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CAA विरोधी आंदोलन के बाद शाहीन बाग PFI लिंक की वजह से फिर सुर्खियों में

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

दिल्ली का मुस्लिम बहुल इलाका शाहीन बाग एक बार फिर सुर्खियों में है. दिसंबर 2019 में यहां से सीएए के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन पूरे देश में फैल गया था. तब ही से खुफिया एजेेंसियां शाहीन बाग की एक-एक हरकत पर नजर रख रही हैं. अब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगियों के खिलाफ केंद्र की कार्रवाईयों के बाद फिर से इसकी गतिविधियों को खास तरह से देखा जा रहा है.

पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने से पहले पुलिस एवं एनआईए की छापेमारी में शाहीनबाग से कई लोग उठाए गए थे.28 सितंबर को, केंद्र ने पीएफआई और उसके सहयोगियों या सहयोगियों पर पांच साल की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया. यह कदम कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पीएफआई पर देशव्यापी छापेमारी के बाद उठाया गया था.

केंद्र द्वारा पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के बाद, बुधवार को शाहीन बाग इलाके में पीएफआई कार्यालय के बाहर भारी पुलिस उपस्थिति देखी गई. दिल्ली पुलिस यहां पीएफआई पर लगे प्रतिबंध के चलते किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है. शाहीन बाग पर नजर रखने के लिए इलाके में पुलिस की गश्त के अलावा ड्रोन का व्यापक इंजाम किया है. बताते हैं कि गृह मंत्रालय को पीएफआई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद शाहीनबाग से गड़बड़ी फैलाने की आशंका थी. बता दें कि पीएफआई के कार्यालय इसी इलाके में हैं जिसे दिल्ली पुलिस ने सील कर दिया है.

पुलिस ने पूरे जामिया नगर इलाके में पहले ही धारा 144 लागू कर दी थी जिसके तहत चार या उससे अधिक लोगों के अवैध रूप से जमा होने पर रोक है.खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने पुष्टि की है कि शाहीन बाग स्थित अपने तीन कार्यालयों के माध्यम से पीएफआई अखिल भारतीय संचालन को नियंत्रित कर रहा था. इन कार्यालयों में कार्यरत पीएफआई के सदस्य भी स्थानीय मुस्लिम युवाओं को प्रभावित करते पाए गए. पुलिस का दावा है कि वे शुरू से ही मुस्लिम आबादी और मुस्लिम युवाओं के संपर्क बढ़ा रहे थेे. शुरुआत में शाहीन बाग में पीएफआई का एक ही ऑफिस था. बाद में, इसने क्षेत्र में दो और कार्यालय खोल लिए़. उन्होंने मूल रूप से स्थानीय मुस्लिम युवाओं के साथ जुड़कर क्षेत्र में अपना आधार फैलाया.

मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को पत्र लिखकर शाहीन बाग स्थित पीएफआई के तीन कार्यालयों को सील करने को कहा था.पीएफआई के एफ30-1बी जैद अपार्टमेंट, भूतल पर तीन कार्यालय है. हिलाल हाउस, भूतलय और बी 27-2 तिहरी मंजिल, जामिया. खुफिया विभाग का आरोप है कि इन तीन जगहों से पीएफआई कथित रूप से अवैध और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था.

विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा दावा किया गया है कि पीएफआई सदस्यों से पूछताछ से पता चला कि यह मुस्लिम युवाओं की पहचान करता था, विशेष रूप से गरीब या मध्यम वर्ग की पृष्ठभूमि से, जिन्हें तब हिंदुत्व विरोधी विचारधारा के साथ जोड़ा जाता था. उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

हालांकि, दिल्ली पुलिस अब और अधिक सतर्क हो गई है, खासकर शाहीन बाग में लंबे समय से चल रहे सीएए के विरोध के बाद, जो तीन महीने से अधिक समय तक जारी रहा.जबकि विरोध प्रदर्शन दिसंबर 2019 के मध्य में शुरू हुआ था और मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में कोविड महामारी फैलने तक जारी रहा.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, पीएफआई ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने की एक सुनियोजित साजिश के तहत शहर भर में सीएए के विरोध प्रदर्शनों को वित्त पोषित किया था.दिल्ली पुलिस ने मार्च 2020 में दिल्ली के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश रचने के आरोप में पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष और उसके सचिव को भी गिरफ्तार किया था.

गिरफ्तारी उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के सिलसिले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के कुछ दिनों बाद हुई थी.