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पंक्चर बनाने वाले के बेटे अहद अहमद का जज बनने पर स्वागत

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

अपने खास अंदाज में बच्चों को आॅन लाइन शिक्षा देने वाले ‘खान सर’ ने एक बार ‘पंक्चर बनाने वालों’ के बेटे का बहुत भद्दा मजाक उड़ाया था. अब बेहतर उदाहरण पेशकर अहद अहमद ने खान सर जैसे लोगों की बोलती बंद कर दी है. उन्हांेने साबित किया कि बच्चा पंक्चर बनाने वाले का ही क्यों न हो, यदि मेहनत करे है तो कामयाबी अवश्य उसके कदम चूमेगी.

इसकी मिसाल पेश करते हुए इस साल पीसीएस -जे क्वालीफाई करने के बाद पंक्चर की दुकान चलाने वाले के बेटे अहद अहमद का सोमवार को प्रयागराज के एमएसओ दफ्तार में भरपूर स्वागत किया गया. इस उपलब्धि के लिए उन्हंे दिली मुबारकबाद पेश की गई. एमएसओ के एहसानुल इफ्तेखार ने इससे संबंधित एक तस्वीर शोसल मीडिया पर साझा की है, जिसकी काफी तारीफ हो रही है.

दरअसल, प्रयागराज के अहद अहमद कुछ साल पहले तक अपने पिता के साथ साइकिल का पंक्चर बनाते थे तो कभी मां का हाथ बंटाते हुए महिलाओं के कपड़े सिलते थे. अब जज बन गए हैं. संगम नगरी प्रयागराज के अहद अहमद बीते 30 अगस्त को यूपी पीसीएस जे यानी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की भर्ती के जो नतीजे जारी हुए, उसमें अहद अहमद का भी नाम था.

हैरानी की बात यह है कि अहद को यह कामयाबी पहली ही कोशिश में मिल गई. वह भी बिना किसी कोचिंग के सिर्फ अपनी ही पढ़ाई के भरोसे. अहद कुछ साल पहले तक कभी पिता के साथ साइकिल का पंक्चर बनाते थे तो कभी मां का हाथ बंटाते हुए महिलाओं के कपड़े सिलते थे. अब जज बन चुके हैं.

अहद को पढ़ा-लिखा कर कामयाब इंसान बनाने का आइडिया उनकी मां अफसाना को फिल्म घर द्वार देखकर आया. इस फिल्म को देखने के बाद ही उन्होंने तय किया कि पति के पंक्चर की दुकान से परिवार का पेट चलेगा और वह लेडीज कपड़ों की सिलाई कर बच्चों को पढ़ाएंगी. अहद अहमद प्रयागराज शहर से तकरीबन किलोमीटर दूर नवाबगंज इलाके के छोटे से गांव बरई हरख के रहने वाले हैं.

अहद का गांव में छोटा सा टूटा-फूटा मकान है. घर के बगल में ही उनके पिता शहजाद अहमद की साइकिल का पंक्चर बनाने की छोटी सी दुकान है. इसी दुकान में वह बच्चों के लिए टॉफी और चिप्स भी बेचते हैं. पिता की पंक्चर की दुकान अब भी चलती है. पिछले कुछ सालों से अहद यहां नियमित तौर पर तो नहीं बैठते लेकिन कभी कभार पिता के काम में हाथ जरूर बटा लेते हैं.

अहद अहमद चार भाई बहनों में तीसरे नंबर पर हैं. उनके माता-पिता ने सिर्फ अहद अहमद को ही नहीं पढ़ाया बल्कि अपने दूसरे बच्चों को भी तालीम दिलाई. अहद के बड़े भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन चुके हैं तो छोटा भाई एक प्राइवेट बैंक में ब्रांच मैनेजर है. परिवार में खुशियां हाल के दिनों में ही एक साथ आई हैं. अहद का कहना है कि माता-पिता ने उन्हें न सिर्फ मुफलिसी और संघर्ष में पाल पोसकर इस मुकाम तक पहुंचाया है, बल्कि हमेशा ईमानदारी और नेक-निय्यती से कम करने की नसीहत भी दी है.

अहद का कहना है कि माता-पिता की इस हिदायत का उम्र भर अमल करने की कोशिश करेंगे. अहद के मुताबिक उन्हें यह बताने में कतई झिझक नहीं होगी कि वह एक पंक्चर वाले के बेटे हैं. पिता शहजाद अहमद को वह अब आराम देना चाहते हैं. हालांकि, जज बनने के बावजूद वह अब भी कभी-कभी पिता के काम में हाथ बंटा लेते हैं.