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देश को नफरत की आग में झोंकने की साजिश रचने वालों पर हो कार्रवाई

तथाकथित राष्ट्रवादी खुद को धर्म से पहले देश का बताते हैं. मगर उनकी हरकतें न केवल देश तोड़क हैं, समाज मंे नफरत घोलना उनका मुख्य काम बन गया है. अलग बात है कि ऐसे लोगों के लिए ग्रेटर नोएडा की डाॅक्टर ईला मिश्रा किसी तमाचे से कम नहीं.

सलमान के बहाने मुसलमों के खिलाफ मुहिम

देश में नफरत का बीज बोने वाला गिरोह इनदिनों बाॅलीवुड एक्टर सलमान खान की आने वाली फिल्म ‘राधे’ के बहाने न केवल मुस्लिम निर्माता-एक्टर्स की फिल्मों का बहिष्कार करने का अभियान चलाए हुए, मुसलमानों के बनाए उत्पाद की खरीद न करने की मुहिम परवान चढ़ाने में जुटा है.
सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों के कमेंट्स की बाढ़ आई हुई, जिन्हें पढ़कर अंदाजा हो जाएगा कि ऐसे लोगों के दिलों में देश के मुसलमानों के प्रति कितनी नफरत है. ऐसे लोग यह समझते हैं कि मुसलमानों का बहिष्कार कर वह भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने में सफल होंगे. जबकि उन्हें शायद मालूम नहीं कि भारत को बनाने और यहां तक लाने में किसी एक धर्म के लोगों की भूमिका नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोगों की है. सबकी बदौलत ही आज भारत, भारत है.

डाॅ ईला मिश्रा हैं राह का रोड़ा

ऐसे छुद्र बुद्धिजीवियों के मूखर्तापूर्ण अभियान से भारत की तस्वीर नहीं बदलने वाली. ऐसा इस लिए भी विश्वास से कहा जा सकता कि ऐसे लोगों की राह में डाॅक्टर ईला मिश्रा जैसे लोग अगली पंक्ति मंे खड़े हैं.

इस्लाम को जाने वाला विरोधी नहीं हो सकता

डाॅक्टर ईला मिश्रा किस सोंच का नाम है. इसे समझने के लिए उनके दो दिन पुराने ट्विट को देखा चाहिए. जिसमें उन्होंने देवबंद के एक गांव के बारह वैसे मुस्लिम बच्चों को साईकिल भेंट की है जो हाल में ‘हिफज-ए-कुरान बने’ हैं. उनको विश्वास है कि वह पैगंबर मोहम्मद साहब के रास्ते पर चलकर अच्छे इंसान बनेंगे.

इस्लाम है मानव सेवा का नाम

डाॅक्टर ईला मिश्रा दारूल उलूम देवबंद से पीएचडी हैं. कुरान सहित कई इस्लामिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया है. उनसे बातचीत कर कतई अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि वह एक हिंदू हैं. वह भी ब्राह्रमण. ‘मुस्लिम नाउ’ से बातचीत में कहती हैं-‘‘इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद साहब को पढ़ने वाला कभी मुसलमानों से नफरत कर ही नहीं सकता.’’

मानव सेवा उनका धर्म

डाॅक्टर ईला मिश्रा एक गैरसरकारी संस्था चलाती हैं. इसके जरिए मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए काम करती हैं. रमजान के दिनों में गरीब रोजेदारों के बीच ‘राशन किट’ बांटती हैं. मदरसों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं. गरीब बच्चियांे का विवाह कराती हैं और भूखों को खाना खिलाने के लिए लंगर का संचालन करती हैं. वह कहती हैं मानव सेवा करते समय यह नहीं देखतीं कि सामने वाला हिंदू है या मुसलमान. उनके कार्यों और अध्ययन से प्रभावित होकर उन्हें सउदी सरकार और उप-राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी सम्मानित कर चुके हैं.

सलमान के बहाने लोगों को बेरोजगार करने साजिश

नफरत की खेती करने वालों को डाॅक्टर ईला मिश्रा के मानवता का सबक सीखने के साथ उनके लिए यह जानना भी जरूरी है कि सलमान खान या कोई भी कलाकार या निर्माता-निर्देशक फिल्म बनाता है. उससे केवल उसका ही घर नहीं चलता, बल्कि हजारों लोगों का पेट पलता है. अभियान चलाकर फिल्म की मिट्टी पलीद करने वालों को सोचना चाहिए कि उनकी मुर्खता हजारों लोगों के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा कर सकती है. कोरोना संक्रमण के चलते देश वैसे ही भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. करीब 25 करोड़ लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट है. उनकी हरकतें कुछ और लोगों के लिए समस्या पैदा कर देंगी. सरकार को भी चाहिए कि समाज में हिंदू-मुस्लिम का बीज बोने वालों को तत्काल जेल में डाले. ऐसे लोग मुल्क को नफरत की आग में झोंकने की साजिश रच रहे हैं.