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अफगानिस्तानः तख्तापलट के साथ 10 मिलियन बच्चों की जिंदगी संकट में

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, काबुल
तकरीबन एक महीना पहले अफगानिस्तान सरकार के पलट के साथ यह देश भारी आर्थिक और मानवीय संकट से गुजर रहा है. जहां पेट्रोलियम पदार्थ सहित तमाम खाने-पीने की कीमत की आसमान पर पहुंच गई है, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने का कहना है कि अफगानिस्तान में लगभग 10 मिलियन बच्चों को जीवन संकट में है. उन्हें जीवित रहने के लिए तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है. उन्हें अभी पर्याप्त भोजन, दवा और पीने के पानी चाहिए. इन चीजांे को पाना अफगान बच्चों के सामने बड़ी चुनौती है.

यूनिसेफ के अनुसार, बुनियादी जरूरतों की कमी के कारण, कई बच्चे इतने कुपोषित हो गए हैं कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.यूनिसेफ ने कहा कि अगर मौजूदा स्थिति जारी रही, तो अफगानिस्तान में 5 साल से कम उम्र के दस लाख बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हो जाएंगे.

अफगानिस्तान में यूनिसेफ के संचार प्रमुख सैम मोर्ट ने कहा, आज अफगानिस्तान में लगभग 10 मिलियन बच्चे हैं जिन्हें मानवीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है. इस संकट के लिए कम से कम जिम्मेदार सबसे ज्यादा कीमत चुका रहे हैं. अफगानिस्तान के कई इलाके सूखे के शिकार हैं, जिनके पास पानी नहीं है. महत्वपूर्ण टीकों से बच्चे महरूम हैं. इस बीच, विस्थापित परिवार और उनके बच्चे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

गुलसोम और उसका परिवार एक महीने पहले कुंदुज प्रांत से काबुल आया था. वह कहते हंै कि उनके पास पर्याप्त भोजन या पानी नहीं है. न ही रहने के लिए जगह. वह कहते हैं कि उनके बच्चों के लिए जीवन बहुत कठिन है.उन्होंने कहा, ‘‘मेरी एक साल की बेटी है, लेकिन भोजन के अभाव में उसकी शारीरिक स्थिति बहुत खराब है.‘‘उसके पति हामिद ने कहा कि उसका एक बच्चा बीमार है. वह दवा खरीदने का खर्च नहीं उठा सकता. हम बहुत चिंतित हैं कि हमारे बच्चों का क्या होगा. क्या वह ठीक हो जाएगा? कोई दवा नहीं है. कोई डॉक्टर नहीं है.

विस्थापित परिवारों ने कहा कि वे अपने बच्चों की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे हैं. बच्चों को कपड़े और खाने की जरूरत है. जब भोजन और कपड़े नहीं हैं, तो संयुक्त राष्ट्र को हमारी मदद करनी चाहिए.इस बीच कई डॉक्टरों का कहना है कि पिछले एक महीने में कुपोषित बच्चों के मामले बढ़े हैं. काबुल में इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल के प्रमुख मोहम्मद लतीफ बहेर ने कहा, ‘‘हाल के बदलावों के साथ, हमारे अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है.‘‘

बाल अधिकार कार्यकर्ता जरका यफ्ताली ने कहा, ‘‘यदि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान के लोगों, विशेषकर बच्चों पर ध्यान नहीं देता है, तो अफगानिस्तान एक मानवीय संकट का गवाह बनेगा.‘‘