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राम जन्मभूमि के बाद अब अयोध्या की मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद को ताज महल से बड़ा दिखाने की तैयरी

फहीम अल हामिद, मुस्लिम नाउ ब्यूरो, मक्का, अयोध्या

अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के बाद अब यहां प्रस्तावित मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद को ताज महल से बड़ा दिखाने की तैयारी है. जिस प्रकार मंदिर निर्माण से पहले दावा किया गया कि देश की पहचान अब ताज महल नहीं रामजन्म भूमि से होगी, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए दी गई जमीन को लेेकर भी इसी तरह के दावे किए जाने लगे हंै.

अयोध्या में प्रास्तावित मस्जिद निर्माण के लिए महाराष्ट्र कैबिनेट के अल्पसंख्यक मामलों के आयोग के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इनका संबंध बीजेपी से है. हिंदूवादी ताक्तों की कोशिश रही है कि देश से मुगल राजाआंे या मुस्लिम शासकों के तमाम निशान मिटा दिए जाएं. इसके लिए बीजेपी शासित प्रदेशों में योजनाबद्धतरीके से मुस्लिम नामों वाले तमाम चर्चित स्थानों के नाम खास समुदाय के नाम पर रखे जा रहे हैं. इस क्रम में पहले ताज महल को एक देवता का स्थल बताया गया. मामला अदालत तक पहुंचाने की कोशिश की गई. बात नहीं बनी तो अब ताज महल को छोटा दिखाने की कोशिशें शुरू हो गई हंै.

इस बीच अयोध्या मंे प्रस्तावित मस्जिद के निर्माण का जिम्मा संभालने वाली इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की विकास समिति और महाराष्ट्र कैबिनेट के अल्पसंख्यक मामलों के आयोग के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख ने कहा है कि अयोध्या में मुहम्मद बिन अब्दुल्ला के नाम पर भव्य मस्जिद, शैक्षणिक संस्थान और अस्पतालों का निर्माण मई 2024 में शुरू हो जाएगा. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.

मक्का में मीडिया से खास इंटरव्यू में उन्होंने कहा, हमारी इच्छा है कि पवित्र मस्जिद के इमाम शेख अब्दुल रहमान अल-सुदीस मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला का उद्घाटन करें या नेतृत्व करें ताकि इस महान भव्यता का जश्न मनाया जा सके. मस्जिद को भी यह सम्मान मिले.

2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुए, अयोध्या के मुसलमानों को राम मंदिर से लगभग 25 किलोमीटर (लगभग 15 मील) दूर धनीपुर नामक गांव में एक और मस्जिद बनाने के लिए जमीन आवंटित की गई है.

अयोध्या में ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर का उद्घाटन सोमवार, 22 जनवरी को किया गया. इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया और देश की प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया.इस मौके पर अयोध्या नगरी में जश्न का माहौल था. हर तरफ भगवा रंग छाया हुआ था.

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इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बॉलीवुड, क्रिकेट और राजनीति क्षेत्र की मशहूर हस्तियों को निमंत्रण भेजा गया था.यह मंदिर अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर बनाया जा रहा है. यह स्थल वर्षों से विवादित रहर है. हिंदू और मुस्लिम दोनों इस पर दावा करते रहे हैं.

दशकों के विवाद के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया और उस स्थान पर मंदिर बनाने की अनुमति दी जहां मस्जिद थी.

मस्जिद में 9000 लोग पढ़ सकेंगे नमाज

हाजी अराफात शेख ने कहा, मस्जिद की जगह भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने दी है, जिसकी आधारशिला रखने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. मस्जिद 5 एकड़ क्षेत्र में बनाई जाएगी, जबकि इसके बगल की 6 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है. इसके बाद मस्जिद और इसके आस-पास के शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों का कुल क्षेत्रफल 11 एकड़ हो जाएगा.उन्हांेने दावा किया, प्रस्तावित मस्जिद निर्माण के बाद ताज महल से भी बड़ी, खूबसूरत और उत्कृष्ट कृति होगी.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, प्रस्तावित मस्जिद परिसर के अंदर, लगभग 9000 लोग एक ही समय में नमाज पढ़ सकेंगे, जबकि बाहरी प्रांगणों में 50 हजार से अधिक लोग नमाज मंे शामिल हो सकेंगे. ईद की नमाज के लिए मस्जिद से सटे बगीचे में जगह होगी.

उनके मुताबिक, इस्लाम की शुरुआत इकरा से हुई, इसी को ध्यान में रखते हुए हमने तय किया है कि मस्जिद के साथ-साथ भारत के सर्वश्रेष्ठ मेडिकल और डेंटल कॉलेजों और लॉ कॉलेजों और अंतरराष्ट्रीय स्कूलों की शाखाएं स्थापित की जाएंगी, जहां जरूरतमंद छात्रों को सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाएगी.

कॉलेजों के अलावा मुफ्त इलाज के लिए सभी चिकित्सीय जरूरतों से सुसज्जित अस्पताल की भी स्थापना की जाएगी. इसके अलावा 3 से 5 हजार लोगों को दिन में तीन वक्त का मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जाएगा.

मस्जिद निर्माण को लेकर चल रहे विवादित मुद्दों पर असदुद्दीन औवेसी और अन्य भारतीय नेताओं से समन्वय के सवाल पर हाजी अराफात शेख ने कहा, हमने अपनी बैठक में कहा है कि एक ईंट हाजी अराफात रखें और एक ईंट रखें आपके द्वारा ताकि मतभेदों को दूर किया जा सक. इस महान लक्ष्य की पूर्ति के लिए जिस मस्जिद को मुहम्मद बिन अब्दुल्ला के नाम से बुलाया जा रहा है, इस धन्य नाम के कारण इस देश में बरकत होगी.

मेरा कहना है कि मस्जिद और मदरसे के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.जहां तक ​​उनके विद्वानों और राजनीतिक नेताओं के सवालों का सवाल है कि एक मस्जिद की जगह एक मस्जिद नहीं बनाई जा सकती, तो मैं जवाब में कहना चाहूंगा कि सरकार ने हमें जमीन नहीं दी, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने दी है. इसके बाद हमने अतिरिक्त 6 हेक्टर जमीन खरीदी है. इस तरह जिस जमीन पर मस्जिद बनेगी वह जमीन हमारे पैसे से खरीदी जाएगी, जिससे शरीयत समस्या और विवाद खत्म हो जाएगा.

हिंदुत्व की जड़ें मजबूत

ध्यान रहे कि नरेंद्र मोदी 2014 में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार करने और विकास के एक नए युग की शुरुआत करने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन उन्होंने हिंदुत्व के एजेंडे को भी काफी आगे बढ़ाया है. एक ऐसी विचारधारा जिसके बारे में माना जाता है कि भारत को ऐसा बनना चाहिए जैसे की हिंदुओं की भूमि हो.

भाजपा शासन के तहत कई राज्यों ने ऐसे कानून बनाए हैं जिनके बारे में आलोचकों का कहना है कि यह हिंदुत्व को मजबूत कर रहा है. मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव कर रहा है, जिसमें कुछ भेदभावपूर्ण कानून भी शामिल हैं.

नरेंद्र मोदी का अपने मतदाताओं से प्रमुख वादों में से एक मस्जिद की जगह पर राम मंदिर का निर्माण करना भी था.कई विपक्षी दलों का मानना ​​है कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनाव प्रचार योजना का हिस्सा है. इससे चारो पीठ के शंकराचार्या अलग रहे.

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