आदिपुरुष फ्लाॅपः भद्दे संवाद के कारण मनोज मुंतशिर शुक्ला के खिलाफ भारी गुस्सा, अदाकारी औसत दर्जे की
अर्नब बनर्जी / मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
- फिल्मः आदिपुरुष
- फिल्म की अवधिः 179 मिनट
- निर्देशकः ओम राउत
- कास्टः प्रभास, कृति सेनन, सैफ अली खान, देवदत्त नाग और संजीव सिंह
- सिनेमाटोग्राफीः कार्तिक पलानी
- म्यूजिकः संचित बलहारा, अंकित बलहारा
- सॉन्ग्सः अजय-अतुल, सचेत-परंपरा
राम-सीता और हनुमान-रावण केंद्रित फिल्म ‘आदिपुरुष’ के सिनेमा हाल में लगते ही बवाल खड़ा हो गया है. दर्शक सर्वाधिक फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला के ‘टुच्चे’ डाॅयलाग को लेकर गुस्से में हैं. ‘रामायण’ के पात्रों के मुंह से इतने सस्से संवाद बोलवाए गए हैं, जिसे दर्शक पचा नहीं पा रहे हैं. यहां तक कि सोशल मीडिया पर न केवल मनोज मुंतशिर शुक्ला के विरूद्ध पिछले दो दिनों से ‘बाॅयकाॅट’ ड्रेंड कर रहा है, फिल्म का प्रदर्शन रूकवाने के लिए कुछ लोग कोर्ट भी चले गए हैं. लोग इस बात से भी मुंतशिर से नाराज हैं कि वह खुद को धर्मभीरू मानते हैं और ‘हिंदू धर्म’ को लेकर बेहद आक्रमक रहते हैं, फिर भी भारी गलती कर गए. अभी वही मनोज मुंतशिर शुक्ला अपने संवाद से ‘आदिपुरुष’ के दर्शकों की भरपूर नाराजगी झेल रहे हैं.
मनोज मुंतशिर शुक्ला की सफाई
Manoj Muntashir admits he knowingly & intentionally wrote such Tapori-type blasphemous dialogues for Adipurush
— Ashwini Shrivastava (@AshwiniSahaya) June 17, 2023
Says this is the way we are read the facts by our Sants and our Grandparents#AdipurushDisaster pic.twitter.com/qWkWI0dOUj
परिणाम स्वरूप फिल्म आदिपुरुष में भगवान हनुमान के संवादों को लेकर हुए विवाद ने संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर कर दिया. फिल्म में भगवान हनुमान के कुछ डायलॉग्स को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है. मुंतशिर ने रिपब्लिक वर्ल्ड के साथ एक साक्षात्कार में पुष्टि की कि उन्होंने संवादों को उद्देश्यपूर्ण रूप से सरल किया है. उन्हांेने दलील दी कि यह कोई त्रुटि नहीं है. यह बजरंगबली के लिए संवाद लिखने में सोची-समझी प्रक्रिया का परिणाम है.
मुंतशिर ने सरलीकरण के पीछे के तर्क के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, “हमने इसे सरल इसलिए बनाया, क्योंकि हमें एक बात समझनी होगी, अगर किसी फिल्म में कई किरदार है तो सभी एक ही भाषा नहीं बोल सकते. एक तरह का डायवर्जन, एक तरह का विभाजन होना जरूरी है.
विवाद को जन्म देने वाले विशेष संवादों में एक है- तेल तेरे बाप का, आग भी तेरे बाप की और जलेगी भी तेरे बाप की. इसपर मुंतशिर ने जोर देकर कहा, मैं यह संवाद लिखने वाला पहला व्यक्ति नहीं हूं. यह पहले से ही है. हालांकि उनपर इस संवाद के चोरी के भी आरोप हैं.
अपने दावे का समर्थन करने के लिए, संवाद लेखक ने भारत की कथावाचक या कहानी कहने की परंपरा का उल्लेख किया. इस बात पर जोर देते हुए कि प्रमुख संत और कथावाचक अक्सर भगवान हनुमान के संवादों को उसी तरह प्रस्तुत करते हैं जैसे उन्होंने फिल्म के लिए लिखा है. अलग बात है कि मनोज मुंतशिर शुक्ला की इस सफाई से लोग संतुष्ट नहीं हैं और उनकी नाराजगी भी कम नहीं हुई है.
रिलीज के साथ विवाद, मामला कोर्ट पहुंचा
बता दें कि 16 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होने के बाद से, आदिपुरुष कई विवादों में फंस गई है. ट्विटर पर बॉयकॉट आदिपुरुष और आदिपुरुष डिजास्टर जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. हिंदू सेना ने फिल्म के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि यह भगवान राम, रामायण और भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ाती है.
इसके अलावा, नेपाल में फिल्म का भविष्य अनिश्चित है. काठमांडू के मेयर बलेन शाह ने उस दृश्य पर आपत्ति जताई है जिसमें सीता को भारत की बेटी बताया गया है.
दर्शकों का दिल जीतने में नाकाम रही आदिपुरुष
फ़िल्म #आदिपुरुष के नाम पर हिंदू धर्म और देवी देवताओं का मज़ाक़ बनाना बहुत भारी पड़ेगा
— vicky tiwari भाजपा प्रचारक .. (@VickyTi21290620) June 17, 2023
इतने संगठन अपनी सरकार तब भी ये हाल।
😢😢#आदिपुरूष_फ़िल्म को बैन करो #adipurush #adipurushreview #prabhas #kritisanon #ramayan #vickytiwaribjppracharak pic.twitter.com/ry5p9wjhno
जब डिस्क्लेमर परंपरागत तीन लाइनों से बड़ा हो और जरूरी तथ्यों को शामिल करने या हटाने को सही ठहराया जाए, तो समझ लेना चाहिए कि फिल्म निर्माता कुछ छिपाने या समझाने की कोशिश कर रहे हैं या संभवतः उस प्रतिक्रिया से डर रहे हैं, जिसका परिणाम बर्बादी हो सकती है.
डिस्क्लेमर में कहा गया है कि पात्रों के मूल नाम बदल दिए गए हैं. और क्या कोई इतनी भव्य फिल्म बिना किसी छोटे-मोटे विवाद के बन सकती है?
भारतीय पौराणिक महाकाव्य रामायण पर बनी अनेक फिल्मों में से एक आदिपुरुष का पटकथा लेखन और निर्देशन ओम राउत ने किया है. यह टी-सीरीज और रेट्रोफाइल्स द्वारा निर्मित है. इसे हिंदी और तेलुगु में एक साथ शूट किया गया. इसे आधुनिक पृष्ठभूमि में बनाया गया है, लेकिन सौभाग्यवश महाकाव्य की कहानी से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई है. तीन घंटे से एक मिनट कम की इस फिल्म में कंप्यूटर जनरेटिड ग्राफिक्स का भरपूर इस्तेमाल किया गया है जो कहानी में व्यवधान भी डालती है, लेकिन यह इसकी एक मात्र गलती नहीं है.
फिल्म राजकुमार राम के पिता राजा दशरथ से उनकी सौतेली मां कैकेयी के द्वारा मांगें जाने वाले 14 साल के वनवास पर शुरू होती है. कहानी, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ जंगलों में उनकी यात्रा पर केंद्रित है.जल्द ही, लंका के राजा रावण द्वारा सीता के अपहरण का सीन आ जाता है, और इसके बाद राम और रावण के बीच युद्ध होता है.
कई पौराणिक कहानियों के ढेर सारे वर्जन बने हैं, जिन्हें जोश के साथ बताया गया है, हर एक का लक्ष्य नया दृष्टिकोण है और यही कारण है कि नए परिप्रेक्ष्य में ये कहानियां ज्यादातर हिट हो जाती हैं. निर्माता और निर्देशक जानते हैं कि उन्हें एक सटीक रूपांतर करना है.
रामायण के इस वर्जन में कुछ हद तक दोष नहीं ढूंढ़ा जा सकता है, क्योंकि न तो यह मिथिकल थीम है और न ही कोई करेक्टर वास्तविक है. राम का किरदार निभाने वाले प्रभास की एक्टिंग जबरदस्त रही. बाकी काल्पनिक भूमिकाएं या तो हाइपर-सेंसिटिव या डेडपैन एक्सप्रेशन के साथ थीं.
My friend's grandfather is devout Ram Bhakt. He took him to watch Adipurush.
— Nimo Tai (@Cryptic_Miind) June 17, 2023
His grandfather found the movie so bad and disrespectful to Lord Ram that he has gone into Coma after watching Adipurush.
If anything happens to him, Manoj Muntashir will be responsible.
सैफ अली खान रावण के भूमिका में नजर आए. टेक्नोलॉजी की मदद से, उन्हें पांच फीट के बड़े फ्रेम से बड़ा दिखाने की कोशिश की गई, जिससे उनके रावण के किरदार को सभी पात्रों से ऊपर उठाया जा सके.
उत्तर भारतीय हिंदी भाषी दर्शकों को लुभाने के लिए राम की आवाज को शरद केलकर ने डब किया है, जो कि परफॉर्मेंस का आधा हिस्सा है.
फिल्म में जानकी के किरदार में कृति सेनन को देखकर ऐसा लगा कि वह इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए. उसका लंबा कद और भावहीन चेहरा ध्यान भटकाने वाला है. यह वही कृति हैं जो पिछले साल मिमी में इतनी प्रभावशाली थीं.
इस तरह की फिल्मों में जिस दिव्यता की तलाश की जाती है, वह गायब है. हैरान और डराने के प्रभाव को बढ़ाने के लिए कई बड़े विजुअल्स पर काम किया गया, लेकिन दुख की बात है कि कोई भी इस बनावटी चमक से भयभीत नहीं हुआ.
सिनेमाटोग्राफर कार्तिक पलानी ने फिल्म में बहुत सारे रंगों, खासकर काले और नीले रंग का इस्तेमाल अधिक किया, ताकि फिल्म को देखने वाले दर्शकों में चकाचैंध और हैरत की भावना बनी रहे.
अजय-अतुल और सचेत-परंपरा के गाने, और संचित और अंकित बलहारा का बैकग्राउंड स्कोर अपेक्षित रूप से लाउड हैं. इतना तेज की संगीत की जगह ध्वनि प्रदूषण लगता है.