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होली और रमज़ान के संयोग पर प्रशासन सतर्क, संभल में मस्जिदें तिरपाल से ढकी गईं

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

इस साल होली और रमज़ान का जुम्मा एक ही दिन, 14 मार्च को पड़ रहा है, जो लगभग साठ वर्षों में पहली बार हो रहा है। इस दुर्लभ संयोग के चलते उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं

संभल में दस मस्जिदों को तिरपाल से ढकने का निर्णय लिया गया है ताकि होली जुलूस के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। पुलिस प्रशासन का कहना है कि यह कदम सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए उठाया गया है, लेकिन सोशल मीडिया पर इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं


होली जुलूस के दौरान मस्जिदों को तिरपाल से ढकने का कारण क्या?

संभल पुलिस प्रशासन के अनुसार, चौपाई जुलूस (होली की प्रथागत परंपरा) के मार्ग में आने वाली मस्जिदों को ढकने का निर्णय लिया गया है

📌 संभल के एसपी श्रीश चंद्र ने बयान दिया:
“हमने यह निर्णय सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने और दोनों समुदायों को अपने-अपने त्योहार को शांति से मनाने के लिए लिया है। कुल दस मस्जिदों की पहचान की गई है जो होली के चौपाई जुलूस के मार्ग में आती हैं। उन्हें तिरपाल से ढका जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।”

हालांकि, इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं कि अगर होली खेलने वालों की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात है, तो मस्जिदों को ढकने की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या प्रशासन जुलूस में शामिल अराजक तत्वों को काबू में नहीं कर सकता, या फिर यह मान लिया गया है कि मस्जिदें ही असुरक्षित हैं?


संभल की किन मस्जिदों को ढका जाएगा?

संभल में होली के चौपाई जुलूस के मार्ग में आने वाली दस प्रमुख मस्जिदों को तिरपाल से ढकने का निर्णय लिया गया है। इनमें शामिल हैं:

1️⃣ शाही जामा मस्जिद
2️⃣ लडानिया वाली मस्जिद
3️⃣ थाने वाली मस्जिद
4️⃣ एक रात मस्जिद
5️⃣ गुरुद्वारा रोड मस्जिद
6️⃣ गोल मस्जिद
7️⃣ खजूर वाली मस्जिद
8️⃣ अनार वाली मस्जिद
9️⃣ गोल दुकान वाली मस्जिद
🔟 एक अन्य मस्जिद जिसका नाम उजागर नहीं किया गया

👉 प्रशासन का कहना है कि पिछले वर्षों में भी यह प्रथा अपनाई गई थी, लेकिन इस बार इसे लेकर सोशल मीडिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं।


मस्जिदों को ढकने के फैसले पर क्या बोले मुस्लिम नेता?

कुछ मुस्लिम संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है

📢 स्थानीय मुस्लिम नेता ने कहा:
“अगर होली खेलना और जुलूस निकालना संवैधानिक अधिकार है, तो मस्जिद की सुरक्षा भी प्रशासन की जिम्मेदारी है। मस्जिदों को ढकने का निर्णय उन अराजक तत्वों को खुली छूट देने जैसा है, जो धार्मिक स्थलों पर हमला करने का दुस्साहस कर सकते हैं।”

📢 सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाए:

  • “मस्जिदों को ढकना समाधान नहीं है, बल्कि यह प्रशासन की असफलता को दर्शाता है।”
  • “क्या होली मनाने वालों की तरह मस्जिदों को सुरक्षा देना पुलिस की जिम्मेदारी नहीं?”
  • “अगर पुलिस प्रशासन को भरोसा नहीं कि वे जुलूस में शामिल सिरफिरे तत्वों को काबू में रख सकते हैं, तो फिर जुलूस निकालने की अनुमति ही क्यों दी गई?”

होली जुलूस और शुक्रवार की नमाज़ के समय में बदलाव

इस बार होली और जुम्मा एक ही दिन पड़ने के कारण शुक्रवार की नमाज़ और चौपाई जुलूस के समय में बदलाव किया गया है ताकि दोनों कार्यक्रम एक-दूसरे को प्रभावित न करें।

📌 प्रशासन द्वारा तय किए गए निर्देश:
शुक्रवार की नमाज़ होली जुलूस से पहले या बाद में कराई जाएगी।
मस्जिदों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी रहेगी।
सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

👉 यह निर्णय दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं की सहमति से लिया गया है।


संभल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था

संभल जिले में होली और रमज़ान के चलते सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़े प्रबंध किए गए हैं।

📌 प्रमुख सुरक्षा इंतज़ाम:
सभी संवेदनशील इलाकों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती।
CCTV कैमरों और ड्रोन के जरिए निगरानी।
अराजक तत्वों पर नज़र रखने के लिए विशेष टीमें गठित।
धार्मिक नेताओं और समुदायों के बीच संवाद बढ़ाने पर ज़ोर।

👉 संभल पुलिस ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें।


क्या कहते हैं आंकड़े?

संभल मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां कई बार सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं सामने आई हैं।

📌 संभल में सांप्रदायिक घटनाओं का रिकॉर्ड:

  • 2013: होली के दौरान विवाद, कुछ दुकानों में तोड़फोड़।
  • 2019: ईद के दौरान सांप्रदायिक झड़पें, कई घायल।
  • 2022: होली जुलूस में भड़काऊ नारेबाजी, पुलिस ने स्थिति संभाली।

👉 इस बार प्रशासन पहले से ही तैयार है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके।


निष्कर्ष

🔹 संभल में होली और जुम्मा एक ही दिन पड़ने के चलते पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है
🔹 संभल की 10 मस्जिदों को तिरपाल से ढकने का निर्णय लिया गया है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है
🔹 प्रशासन का कहना है कि यह सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए किया गया है, लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं कि मस्जिदों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बजाय उन्हें ढकने की जरूरत क्यों पड़ी?
🔹 होली जुलूस और जुम्मे की नमाज़ के समय में बदलाव किया गया है, ताकि कोई टकराव न हो।
🔹 संभल प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

📌 क्या प्रशासन का यह फैसला उचित है? या फिर यह केवल असफल सुरक्षा नीति का संकेत है? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!

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