Culture

दिल्ली सरकार का कारनामाः  मसीह-उल-मुल्क के ऐतिहासिक हिंदुस्तानी दवाखाना का नाम बदल कर दिया ‘आम आदमी पॉलीक्लिनिक‘

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

स्थानीय लोगों और अखिल भारतीय यूनानी तिब्बी कांग्रेस, दिल्ली इकाई ने ऐतिहासिक ‘हिंदुस्तानी दवाखाना‘ का नाम बदलने पर दिल्ली सरकार की खिंचाई की है. फैसले पर हैरानी और निराशा जताते हुए कहा गया कि सरकार ने पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान के कासिम जान स्थित महान यूनानी चिकित्सक और स्वतंत्रता आंदोलन के दिग्गज हकीम अजमल खान के नाम पर स्थित यूनानी दवाखाने का नाम बदलकर ‘आम आदमी पॉलीक्लिनिक‘ कर दिया.

लोगों ने इसे इतिहास और हकीम अजमल खान की स्मृति को धूमिल करने का आरोप लगाया है. उन्हें मसीह-उल-मुल्क और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. स्थानीय लोगों और अखिल भारतीय यूनानी तिब्बी कांग्रेस
ने बैठक में रेखांकित किया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा पुरानी दिल्ली में एक भी मोहल्ला क्लिनिक स्थापित नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों ने सीएम पर राष्ट्रीय राजधानी में एक विशेष समुदाय से संबंधित विरासत को मिटाने के लिए भाजपा के नक्शेकदम पर चलने का आरोप लगाया.

hakeem ajmal

मसीह-उल-मुल्क हकीम अजमल खान

इस मुद्दे पर अखिल भारतीय यूनानी तिब्बी कांग्रेस, दिल्ली इकाई की बैठक सुई वालन में डाॅ संजय ढींगरा के क्लिनिक में हुई. इसकी अध्यक्षता डॉ. विजय कुमार ढींगरा ने की. उन्होंने बताया कि मसिह उल मुल्क की देखरेख में हिंदुस्तानी दवाखाना की स्थापना उनके पूर्वजों ने की थी. उन्होंने देश में यूनानी चिकित्सा का अभ्यास शुरू किया था.

अपने सुनहरे दिनों में, हिंदुस्तानी दवाखाना को चैरासी से अधिक जादुई जड़ी-बूटियों का पेटेंट कराने का क्रेडिट जाता है. दिल्ली के वयोवृद्ध क्रॉनिकल, आरवी स्मिथ ने वर्ष 1910 में हिंदुस्तानी दवाखाना की स्थापना के रूप में उद्धृत किया है. कुछ प्रसिद्ध दवाएं जो अभी भी दक्षिण एशियाई यूनानी प्रथा में उपयोग की जाती हैं.

चर्चा में कहा गया कि सामाजिक विरासत में दखल देना इतिहास को विकृत करने के समान है. इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. सीसीआरयूएम के पूर्व उप निदेशक जकी-उद्दीन ने कहा कि हिंदुस्तानी दवाखाना को आयुर्वेद और यूनानी तिब्बी दवाओं के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाता था. इसे उसी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

प्रतिभागियों ने जोर देकर कहा कि इसका नाम बदलकर ‘आम आदमी पॉलीक्लिनिक‘ करने से इसका इतिहास और साथ ही यूनानी चिकित्सकों के इस प्रसिद्ध परिवार की उपलब्धियों को मिटा दिया जाएगा. आग्रह किया गया कि दिल्ली सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे और इसका मूल नाम बहाले.

hindustani dwakhana

बैठक में इस बात पर भी खेद और आश्चर्य व्यक्त किया गया कि पुरानी दिल्ली क्षेत्र में एक भी मोहल्ला क्लीनिक नहीं है. पुरानी दिल्ली इलाके में चार विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें से किसी में भी मोहल्ला क्लीनिक नहीं बनाया गया है. दो विधानसभा सीटों बल्लीमारान और मटिया महल का प्रतिनिधित्व मुसलमानों द्वारा किया जाता है. उनमें से एक केजरीवाल सरकार में मंत्री हैं.

बैठक में, यह भी चिंता व्यक्त की गई कि फरवरी 1921 में आयुर्वेदिक और यूनानी तिब्बिया कॉलेज की स्थापना हकीम अजमल खान ने की थी, जिसे अभी भी विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिया है. इसकी शताब्दी दो साल बाद भी नहीं मनाई गई है. चार विधानसभा क्षेत्रों के सदस्य क्षेत्र में डॉ. जकी-उद्दी को हकीम अजमल खान की विरासत को जारी रखना चाहिए, क्योंकि उनकी स्मृति को समर्पित स्मारक हैं.

बैठक के दौरान डॉ. अब्दुल कादिर ने दिल्ली सरकार के आयुष विभाग में उप निदेशक यूनानी के पद पर नियुक्ति न होने का मामला उठाया. उनका दावा है कि आयुष विभाग में आयुर्वेद के दो उप निदेशक हैं, जबकि यूनानी का कोई नहीं है. बैठक में दिल्ली सरकार से जल्द से जल्द यूनानी मेडिसिन डिप्टी की नियुक्ति करने का भी आग्रह किया गया.

बैठक में दिल्ली सरकार के यूनानी क्लीनिकों में दवाओं की कमी पर भी चर्चा हुई. मांग की कि सरकारी यूनानी क्लीनिकों में दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए ताकि लोगों को सीधा लाभ मिल सके.बैठक डॉ सैयद आरिफ जुनैद, हकीम अता-उर-रहमान अजमाली, हकीम मोहम्मद मुर्तजा देहलवी, हकीम नौशाद, जस्सी बाजवा आदि मौजूद थे.