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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक में सीजफायर, कश्मीर में फिर छिड़ी विस्फोटों की गूंज

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली,नई दिल्ली

कई सप्ताहों तक चले सैन्य तनाव, आतंकी हमलों और जवाबी सैन्य कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अंततः संघर्ष विराम पर सहमति बन गई है। यह समझौता उस समय हुआ है जब दक्षिण एशिया में हालात किसी भी समय युद्ध में तब्दील हो सकते थे। हालांकि, संघर्ष विराम की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद भारत-प्रशासित कश्मीर में विस्फोटों की आवाज़ें फिर से सुनाई दीं, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया कि क्या यह शांति टिकाऊ होगी।


🌍 राजनयिक दखल और ‘रातों-रात’ संघर्ष विराम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस संघर्ष विराम की घोषणा सोशल मीडिया पर कर सबको चौंका दिया। उन्होंने दावा किया कि यह समझौता वाशिंगटन की मध्यस्थता और रात भर चली गुप्त बातचीत का परिणाम है। हालांकि भारत के आधिकारिक सूत्रों ने अमेरिकी भूमिका को महत्वहीन बताया, वहीं एक पाकिस्तानी अधिकारी ने अमेरिका की पहल की खुले तौर पर प्रशंसा की। यह स्पष्ट है कि पर्दे के पीछे अंतरराष्ट्रीय कूटनीति ने इस अस्थायी शांति में अहम भूमिका निभाई है।


💣 कश्मीर नरसंहार बना तनाव का कारण

इस हालिया तनाव की बुनियाद पिछले महीने भारतीय नियंत्रित कश्मीर में हुए पर्यटक नरसंहार में है, जिसमें कई निर्दोष नागरिक मारे गए। भारत ने इस जघन्य हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया, और इसके जवाब में एक बड़ा सैन्य अभियान — ‘ऑपरेशन सिंदूर’ — शुरू किया गया।

इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में एक साथ कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। भारत के अनुसार, इसमें 10 से अधिक खूंखार आतंकवादी मारे गए, जबकि इस्लामाबाद ने किसी भी तरह के आतंकी संबंधों से इनकार कर दिया है।


⚔️ एक लम्बा संघर्ष: कश्मीर पर तीन युद्धों का इतिहास

भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद कोई नया नहीं है। यह क्षेत्र ही तीन पूर्ण युद्धों (1947, 1965, और 1999 का कारगिल युद्ध) का कारण बना है। भारत जहां इसे अपना अभिन्न हिस्सा मानता है, वहीं पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय विवादित क्षेत्र बताता है। दोनों देशों के पास इस क्षेत्र का हिस्सा है, लेकिन दोनों ही पूरा कश्मीर चाहते हैं।


🚨 क्या यह संघर्ष विराम स्थायी होगा?

हालांकि संघर्ष विराम की घोषणा एक राहत की तरह सामने आई है, लेकिन कश्मीर में फिर से गूंजे धमाकों की आवाजें यह संकेत दे रही हैं कि जमीनी हालात अब भी जटिल हैं। भारत ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद पर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है — यानी जीरो टॉलरेंस का रुख जारी रहेगा।


📌 निष्कर्ष

इस संघर्ष विराम ने एक बड़ी टकराव की आशंका को फिलहाल टाल दिया है, लेकिन जड़ में मौजूद कश्मीर विवाद, सीमा पार आतंकवाद और आपसी अविश्वास जैसे मुद्दे तब तक समाधान की राह में बाधा बने रहेंगे, जब तक दोनों देश ईमानदारी से संवाद की पहल नहीं करते। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में आया यह सीजफायर शायद एक विराम हो — लेकिन अंतिम अध्याय नहीं।

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