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Administrative Officers ‘जिहादी’ बताने पर भड़के आईएएस, आईपीएस अधिकारी, सेक्यूलर मीडिया का रवैया निराशाजनक

देश के एक निम्न दर्जे के न्यूज चैनल द्वारा मुस्लिम प्रशासनिक अधिकारियों को ‘जिहादी‘ बताने एवं उनकी निष्ठा, कर्मठता व प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों में घोर नाराज़गी है। इस मसले पर आईपीएस एसोसिएशन सहित विभिन्न संगठन भड़के हुए हैं। चैनल के खिलाफ देश के जाने-माने पत्रकारों, लेखकों, कवियों ने सख्त कार्रवाई की वकालत की है। दूसरी तरफ, इस मामले में चैनल के खिलाफ कई जगह मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं।


  आईपीएस एसोसिएशन ने चैनल के कार्यक्रम ‘नौकरशाही जिहाद’ पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कार्यक्रम शुक्रवार शाम दिखाया जाएगा। इससे संबंधित प्रोमो न्यूज चैनल ने सोशल मीडिया पर जारी किए हैं, जिसमें मुस्लिम प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर कई आपत्तिजनक बातें कही गई हैं। देश की नंबर एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी जामिया मिलिया के छात्रों को इसमें ‘जामिया के जिहादी’ से संबोधित किया गया है। प्रोमो देखकर लोग भड़के हुए हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया के सचिव माजिद जमील ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से संस्था की छवि बिगाड़ने के लिए चैनल हेड के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज कराने की वकालत की है। दूसरी तरफ मुंबई के अधिवक्ता सैफ आलम ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई है।
  चैनल के कार्यक्रम से नाराज़ आईएएस अधिकारी निहारिका भट्ट सख्त कानूनी कार्रवाई की बात करती हैं।

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरके विज ने ट्वीट कर इसे खतरनाक व भ्रामक करार देते हुए कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने का मुद्दा उठाया है। बिहार के पूर्णिया जिले के आईएएस अधिकारी राहुल कुमार ने ट्वीट किया है कि यह फ्री स्पीच नहीं। यह संवैधानिक संस्थान में जहर घोलना है। कार्यक्रम पर इंडियन सिविल लिबर्टिज यूनियन तथा इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने भी ऐतराज जताया है। फ़ाउंडेशन का कहना है कि आईएएस-आईपीएस ज्वाइन करने वाले मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए कार्यक्रम खतरनाक है। उम्मीद है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस, न्यूज ब्रॉडकॉस्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी नोएडा के इस न्यूज चैनल के खिलाफ संज्ञान लेंगे। आईएएस अधिकारी राकेश बलवाल मुस्लिम प्रशासनिक अधिकारियों को जिहादी कहने पर ट्वीट करते हैं,‘‘ सिविल सर्वेंट की एकमात्र पहचान भारतीय है।’’ इस मामले में न्यूज चैनल के बचाव में सीबीआई के पूर्व प्रमुख एम नागेश्वर राव आगे आए हैं। उन्होंने कहा  कि चैनल प्रमुख कार्यक्रम में शामिल होने को आमंत्रित कर रहे हैं। जिन्हें आपत्ति है, वहां जाकर अपनी बात रखें।

राव ने न्यूज चैनल के खिलाफ आईपीएस एसोसिएशन के बयान पर ऐतराज जताया है। वैसे, इनदिनों एम नागेश्वर राव हिंदू वादियों से नजदीकियां बढ़ाने में लगे हैं। हाल के उनके कुछ ट्वीट से खुलासा हुआ है।

तथाकथित सेक्यूर मीडिया की बोलती बंद

न्यूज चैनल के कार्यक्रम के प्रति प्रशासनिक अधिकारियों के संगठनों के मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया की एसोसिएशन का रवैया निराशाजनक है। इसके किसी भी संगठन ने   न्यूज चैनल के भड़काउ कार्यक्रम का अब तक विरोध नहीं किया है। यहां तक कि अधिकांश तथाकथित सेक्यूलर पत्रकार भी मौनी बाबा बने हुए हैं। सेक्यूलर पार्टियों द्वारा संचालित न्यूज पोर्टल पर सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर उल-जुलूल खबरें भरी पड़ी हैं, पर ताजा गंभीर मसले पर एक छोटी खबर भी नहीं है। सवाल है कि जब मुसलमानों के मसले पर आवाज बुलंद नहीं कर सकते तो आपकी पार्टी को इस कौम का वोट क्यों मिले ? मुस्लिम मसलों पर सेलेक्टिव खबरें परोसने की नीति खतरनाक है।
    बहरसाल, मीडिया एसोसिएशन के आगे नहीं बढ़ने के बावजूद देश के कई चुनिंदा पत्रकारों, लेखकों, साहित्यकारों ने इसपर नाराज़गी जाहिर की है। कई पुस्तकों के लेखक एवं पत्रकार प्रांजॉय गुहा ठाकुर्ता ने ट्वीट किया है कि उक्त न्यूज चैनल का इतिहास ही है सांप्रदायिकता फैलाना।

टीवी 24 के गुरप्रीत गौरी वालिया ने ट्वीटर से चैनल हेड का एकाउंट सस्पेंड करने की मांग की है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के पत्रकार साकेत गोखले इसपर सर्वाधिक मुखर हैं। उन्होंने न्यूज चैनल के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। एनडीटीवी की कार्यकारी संपादक रहीं निधि राजदां न्यूज चैनल के बारे में ट्वीट कर कहती हैं, यह घोषित नफरत फैलाने वाला है। एनडीटीवी के संकेत उपाध्याय ने इसपर बेहद सस्ती टिप्पणी की है। उर्दू अखबार ‘सालार-ए-हिंद’ के संपादक वसीउद्दीन सिद्दीकी ने सरकार से चैनल का लाइसेंस रदद करने की मांग की है। लेखक शाहनवाज़ अंसारी ट्वीट कर चैनल हेड के बारे में कहते हैं कि यह आतंकवादी है। पत्रकार जैनब सिकंदर सिद्दीकी ने इसपर सख्त टिप्पणी की है। चर्चित शायर इमरान प्रतापगढ़ी के ट्वीट करने पर अल्पसंख्यक मामले के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इसपर कहा,‘‘काबलियत की कद्र है। कौन क्या कह रहा है मत देखें।’’

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