इसके बावजूद, गांव के 15 पंचों (वार्ड सदस्यों) ने मिलकर सर्वसम्मति से निशा चौहान को सरपंच चुना।
पुन्हाना ब्लॉक के इस गांव की सरपंच सीट महिलाओं के लिए आरक्षित थी। दिसंबर 2022 में चुनाव हुए, लेकिन पहले चुनी गई उम्मीदवार के शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बाद सीट खाली हो गई।
मार्च 2024 से कार्यकारी सरपंच बनीं रेख्शिना को फरवरी 2025 में अविश्वास प्रस्ताव के बाद पद छोड़ना पड़ा, जिसके बाद एकजुट पंचायत ने निशा चौहान को चुना, जो अब गांव की नई उम्मीद बन चुकी हैं।
📣 निशा चौहान ने क्या कहा?
“मेरे चुनाव से पूरे मेवात में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश जाएगा। हमारे यहां हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की लंबी परंपरा है। यहां कोई धार्मिक भेदभाव नहीं होता,” – निशा चौहान, सरपंच, सिरोली गांव
🤝 पंचायत सदस्यों का भरोसा
पुन्हाना का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी शमशेर सिंह ने बताया कि:
“15 पंचों में से आठ महिलाएं हैं और 2 अप्रैल को हुई बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने निशा चौहान के पक्ष में मतदान किया।”
पूर्व सरपंच अशरफ अली, जो अब वार्ड सदस्य हैं, ने कहा:
“हमने उन्हें इस उम्मीद में चुना कि वे अपने पूर्ववर्तियों से बेहतर काम करेंगी। हमारे यहां दोनों धर्मों के लोग एक-दूसरे की खुशियों और ग़म में शामिल होते हैं। यहां कोई नफरत नहीं है।”
🕌 नफरत की राजनीति को करारा जवाब
पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा:
“कुछ लोग जो मुस्लिम इलाकों को लेकर ‘हिंदू असुरक्षित हैं’ जैसी बयानबाज़ी करते हैं, उन्हें सिरोली जैसे गांवों से सीख लेनी चाहिए।”
यह कहानी उस समय सामने आई है जब नूंह, जो पहले ही हिंदू परिषद के भोज पर हमले और अन्य सांप्रदायिक तनावों को लेकर चर्चा में रहा है, अब सद्भाव और भाईचारे की नई मिसाल बन गया है।

📊 नूंह की हकीकत: आंकड़ों में देखें सौहार्द
विषय | आंकड़े / जानकारी |
---|---|
कुल मतदाता | 1,296 |
हिंदू मतदाता | लगभग 250 |
मुस्लिम मतदाता | बहुसंख्यक |
पंचायत सदस्य | 15 (8 महिलाएं) |
सरपंच चुनी गईं | निशा चौहान (हिंदू महिला) |
चुनाव प्रक्रिया | सर्वसम्मति से चयन |
✨ संदेश साफ है: मेवात में दिलों का मेल है, दीवारें नहीं
नूंह का सिरोली गांव आज देश को यह दिखा रहा है कि सांप्रदायिक सौहार्द सिर्फ नारे नहीं, जमीनी हकीकत भी हो सकती है। जहां राजनीति नफरत के बीज बोती है, वहीं आम लोग मोहब्बत की फसल उगा रहे हैं।