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कैथोलिक चर्च भारत में सबसे बड़ा ज़मीन मालिक? आरएसएस की नई रणनीति पर विवाद

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

वक्फ (संशोधन) विधेयक के संसद से पारित होते ही पूरे देश में मुस्लिम संगठनों में रोष फैल गया है। जहां एक ओर सड़क से अदालत तक संघर्ष की रणनीति की घोषणा की जा रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा और आरएसएस की ओर से कैथोलिक चर्च की भूमि को निशाने पर लेकर नया नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की जा रही है।


🔥 RSS की पत्रिका ‘ऑर्गनाइज़र’ ने उठाया नया मुद्दा: “भारत में सबसे ज़्यादा ज़मीन किसके पास?”

आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइज़र के वेब पोर्टल पर प्रकाशित एक लेख ने कैथोलिक चर्च को ‘भारत का सबसे बड़ा गैर-सरकारी ज़मीन मालिक’ बताते हुए नया विवाद खड़ा कर दिया है।

लेख का शीर्षक है:

“भारत में किसके पास ज़्यादा भूमि है? कैथोलिक चर्च बनाम वक्फ बोर्ड बहस”

इसमें दावा किया गया है कि भारत में कैथोलिक संस्थानों के पास करीब 7 करोड़ हेक्टेयर भूमि है, जिसका अनुमानित मूल्य ₹20,000 करोड़ से अधिक है। यह आंकड़ा चर्च को देश के रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा खिलाड़ी बना देता है।


📜 वक्फ (संशोधन) विधेयक: विवाद की जड़

संसद में पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयक 1995 के मौजूदा वक्फ अधिनियम में बड़े बदलाव करता है, जिससे सरकार को वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण और विवाद निपटान की बड़ी शक्तियां मिलती हैं।

मुस्लिम समुदाय का आरोप है कि यह कानून सरकार को वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को हड़पने का अधिकार देता है, जिससे उनकी धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं को बड़ा नुकसान हो सकता है।


🕌 मुस्लिम संगठनों का विरोध, राजनीतिक दलों की पैंतरेबाज़ी

  • बीजेपी नेता मोहसिन रज़ा ने एक मसले को हवा देते हुए आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में पांच लाख में कब्रें बेची जा रही हैं
  • जेडीयू जैसे सहयोगी दलों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुस्लिमों को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि नया कानून उनके हितों के खिलाफ नहीं है।
  • लेकिन, विरोध के दबाव में कई मुस्लिम नेता अपने दलों से दूरी बनाने लगे हैं, जिन्होंने संसद में इस विधेयक का समर्थन किया था।

✝️ चर्च की ज़मीन का मामला क्यों उठा?

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस और बीजेपी वक्फ विवाद से ध्यान हटाकर ईसाई संस्थानों को निशाना बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

ऑर्गनाइज़र में छपे लेख में यह आरोप लगाया गया है कि:

  • चर्च की अधिकांश ज़मीन ब्रिटिश काल में अधिग्रहित की गई थी, जिनमें कई “संदिग्ध तरीके” शामिल थे।
  • 1965 में भारत सरकार ने एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें कहा गया कि ब्रिटिश काल में पट्टे पर दी गई भूमि चर्च की संपत्ति नहीं मानी जाएगी — लेकिन इस परिपत्र का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ

⚖️ राजनीतिक रणनीति या सामाजिक विभाजन?

आरएसएस-बीजेपी द्वारा बार-बार धर्मांतरण और जमीन अधिग्रहण के मुद्दे को उठाया जाता रहा है। लेकिन अब जबकि ईसाई मतदाता भाजपा के लिए केरल, गोवा और पूर्वोत्तर में अहम बनते जा रहे हैं, तो चर्च के खिलाफ अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था

यह लेख अब संकेत देता है कि वक्फ कानून को लेकर विरोध से ध्यान भटकाने के लिए चर्च की संपत्तियों को मुद्दा बनाया जा रहा है


📊 तथ्य बनाम राजनीतिक विमर्श

विषयदावेप्रतिक्रिया
वक्फ संपत्तिसरकार को नियंत्रणमुस्लिम संगठन नाराज़
चर्च की ज़मीन7 करोड़ हेक्टेयर (₹20,000 करोड़)“संदिग्ध तरीके से अधिग्रहित” – ऑर्गनाइज़र
1965 परिपत्रचर्च को दी गई ज़मीन अमान्यप्रभावी क्रियान्वयन नहीं

📝 निष्कर्ष और विश्लेषण

जहां वक्फ संशोधन विधेयक से मुस्लिम समुदाय में असंतोष फैल गया है, वहीं आरएसएस और भाजपा द्वारा चर्च को टारगेट करना इस बात की ओर इशारा करता है कि धार्मिक संस्थाओं की भूमि अब एक नए राजनीतिक और वैचारिक युद्ध का मैदान बनती जा रही है।

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